यह आयोजन विंटेज कारों के शानदार प्रदर्शन और भारतीय सांस्कृतिक विरासत के भव्य उत्सव के रूप में यादगार बना जिसमें देश के लगभग 40 महाराजाओं की कारे सम्मिलित हुईं। प्रतिष्ठित आयोजन में अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, बेल्जियम, इटली, जर्मनी और कनाडा समेत कई देशों से आए अंतरराष्ट्रीय जूरी सदस्यों ने ऐतिहासिक कारों का बारीकी से मूल्यांकन किया और उन्हें उनकी खास श्रेणियों एवं रखरखाव के लिए सम्मानित किया।
जूरी सदस्यों ने मयुरभंज रियासत की 1922 की रोल्स रोयस सिल्वर घोस्ट के वर्तमान मालिक धनराज गिडवानी को विजेता घोषित किया। धनराज गिडवानी के पास यह चार 1992 से है। इसके साथ ही विभिन्न श्रेणियों में कारों को प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी में पुरस्कृत किया।
गिडवानी जी ने कहा "इस आयोजन में सभी कारों खास है सभी अनमोल हैं। 21 गन सल्यूट कॉनकोर्स डी एलीगेंस की जूरी ने मेरी कार को बेस्ट इन इवेंट श्रेणी सम्मानित किया उसके लिए सभी को धन्यवाद करता हूं।"
लगभग 25,000 से अधिक विजिटर्स की उपस्थिति के साथ, यह आयोजन एक सांस्कृतिक महोत्सव का रूप ले चुका था। यहां कथकली, भरतनाट्यम, भांगड़ा और गिद्धा जैसी भारतीय लोक नृत्य शैलियों की प्रस्तुति ने समां बांध दिया, जो क्लासिक कारों के ऐतिहासिक वैभव के साथ अनूठा संगम प्रस्तुत कर रही थीं।
इस आयोजन में 1935 की ब्यूक 90L (पूर्व अयोध्या) भी आकर्षण का केंद्र रही, जिसे अब दिलजीत टाइटस के स्वामित्व में रखा गया है। इस कार ने भी पोस्ट वार अमेरिकन कूप श्रेणी में प्रथम पुरष्कार जीता। इसकी ऐतिहासिक महत्ता और बेहतरीन बहाली ने इसे इस दिन की सबसे चर्चित कारों में शामिल कर दिया।
यह आयोजन अपने भव्य समापन की ओर बढ़ा और 21 गन सल्यूट कॉनकोर्स डी एलीगेंस दुनिया में ऐतिहासिक ऑटोमोबाइल शोकेस के लिए एक वैश्विक मानक स्थापित किया। जिसने विंटेज कार प्रेमियों और संस्कृति के पारखियों के लिए अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया।