आसिम मुनीर से मुलाकात के पहले मोदी ने ट्रंप से क्या कहा
पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप से मिलेंगे। मोदी और ट्रंप के बीच फोन वार्ता में भारत-पाक संबंध और अन्य अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। मोदी ने ट्रंप से...

पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर अपनी पांच दिनों की अमेरिका यात्रा के दौरान व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मिलने वाले हैं.इस बैठक से ठीक पहले ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फोन पर बात की.भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बयान जारी कर बताया है कि मोदी और ट्रंप का कनाडा में जी7 देशों की बैठक के दौरान अलग से मिलना तय था, हालांकि ट्रंप के अचानक अमेरिका लौट जाने की वजह से यह मुलाकात नहीं हो पाई.मिस्री के मुताबिक इसके बाद "ट्रंप के आग्रह पर" बुधवार 18 जून को दोनों नेताओं की फोन पर बात हुई.बातचीत करीब 35 मिनट चली.दोनों नेताओं के बीच ऑपरेशन सिंदूर, भारत-पाकिस्तान संबंध, इस्राएल-ईरान संघर्ष, रूस-यूक्रेन युद्ध, भारत-प्रशांत क्षेत्र और क्वॉड जैसे विषयों पर चर्चा हुई.भारत का मध्यस्थता स्वीकारने से फिर इंकारमिस्री के बयान का एक बड़ा हिस्सा ऑपरेशन सिंदूर पर केंद्रित था. उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप से "स्पष्ट रूप से कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कभी भी, किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका ट्रेड डील या अमेरिका की ओर से भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता जैसे विषयों पर बात नहीं हुई थी"मिस्री के मुताबिक मोदी ने जोर देकर कहा कि "भारत ने ना तो कभी मध्यस्थता स्वीकार की थी, ना करता है और ना ही कभी करेगा" मिश्री के मुताबिक ट्रंप ने मोदी की बातों को समझा.हालांकि ट्रंप बार बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने ही भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करवा कर सैन्य कार्रवाई रुकवाई थी.इसके अलावा मिश्री के मुताबिक ट्रंप ने मोदी को कनाडा से लौटते समय अमेरिका रुकने का निमंत्रण भी दिया, लेकिन मोदी ने कहा कि पहले से निर्धारित कार्यक्रमों की वजह से उनके लिए ऐसा करना मुमकिन नहीं होगा.मिश्री ने कहा कि मोदी ने ट्रंप को क्वॉड देशों की अगली बैठक के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया, जिसे ट्रंप ने स्वीकार किया.भारत के ताजा बयान पर अभी तक ट्रंप की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.लेकिन यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से मिलने वाले हैं.मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक मुनीर अमेरिका की पांच दिनों की यात्रा पर हैं. जिस दौरान वह ट्रंप के अलावा अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेग्सेठ से भी मिलेंगे.ट्रंप-मुनीर बैठक के अजेंडा की आधिकारिक रूप से जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन अटकलें लग रही हैं कि चर्चा इस्राएल-ईरान संघर्ष से संबंधित हो सकती है.इस्राएल-ईरान संघर्ष के बीच पाकिस्तान की चिंताएंपाकिस्तान ईरान का पड़ोसी देश है और दोनों के बीच 900 किलोमीटर लंबी सरहद है.पाकिस्तान ने इस सरहद पर मौजूद पार करने के कुछ रास्तों को बंद कर दिया है, लेकिन कुछ रास्ते अभी भी खुले हैं.पाकिस्तान ने ईरान पर इस्राएल के हमलों की कड़ी निंदा भी की है, हालांकि उसने ईरान को सैन्य मदद देने की अटकलों से इंकार किया है.कुछ दिनों पहले ईरान के एक मुख्य सैन्य कमांडर ने दावा किया था कि पाकिस्तान ने ईरान से वादा किया है कि अगर इस्राएल उसके खिलाफ परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा तो पाकिस्तान भी परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करेगा.हालांकि पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक दर ने पाकिस्तानी संसद में बयान दिया कि यह "गैर-जिम्मेदाराना और गलत खबर है" हां, पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों से इस्राएल के खिलाफ एकजुट होने की अपील जरूरी की थी. 14 जून को पकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था कि अगर मुस्लिम देश एकजुट नहीं हुए तो उनपर भी ऐसे हमले किए जा सकते हैं.पाकिस्तान इस्राएल के अस्तित्व को नहीं मानता है और दोनों देशों के बीच औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं.अमेरिका को पाकिस्तान की जरूरतदूसरी तरफ पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते भी एक दिलचस्प दौर से गुजर रहे हैं.हाल ही में अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड के प्रमुख जनरल माइकल कुरीला ने अमेरिकी संसद की एक समिति को बताया था कि पाकिस्तान अमेरिका के लिए कितना जरूरी है.मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुरीला ने कहा था कि "पाकिस्तानी साझेदारों" की वजह से अमेरिका आइसिस-खोरासन के नेता मोहम्मद शरीफुल्लाह को पकड़ पाया था और यह आतंक के खिलाफ अमेरिका की लड़ाई में बतौर साझेदार पाकिस्तान की अहमियत को दिखाता है.उन्होंने यह भी कहा था कि आने वाले दिनों में पाकिस्तान की यह भूमिका और बढ़ेगी क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है.हालांकि इसके बाद कुरीला ने यह भी कहा था कि अमेरिका को पाकिस्तान और भारत दोनों के साथ रिश्ते रखने की जरूरत है.