Stagnant Transfer Policy in Bihar Staff Stuck for 15-20 Years No Collective Transfers समाहरणालय में 6 साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं कई कर्मी, Biharsharif Hindi News - Hindustan
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समाहरणालय में 6 साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं कई कर्मी

तबादला होता भी है तो सिर्फ बदल दी जाती है शाखा समाहरणालय में 6 साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं कई कर्मी समाहरणालय में 6 साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं कई कर्मी

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफThu, 19 June 2025 12:06 AM
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समाहरणालय में 6 साल से एक ही कुर्सी पर जमे हैं कई कर्मी

तबादला होता भी है तो सिर्फ बदल दी जाती है शाखा प्रतिनियुक्ति का भी चल रहा खेल कई कर्मी 15 से 20 सालों से एक ही जगह पर जमे 6 छह साल से नहीं हुआ सामूहिक तबादला फोटो: डीएम ऑफिस: नालंदा समाहरणालय। बिहारशरीफ, निज प्रतिनिधि। जिले की प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता और गतिशीलता लाने वाली तबादला नीति पिछले 6 सालों से ठप पड़ी है। लिपिक सेवा समेत 32 विभिन्न संवर्गों के कर्मचारियों का कोई बड़ा सामूहिक तबादला नहीं हुआ है। जिसके चलते समाहरणालय से लेकर प्रखंड कार्यालयों तक कई कर्मचारी 15 से 20 वर्षों से एक ही कुर्सी पर जमे हुए हैं।

इस लंबी तैनाती ने एक ऐसी व्यवस्था को जन्म दे दिया है, जहां सांठगांठ, मनमानी और भ्रष्टाचार की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता। तबादला होता भी है तो सिर्फ शाखा बदल दी जाती है। प्रतिनियुक्ति का भी खेल चल रहा है। जिले में आखिरी बार बड़ा प्रशासनिक फेरबदल तत्कालीन जिलाधिकारी योगेंद्र सिंह के कार्यकाल में हुआ था। उसके बाद से कोई ठोस तबादला नीति सामने नहीं आई। रसूखदार कर्मचारी का महज एक शाखा से दूसरी शाखा तक ही सीमित रह जाता है। कुछ दिनों के लिए प्रखंड या अंचल कार्यालय भेजे भी गए, तो राजनीतिक पैरवी या अधिकारियों से सांठगांठ कर फिर से जिला मुख्यालय लौट आते हैं। 'अनुभव' के नाम पर तोड़ा जाता है नियम: सूत्रों का कहना है कि यह पूरा खेल 'कार्य अनुभव' और 'प्रतिनियुक्ति' के नाम पर चलता है। जब भी किसी प्रभावशाली कर्मी का तबादला होता है तो संबंधित शाखा के वरीय अधिकारी अक्सर 'काम प्रभावित होने' का बहाना बनाकर उसे वापस बुला लेते हैं। कुछ कर्मचारी नेताओं और पैरवीकारों के माध्यम से अपनी मनचाही पोस्टिंग पर बने रहते हैं। लंबे समय से एक ही जगह जमे रहने से इन कर्मचारियों की जड़ें इतनी गहरी हो गई हैं कि वे व्यवस्था पर हावी हो चुके हैं। इससे आम लोगों को अपने छोटे-छोटे कामों के लिए भी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। इन प्रमुख विभागों और संवर्गों पर असर: पंचायत राज, आपूर्ति, भू-राजस्व, निर्वाचन, विधि, सामान्य, नजारत, गोपनीय, स्थापना, भू-अभिलेख, सांख्यिकी, कल्याण, ग्रामीण विकास, सहकारिता, आपदा, बैंकिग, आरटीपीएस, अंचल, प्रखंड कार्यालय, अनुमंडल कार्यालय, राजस्व कर्मी, कार्यपालक सहायक, आवास सहायक, कृषि सलाहकार, पीआरएस, कनीय एवं वरीय लिपिक, प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, हल्का कर्मचारी, बीआरसी (ब्लॉक रिसोर्स सेंटर), बीआरपी (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन), स्वास्थ्य विभाग, पीएचईडी।

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