एक पहलगाम से तीन मकसद साधना चाहता है पाकिस्तान, क्या इजरायल जैसा बदला ले सकता है भारत!
जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप कुमार सिंह कहते हैं कि पहलगाम के पीछे पाकिस्तान की तीन रणनीतियां रही हैं। ये तीन रणनीति हैं- कश्मीर मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण, अपनी आंतरिक समस्याओं को छिपाना और कश्मीर में फिर से आतंकवाद को बढ़ाना।

पाकिस्तान ने पहलगाम आतंकी हमले को ऐसे वक्त में अंजाम दिलाया, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत के दौरे पर थे। यह ठीक 25 साल पुराने वाकये जैसा था, जब बिल क्लिंटन भारत में थे और पाकिस्तान ने ऐसी ही हिमाकत की थी। जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान ऐसा इसलिए करता है ताकि जम्मू-कश्मीर प्रांत में अशांति को दिखाया जा सके और इस मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण हो। जेएनयू के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में असिस्टेंट प्रोफेसर संदीप कुमार सिंह कहते हैं कि पहलगाम के पीछे पाकिस्तान की तीन रणनीतियां रही हैं। ये तीन रणनीति हैं- कश्मीर मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण, अपनी आंतरिक समस्याओं को छिपाना और कश्मीर में फिर से आतंकवाद को बढ़ाना।
संदीप सिंह कहते हैं, 'सैन्य बलों पर पहले भी हमले हुए हैं, लेकिन पहलगाम की घटना पिछले 20-30 सालों के इतिहास में अपने आप में सबसे अलग है। कश्मीरी पंडित मारे गए थे और अनंतनाग में सिखों का कत्ल हुआ था, लेकिन पहली बार कश्मीर के बाहर से आए लोग मारे गए हैं। इससे कश्मीरी भी निराश होंगे, जिनके आर्थिक हित भी इससे प्रभावित होंगे। यह दिखाता है कि आतंकियों में बेचैनी है। 2019 में 370 गया था और तब से करीब 6 साल में स्थितियां सामान्य रही हैं। टूरिज्म के समय में कश्मीर पैकअप रहता है। इससे पाकिस्तान में बेचैनी है। इसके अलावा उसकी एक बेचैनी यह भी थी कि ऐसे समय में किया जाए, जब पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके। इससे उसने यह संदेश देने की कोशिश की है कि कश्मीर में ऑल इज वेल नहीं है।'
वह कहते हैं, 'हमास ने जब इजरायल पर हमला किया तो वह ऐसा ही था। उसने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि इजरायल और खाड़ी देशों के बीच I2U2 जैसा समझौता हो रहा था। इसलिए हमास ने गाजा की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए हमला किया था। अब ऐसी ही कोशिश पाकिस्तान की ओर से की गई है। पाकिस्तान स्टेट फेल की स्थिति में है। आतंरिक तौर पर बवाल है। उसे डर था कि कश्मीर से भारत का इंटीग्रेशन हो रहा है। वंदे भारत कश्मीर तक जा रही है। इससे पाकिस्तान में बेचैनी है। उसे लगता है कि इससे हालात बिगड़ जाएंगे और फिर से कश्मीर की अर्थव्यवस्था टूटेगी तो युवा फिर से आतंक की राह पकड़ सकेंगे।'
क्या पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध छेड़ना सही रहेगा?
क्या भारत के पास पाकिस्तान से युद्ध छेड़ने का विकल्प है और यह सही रहेगा? इस सवाल पर प्रोफेसर संदीप सिंह कहते हैं कि यह विकल्प भारत के पास हमेशा रहेगा, लेकिन कोई ऐक्शन लेने से पहले आकलन जरूरी है। वह कहते हैं कि हर मामले में भारत की इजरायल से तुलना नहीं की जा सकती। इजरायल अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहा है और उस खतरे से बचने के लिए युद्ध का ही विकल्प उसके पास रहता है। लेकिन भारत एक महाशक्ति है और बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में युद्ध छेड़ने से पहले उसके फायदे और नुकसान का आकलन जरूरी रहेगा। फिर अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को समझना होगा। वह कहते हैं कि भारत कुछ करेगा, ऐसा तो तय लगता है। इसकी वजह है कि मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार ने अपेक्षाएं बढ़ा रखी हैं। वह कहते हैं कि संभावना है कि भारत सीधे युद्ध की बजाय एक सीमित स्ट्राइक करे।
अगले कुछ महीने पाक से सतर्कता जरूरी, करा सकता है और घटनाएं
ऐसी ही स्ट्राइक जैसी बालाकोट में की गई थी या फिर उससे भी बड़े कदम उठाए जा सकते हैं। यही नहीं प्रोफेसर संदीप सिंह कहते हैं कि पाकिस्तान इतने पर भी रुक जाएगा, ऐसा नहीं लगता। वह कहते हैं, 'पाकिस्तान की ओर से ऐसी और भी घटनाएं कराने का प्रयास हो सकता है। यदि रातोंरात सुधार नहीं आता तो फिर रातोंरात हालात बिगड़ते भी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान कई घटनाओं को अगले कुछ महीनों में अंजाम दे सकता है।' वह कहते हैं कि यह अहम रहेगा कि पाकिस्तान के आतंकवाद फैलाने के दौरान स्थानीय लोग एवं भारत के अन्य हिस्सों के लोगों का क्या रुख रहता है। फिलहाल तो ऐसा ही लगता है कि कश्मीरी अवाम ने भारत की राय को ही आगे बढ़ाया है। उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने भी ऐसी ही बातें की हैं।