पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में ताबड़तोड़ तलाशी, आतंकी सहयोगियों की संपत्तियां जब्त
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम के पास बैसारन घाटी में भयावह आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस हमले में पांच सशस्त्र आतंकवादियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई।

पहलगाम हमले के बाद पुलिस ने पूरे कश्मीर में आतंकवादी सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। छापेमारी से लेकर कुछ मामलों में आतंकवादियों की संपत्ति जब्त किया जा रहा है। सोमवार को श्रीनगर पुलिस ने शहर भर में 42 आतंकवादी सहयोगियों के घरों पर तलाशी ली थी। मंगलवार को उत्तर कश्मीर के सोपोर में गैरकानूनी गतिविधियां निवारण अधिनियम (UAPA) के तहत एक आतंकवादी की संपत्ति जब्त की गई। पुलिस प्रवक्ता ने कहा, 'आतंकी ढांचे पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए सोपोर पुलिस ने आज क्रालटेंग, सोपोर के निवासी इम्तियाज अहमद कांडू की अचल संपत्ति जब्त की, जो यूएपीए के तहत नामित आतंकवादी और प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का पाकिस्तान स्थित प्रमुख संचालक है।'
रिपोर्ट के मुताबिक, जब्त की गई संपत्ति में 13×12 फीट का भूखंड शामिल है, जिसमें एक दुकान और एक कमरा है। प्रवक्ता ने कहा, 'यह कार्रवाई पुलिस स्टेशन सोपोर में दर्ज एफआईआर नंबर 201/2013 से संबंधित है, जो आतंकी गतिविधियों से जुड़ी है। संपत्ति को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 87 और 88 के तहत सोपोर पुलिस और राजस्व अधिकारियों की संयुक्त टीम ने सक्षम न्यायालय के आदेश के बाद जब्त किया। यह संपत्ति जिले में आतंकवादियों को शरण देने और गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग की जा रही थी।' इससे पहले सोमवार को श्रीनगर पुलिस ने शहर में UAPA के तहत दर्ज मामलों की जांच के सिलसिले में 42 आतंकवादी सहयोगियों के घरों पर तलाशी ली।
पुलिस ने कार्रवाइयों पर क्या कहा
श्रीनगर पुलिस के प्रवक्ता ने कहा, 'प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के सहयोगियों के खिलाफ निरंतर कार्रवाई जारी है। यूएपीए के तहत दर्ज मामलों की जांच को आगे बढ़ाते हुए श्रीनगर पुलिस ने जिले में आतंकी समर्थन ढांचे को ध्वस्त करने के उद्देश्य से शहर के कई स्थानों पर तलाशी जारी रखी है।' अधिकारी ने बताया कि तलाशी कार्यवाही कार्यकारी मजिस्ट्रेट और स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी में उचित कानूनी प्रक्रियाओं के तहत की गई। प्रवक्ता ने कहा, 'तलाशी का उद्देश्य हथियार, दस्तावेज, डिजिटल उपकरण आदि जब्त करना था, ताकि सबूत एकत्र किए जा सकें। राष्ट्र की सुरक्षा के खिलाफ किसी भी साजिश या आतंकी गतिविधि का पता लगाया और रोका जा सके।'