असदुद्दीन ओवैसी को पटना हाईकोर्ट से राहत, बिहार में 9 साल पहले दर्ज हुआ था केस
एआईएमआईएम के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन औवैसी को नौ साल पुराने चुनाव आचार संहिता के एक केस में हाईकोर्ट से राहत मिली है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी को पटना हाईकोर्ट ने नौ साल पुराने चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के एक केस में बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने निचली अदालत के द्वारा ओवैसी के खिलाफ दायर केस में लिए गए संज्ञान को निरस्त कर दिया है। बिहार विधानसभा के 2015 के चुनाव के दौरान पूर्णिया जिले के बायसी थाना में ओवैसी के खिलाफ बिना इजाजत के सभा करने के आरोप में सरकारी अधिकारी ने मुकदमा दर्ज कराया था। पूर्णिया कोर्ट ने इस मामले में पुलिस के आरोपपत्र पर 2016 में संज्ञान लिया था जिसे ओवैसी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
न्यायमूर्ति राजीव रॉय की एकल पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद पूर्णिया के एसीजेएम कोर्ट द्वारा पारित संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया। ओवैसी के अधिवक्ता राज कुमार ने कोर्ट को बताया कि बायसी के उड़नदस्ता दंडाधिकारी (फ्लाइंग स्क्वॉड मजिस्ट्रेट) ने आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के आरोप में बायसी थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन पर बिना अनुमति के लाउडस्पीकर से भीड़ इकट्ठा करने और पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में भाषण देने का आरोप लगा था। बगैर इजाजत के सभा आयोजन को लेकर यह प्राथिमकी दर्ज कराई गई थी।
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हाईकोर्ट ने पूर्णिया पुलिस को इस बात के लिए फटकार लगाई कि उसने शिकायतकर्ता के द्वारा पुलिस को दिए गए वीडियो की फॉरेंसिक जांच तक नहीं कराई। हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि शिकायत मिलने पर मौके पर पहुंचे मजिस्ट्रेट ने भी वहां सभा जैसी कोई चीज नहीं पाई। कोर्ट ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाया है और कहा है कि शिकायतकर्ता के दिए वीडियो पर ही भरोसा करके चार्जशीट फाइल कर दी गई।
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अपने बचाव में ओवैसी ने कोर्ट से कहा था कि नमाज का वक्त होने के कारण वो करबला मस्जिद गए और वहां नमाज पढ़कर निकल गए। निकलते वक्त बाहर कुछ लोग मिले तो वो बाचतीत करने लगे लेकिन कोई चुनावी सभा नहीं की। कोर्ट ने इस बात को भी पकड़ा कि चुनाव के दौरान नेताओं की सुरक्षा में पुलिस टीम रहती है और उसने इस तरह का कोई बयान जांच के दौरान नहीं दिया।