फार्मासिस्टों ने अपनी समस्याओं को उठाते हुए बताया कि उन्हें एक दिन में दो बार ड्यूटी करनी पड़ती है, लेकिन इसके लिए कोई अतिरिक्त भुगतान नहीं मिलता। एनपीएस कटौती का पासबुक छह साल बाद भी नहीं मिला है और...
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सहित कई साहित्यकारों ने जिले में साहित्य की उपेक्षा पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सरकारी आयोजनों में स्थानीय साहित्यकारों को न बुलाने, साहित्यिक चर्चा के लिए स्थान की...
मनरेगा के रोजगार सेवक पिछले 17 वर्षों से 10 हजार मासिक मानदेय पर काम कर रहे हैं, लेकिन नियमित भुगतान नहीं होता। वे 24 हजार मासिक मानदेय की मांग कर रहे हैं ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके। कई रोजगार...
कामकाजी महिलाओं की पीड़ा अनकही है। घर और कार्यस्थल के बीच संतुलन बनाना कठिन है। उन्हें सुरक्षित परिवहन, अलग महिला शौचालय और काम के लिए उचित माहौल की जरूरत है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में महिलाओं को...
बलिया में मार्निंग वॉकरों को पार्कों और पाथ-वे की कमी से परेशानी हो रही है। स्टेडियम और चंद्रशेखर उद्यान में भीड़ के कारण उनकी एक्सरसाइज अधूरी रह जाती है। वे सुविधाओं में सुधार चाहते हैं, जैसे...