Cross-Continental Conference on Intellectual Property Law Held at Central University of South Bihar शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों में एआई साक्षरता की तत्काल आवश्यकता: लुइस, Gaya Hindi News - Hindustan
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शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों में एआई साक्षरता की तत्काल आवश्यकता: लुइस

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बौद्धिक संपदा कानून पर अविन्या 2.0 सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में विश्वभर के विद्वान और कानूनी विशेषज्ञों ने भाग लिया। प्रोफेसर लुइस मिगुएल ने एआई साक्षरता...

Newswrap हिन्दुस्तान, गयाTue, 29 April 2025 07:35 PM
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शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों में एआई साक्षरता की तत्काल आवश्यकता: लुइस

दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में बौद्धिक संपदा कानून पर क्रॉस-कॉन्टिनेंटल सम्मेलन अविन्या 2.0 व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन स्कूल ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस (एसएलजी) ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (एनआईपीएएम) और इंस्टीट्यूशन इनोवेशन काउंसिल (आईआईसी-सीयूएसबी) के सहयोग से ऑनलाइन माध्यम से कार्यक्रम आयोजित किया गया। बौद्धिक संपदा और इतिहास: विचारों और नवाचार के विकास का पता लगाना विषय पर आयोजित इस सम्मेलन में दुनिया भर के प्रतिष्ठित विद्वान, कानूनी विशेषज्ञ और छात्र एक साथ आये। पुर्तगाल के प्रोफेसर लुइस मिगुएल कार्डोसो ने शिक्षा और अनुसंधान क्षेत्रों में एआई साक्षरता की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि कैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता उच्च शिक्षा और बौद्धिक संपदा प्रबंधन को बदल रही है। चिली विवि के डॉ. पामेला लिस्बोआ ने लैटिन अमेरिका के स्वदेशी समाज से लेकर समकालीन बौद्धिक संपदा ढांचे तक बौद्धिक रचनात्मकता के ऐतिहासिक विकास, पारंपरिक ज्ञान और जैव विविधता की रक्षा में भारत के वैश्विक नेतृत्व की प्रशंसा की और अंतर्राष्ट्रीय आईपी प्रणालियों में नैतिक शासन की आवश्यकता को रेखांकित किया। डीयू की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपा खरब ने बौद्धिक संपदा और मानवतावादी मूल्यों के बीच अविभाज्य संबंध पर विचार साझा किया। दिल्ली विवि के डॉ. आलोक शर्मा ने अपनी बात रखीं। एसएलजी के विभागाध्यक्ष और डीन, और एनआईपीएएम-सीयूएसबी के नोडल अधिकारी प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि रचनात्मकता, नवाचार और बौद्धिक संपदा प्रशासन के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना 2047 तक ज्ञान-संचालित भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए मौलिक है। सम्मेलन में सात तकनीकी सत्रों में 98 चुनिंदा शोध पत्रों की प्रस्तुति की गई।

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