दुनिया में राजाशाही के समय में कई ऐसे शासक रहे, जिन्होंने अपनी क्रूरता के कारण नाम कमाया। लेकिन पिछले 100 वर्षों में लोकतांत्रिक तरीकों से चुने गए या फिर सैन्य तरीके से सत्ता हासिल करने वाले तानाशाहों ने भी अपनी क्रूरता और गुस्से की वजह से काले अक्षरों से इतिहास में अपना नाम लिखवाया, तो चलिए जानते हैं दुनिया के दस सबसे खूंखार तानाशाहों के बारे में..
एडोल्फ हिटलर को दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक माना जाता है। अपनी नाजी पार्टी की दम पर सत्ता में आए हिटलर ने यहूदियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। खुलेआम चले इस नरसंहार को होलोकॉस्ट के नाम से जाना गया। इसमें करीब 60 लाख यहूदियों की अमानवीय तरीके से हत्या कर दी गई। हिटलर यहीं नहीं रुका उसने पहले विश्व युद्ध का बदला लेने के नाम पर दूसरा विश्व युद्ध शुरू कर दिया। इसमें करोड़ों लोग मारे गए।
सोवियत संघ में कम्युनिस्ट शासन के नाम पर जोसेफ स्टालिन ने लाखों लोगों की जान ले ली। राजनैतिक विरोधियों को समूल नष्ट करने के लिए स्टालिन ने तरह-तरह की नीतियां बनाई और इसमें वह सफल भी रहा। दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी ने जब सोवियत संघ पर हमला किया तो स्टालिन लोकतांत्रिक देशों के साथ हो लिया। लेकिन इसके बाद भी उसका शासन आतंक की दम पर कायम रहा, जिसमें करोड़ों लोगों का दमन किया गया।
माओ ने चीन में कम्युनिस्ट क्रांति का नेतृत्व किया। इस क्रांति के कारण उसने कुछ ही समय में चीन के लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया। उसका आतंक इतना भयानक था कि कुछ लोगों को भागकर ताइवान द्वीप पर शरण लेनी पड़ी, जबकि तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा को अपने हजारों शरणार्थियों के साथ भारत में शरण लेनी पड़ी। अपनी ग्रेट लीप फॉरवर्ड और सांस्कृतिक क्रांति के नाम पर माओ ने ऐसा दमन चक्र चलाया की पूरा का पूरा चीन हिल गया।
ईदी अमीन को युगांडा का कसाई भी कहा जाता था। अपने आठ साल के तानाशाही के दौर में उसने युगांडा के तीन लाख से ज्यादा लोगों को यातना देकर मार डाला। इतना ही नहीं उस समय पर युगांडा में भारतीय मूल के लोगों का दबदबा था। ऐसे में अमीन इन सभी से नफरत करता था। उसने तानाशाह बनते ही इन लोगों को देश छोड़कर निकल जाने का आदेश दे दिया। उसका शासन काल दमन, आतंक से भरा हुआ था। इसके ऊपर आरोप लगते थे कि यह इंसान का मांस भी खाता है।
कंबोडिया के नेता पोल पॉट को दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाहों में जाना जाता है। साम्यवादी शासन लागू करने के नाम पर पोल ने पूरे कंबोडिया को गर्त में धकेल दिया। उसकी नीतियों की वजह से देश की करीब एक चौथाई जनसंख्या खत्म हो गई। साम्यवादी शासन में असुरक्षा की भावना के चलते उसने शिक्षित लोगों, डॉक्टरों,बुद्धिजीवियों को मौत के घाट उतार दिया।
उत्तर कोरिया के तानाशाह ने अपने काल के दौरान उत्तर कोरिया को आतंक का नया रूप दिखाया। अपनी नीतियों के दम पर इसने उत्तर कोरिया को पूरे विश्व से अलग-थलग कर दिया। नागरिक स्वतंत्रता को पूरी तरह से कुचल दिया गया। पूरा देश गरीबी और भुखमरी के चंगुल में फंसा हुआ है। इसकी मौत के बाद इसका बेटा किम जोंग उन सत्ता में आया। वह भी अपने पिता की ही तरह तानाशाही तरीके से शासन कर रहा है।
इराक का तानाशाह सद्दाम हुसैन अपने क्रूर शासन के कारण कुख्यात था। इराक से अलग राज्य की मांग करने वाले कुर्दों के खिलाफ सद्दाम ने रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया। इसकी वजह से कई लाख लोग मारे गए। उसकी नीतियों की वजह से इराक में कई लोग मारे गए। हालांकि कई लोग उसे सही भी मानते हैं लेकिन ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है। 2003 में अमेरिकी आक्रमण के बाद उसे सत्ता से बेदखल कर दिया गया और फांसी पर लटका दिया गया।
लीबिया का तानाशाह करीब 42 सालों तक अपना शासन चलाता रहा। सैन्य तख्तापलट की दम पर सत्ता में आया गद्दाफी अपने क्रूर शासन के लिए जाना जाता था। उसके राज्य में विरोधी मानसिकता की कोई जगह नहीं थी। उसने अपने विरोधियों को बड़ी ही बेरहमी के साथ मार दिया। अरब क्रांति के दौरान चली तानाशाहों के खिलाफ लहर लीबिया भी पहुंची। यहां पर एक लंबे गृहयुद्ध के बाद विद्रोहियों ने 2011 में गद्दाफी को पकड़ लिया और मौत के घाट उतार दिया।
मुगाबे को जिम्बाम्बे का सबसे क्रूर तानाशाह माना जाता है। इसके शासन काल के दौरान जिम्बाम्बे गरीबी के गर्त में चला गया। उसने अपने विरोधियों को दबाने के लिए आतंक और दमन का सहारा लिया। भ्रष्टाचार और अपनी बेकार आर्थिक नीतियों की वजह से जिम्बाम्बे में भुखमरी के हालात हो गए। अपने शासन काल के दौरान मुगाबे ने हजारों लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
इथियोपिया में राजाशाही को उखाड़ फेंकने वाले मेंजित्सू ने कम्युनिस्ट सेना जुंटा की मदद से अपनी तानाशाही की नींव रखी। 1970 के दशक के अंत कर मरियम ने इथियोपिया पर अपनी दमनकारी नीतियों से जमकर उत्पात मचाया। इसी दौरान उसने इथियोपियन रेड टेरर के नाम से एक हिंसक अभियान चलाया, इस अभियान के दौरान करीब 5 लाख लोग हिंसा की वजह से मारे गए। 1991 में वह सत्ता छोड़कर जिम्बाम्बे भाग गया।