Women Demand Safe Playgrounds for Daughters in Muzaffarpur सामूहिक रूप से बालिकाओं के लिए सुरक्षित खेल मैदानों की हो व्यवस्था, Muzaffarpur Hindi News - Hindustan
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सामूहिक रूप से बालिकाओं के लिए सुरक्षित खेल मैदानों की हो व्यवस्था

मुजफ्फरपुर में हजारों महिलाओं ने अपनी बेटियों के लिए सुरक्षित खेल मैदानों की मांग की है। यह मांग महिला संवाद कार्यक्रम के तहत उठाई गई है, जिसमें एक लाख से अधिक महिलाएं शामिल हुई हैं। महिलाएं स्थानीय...

Newswrap हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुरWed, 30 April 2025 10:57 PM
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सामूहिक रूप से बालिकाओं के लिए सुरक्षित खेल मैदानों की हो व्यवस्था

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। जिले के हर गांव-टोले में सामूहिक रूप से बालिकाओं के लिए सुरक्षित खेल मैदानों की व्यवस्था हो। पढ़ाई के साथ ही सुरक्षित खेलने का वातावरण भी बेटियों को मिले। इसकी मांग हजारों महिलाओं ने उठाई है। इसको प्रोजेक्ट के तौर पर तैयार कर सरकार को भेजा जा रहा है। जिले में अब तक एक लाख से अधिक महिलाएं महिला संवाद कार्यक्रम में शामिल हो चुकी हैं। इन सभी ने बेटियों के लिए सुरक्षित खेल मैदान का मुद्दा उठाया है। इन दिनों जिले के गांवों में सुबह से लेकर शाम तक उत्सवी नजारा है l गांव की हर पगडंडियों से लेकर सड़क तक ग्रामीण महिलाओं का हुजूम देखने को मिल रहा है।

ये वे महिलाएं हैं जो राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही योजनाओं की सफलता और नए हुए कार्यों और नीतियों के क्रियान्वयन के लिए एकत्रित हो रही हैं l राज्य सरकार ने इन्हें महिला संवाद कार्यक्रम के माध्यम से अपने-अपने गांव के विकास के लिए योजना बनाने, आकांक्षाएं प्रकट करने एवं अब तक हुए विकासात्मक कार्यों से इतर इच्छा प्रकट करने का अवसर प्रदान किया है। बेटियों ने कहा-मिले गांव में हर सुविधा, नहीं करना पड़े शहर का रुख महिला संवाद का यह मंच महिलाओं की आवाज को सीधे नीति-निर्माताओं और प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचाने का एक प्रभावी माध्यम बनते जा रहा है। इसके माध्यम से न केवल महिलाएं अपनी समस्याएं और चुनौतियां बता रही हैं, बल्कि उनकी विचारों, आकांक्षाओं और समाधान के सुझावों को भी प्रमुखता मिल रही है। इससे सामूहिक सामाजिक बदलाव की नींव रखी जा रही है। संवाद कार्यक्रम के अंतर्गत गांव की वृद्ध महिलाओं ने अपनी ओर से वृद्धा राशि में वृद्धि की मांग उठाई है, ताकि उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सके। छात्राओं ने गांवों में उच्च शिक्षा सुविधाओं की स्थापना की आवश्यकता को जोरदार ढंग से सामने रखा, जिससे उन्हें शिक्षा प्राप्ति के लिए शहरों का रुख न करना पड़े। गृहिणियों ने स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों की मांग की, ताकि वे परिवार के साथ रहकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

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