40 साल में एक बार भी नहीं हुई केलाघाघ डैम की सफाई नहीं
सिमडेगा के केलाघाघ डैम की सफाई नहीं होने के कारण 20 फीट गाद जमा हो गई है। डैम, जो 1985 में बना था, अब सूखने के कगार पर है। सांसद प्रतिनिधि और स्थानीय नेता डैम की सफाई के प्रयासों की सराहना कर रहे हैं।...

सिमडेगा। शहर से तीन किमी पर स्थित केलाघाघ डैम के बने 40 वर्ष गुजर चुके हैं। लेकिन आज तक एक बार भी डैम की सफाई नहीं की गई। नतीजन डैम में लगभग 20 फीट तक का गाद जम चुकी है। 1985 में बन कर तैयार हुए डैम गर्मी के मौसम में सुखने के कागार पर है। लगभग आधे से ज्यादा हिस्सा सुख चुका है। डैम में पानी की जगह सुखा गाद और कीचड़ नजर आ रहा है। सिमडेगा शहर की लाइफ लाईन समझे जाने वाले केलाघाघ डैम के सफाई के लिए वर्तमान समय पूरी तरह से उपयुक्त है। अभी डैम में पानी भी कम है जिससे सूखे क्षेत्र की सफाई और खुदाई की जा सकती है। इससे डैम के स्टोरेज की क्षमता बढ़ेगी। हरे भरे पहाड़ और हरियाली के बीच में बसे केलाघाघ प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। साथ ही साथ शहर की प्यास भी केलाघाघ डैम से ही बुझती है। लोगों का कहना है कि इस अमूल्य धरोहर का निरंतर विकास होना चाहिए। केलाघाघ डैम सिमडेगा की शान है। इधर सांसद प्रतिनिधि अमित डुंगडुंग, कांग्रेस नेता दिलीप तिर्की ने भी हिंदुस्तान के पहल की सराहना करते हुए केलाघाघ डैम का निरीक्षण करते हुए डैम की सफाई के लिए प्रयास करने की बात कही।
390.24 मीटर है केलाघाघ डैम की गहराई
केलाघाघ डैम छिंदा नदी में बना है। डैम की गहराई 390.24 मीटर है। वहीं स्पिलवे की लंबाई 74 मीटर है। डैम का कुल डूब क्षेत्र 162.75 हेक्टेयर एवं जल संचयन की क्षमता 994.56 प्रति हेक्टेयर है। दाईं नहर की लंबाई 13.78 किमी, जबकि बाईं नहर की लंबाई 13.56 किमी है। दो नहरों की पानी के डिस्चार्ज की क्षमता 22 क्यूसेक है।
मत्स्य पालन का भी केंद्र बना है केलाघाघ डैम
शहर को पेयजल की आपूर्ति करने के साथ साथ घोचोटोली, ढाबुडेरा, चिमटीघाट, बुधराटोली, सलडेगा, बेड़ाटोली, मेरोमडेगा आदि गांव में सिंचाई की सुविधा भी उपलब्ध कराता है। इसके अलावे पिछले कुछ वर्षो से केलाघाघ डैम मत्स्य पालन का भी मुख्य केंद्र बना है। पेयजल हो या सिंचाई या फिर मत्स्य पालन ये सभी चीज भविष्य में तभी हमारे लोग देख सकते है जब समय रहते डैम की सफाई हो।
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