स्क्रीन टाइम करें कम, जीवन में रखें फन
Aligarh News - फोटो.. हिन्दुस्तान स्वास्थ्य संकल्प कार्यक्रम में चिकित्सकों ने दिए व्याख्यान आम जीवन में कम करें

फोटो.. हिन्दुस्तान स्वास्थ्य संकल्प कार्यक्रम में चिकित्सकों ने दिए व्याख्यान आम जीवन में कम करें मोबाइल का उपयोग, स्वस्थ रहें बच्चे ज्यादा मोबाइल के उपयोग से बच्चों में घट रही एकाग्रता दो सौ से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की चिकित्सकों ने अलीगढ़, कार्यालय संवाददाता। मोबाइल आम जीवन के लिए जितना फायदेमंद होता है, उतना ही खतरनाक भी हो सकता है। मोबाइल के ज्यादा उपयोग से आखों पर असर तो होता ही है, साथ ही मानसिकता भी प्रभावित होती है। आपके अखबार हिन्दुस्तान की ओर से हिन्दुस्तान स्वास्थ्य संकल्प के तहत सूर्य सरोवर स्थित थ्री डॉट्स सेवा मार्ग पब्लिक स्कूल में बुधवार को बच्चों की नि:शुल्क स्वास्थ्य की जांच की गई।
चिकित्सकों ने अपने-अपने व्याख्यान से जागरूक भी किया। कार्यक्रम में चिकित्सकों ने बताया कि किस तरह हम मोबाइल की गिरफ्त में जा रहे हैं। इसके जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से किस तरह मानिसक विकार पैदा हो रहे हैं। चिकित्सकों ने उनके पास आने वाले मानसिक रोगियों की जानकारी देकर बच्चों को सतर्क किया। बच्चों के आक्रामक स्वभाव का एक कारण मोबाइल भी है। इस दौरान चिकित्सकों ने बिट कंप्यूटर्स के सौ से ज्यादा बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की। उन्हें बचाव के तरीके बताते हुए जागरूक किया। कार्यक्रम का शुभारंभ बीएसए डॉ. राकेश सिंह, थ्री डॉट्स स्कूल की प्रधानाचार्या ज्योत्सना जोशी, विनीत शर्मा, डॉ. अनूप कुमार, डॉ. प्रशांत शुक्ला, डॉ. अभिषेक शर्मा व जिला क्षय रोग केंद्र से सतेंद्र कुमार ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इसके बाद कार्यक्रम में अतिथि चिकित्सकों को मोमेंटो व शॉल देकर सम्मानित किया गया। खिलौना नहीं है मोबाइल रामघाट रोड स्थित साईं ज्योति आई केयर सेंटर से डॉ. प्रशांत शुक्ला ने बच्चों को बताया कि तकनीक अच्छी भी है और खराब भी। इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करें। स्क्रीन टाइम ज्यादा नहीं होना चाहिए। जिस तरह से दौड़ने के बाद थकान होती है, उसी तरह मोबाइल से आखों की मसल्स थक जाती हैं। उन्हें आराम देना चाहिए। 3 से 5 वर्ष के बच्चे पढ़ाई के लिए ही मोबाइल का यूज करें। उसमें गेम न खेले, रील, वीडियो न देखें। इससे आखों की नमी कम हो जाती है। मोबाइल में रेडिएशन ज्यादा है। स्क्रीन टाइम को कम से कम समय दें। बड़ी स्क्रीन पर काम करें। मोबाइल खिलौना नहीं बल्कि खतरनाक गैजेट है। माता-पिता भी बच्चों को मोबाइल न दें। सही तरीके से करें दातों की सफाई मॉडर्न डेंटल व वेलनेस सेंटर से दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेश तोमर ने बच्चों को बताया कि किस तरह अपने दातों की सफाई करनी चाहिए। अक्सर दातों में सफाई के बाद भी गंदगी रह जाती है, जिससे समस्याएं होने लगती हैं। उन्होंने कहा कि चॉकलेट या कुछ भी खाने के बाद कुल्ला जरूर करें व रात को सोने से पहले ब्रश जरूर करें। परेशानी होने पर डेंटिस्ट के पास जाएं। मोबाइल से पढ़ने की आदत हुई खत्म बीएसए डॉ. राकेश सिंह ने हेल्थ पैकेज कार्यक्रम के लिए हिन्दुस्तान का धन्यवाद किया। कहा कि विदेशों में नो मोबाइल डे मनाया जाता है। सोचिए किस स्तर का प्रकोप मोबाइल का है। कोविड में मोबाइल ने हेल्प की। इतना ही सीमित रखना है। घर में सबके अलग मोबाइल है। सब अपने में सिमटे हुए हैं। परिवार विखंडन तक बात पहुंच गई है। रील्स के प्रोग्राम इफेक्ट कर रहे हैं। पढ़ने की आदत खत्म हो रही है। मोबाइल का इस्तेमाल कम से कम करें। पहले अच्छे इंसान बने। स्वस्थ नहीं तो सुखी नहीं रह सकते। साइबर बुलिंग से रहे सावधान बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक शर्मा ने मोबाइल के नकारात्मक प्रभाव बताए। बच्चों से कहा कि आप देश के भविष्य हो। खुद को ठीक रखो। तकनीक के साथ रहना होगा। मगर, लिमिटेड टाइम रखो। साइबर बुलिंग के बारे में बात करते हुए कहा कि कुछ गेम गलत है, जो बच्चों को फंसा देते हैं। गलत एक्टिविटी में शामिल करते हैं। ऐसा होता है तो माता-पिता को बताएं। मोबाइल स्क्रीन से दिमाग उसी में रह जाता है। आलस आ जाएगा। दिमाग क्रिएटिव नहीं हो पाएगा। मोटापा आएगा। फिजिकल हेल्थ पर असर पड़ेगा। मोबाइल से ज्यादा परिवार को समय दें। अपने माता-पिता, भाई-बहन से बात करें। इससे दिमाग का विकास होगा। साथ ही प्रकृति को बचाने के लिए बच्चों को प्रण कराया कि अपने जन्मदिन पर पौधरोपण करें। माता-पिता से गिफ्ट के रूप में पौधा मांगे। आगे जाकर वह ऑक्सीजन और छांव देगा। जैसा देखेंगे, वैसा करेंगे जैन नेक्स्ट न्यूरो केयर से मनोचिकित्सक डॉ. अनूप कुमार ने बच्चों से कहा कि जल्दी सोना और जल्दी उठना है। इससे दिमाग तरोताजा रहता है। सुबह फ्रेश उठेंगे। सुबह दिमाग ज्यादा एक्टिव होता है। मोबाइल का यूज कम करें। जैसा देखेंगे वैसा करेंगे। अपनी उम्र से ज्यादा की चीजे न देखें। क्लास में जो भी पढ़ाया उसे दोहराएं। दोस्तों के साथ डिस्कस करें। साथ ही सबसे अच्छे दोस्त पेड़ होते हैं। जन्मदिन पर एक पौधा जरूर लगाएं। भूत की कहानी से दी शिक्षा जिला क्षय रोग विभाग से सतेंद्र ने बच्चों को टीबी के भूत की कहानी सुनाई। बताया कि ये भूत वहां रहता है, जहां ज्यादा गंदगी रहती है। जो बच्चा फास्ट फूड खाता है ये भूत उसके अंदर चला जाता है। ये शरीर में जाकर खांसी, बुखार, कमजोरी पैदा करता है। इसे पहचानने की जरूरत है। बच्चों को इससे बचने का मंत्र देते हुए बताया कि खांसी आने पर मुंह को रुमाल से ढकें, रोज नहाएं, हाथ धोएं, हरी सब्जी, फल, दूध का सेवन करें। दो हफ्ते तक खांसी न जाने पर चिकित्सक को दिखाएं। ब्लड आने पर मानें कि टीबी का भूत अंदर आ गया है। इसकी जांच कराएं। पेन-पेपर से करें काम विनीत कोचिंग एंड गाइडेंस सेंटर के निदेशक विनीत शर्मा ने बताया कि मोबाइल बिल्कुल यूज न करें। ये शराब की तरह खतरनाक है। ब्रेन पूरी बॉडी का जरूरी पार्ट है। ये तभी एक्टिव होता है जब काम लेते हैं। जब काम नहीं लेंगे तो काम नहीं करेगा। फोन ब्रेन यूज करने नहीं देता। फोन की हेल्प लेते है। ब्रेन का यूज नहीं करते। होमवर्क भी फोन की मदद से करते हैं। सारा काम पेन पेपर से होना चाहिए। टीचर से अनुरोध किया कि बच्चों को फोन पर कोई काम न दें। बच्चों को कराएं योग संजय बाल जीवन ग्रुप की निदेशक निधि अग्रवाल ने बताया कि बच्चों को जबसे ज्यादा जरूरत योग की है। जैसे पीटी करते हो, उसी तरह योग करना सीखों। 30 मिनट योग को दें। प्रकृति का सानिध्य मिलेगा। प्रदूषण के वातावरण से निजात मिलेगी। शाम के समय फ्री होने पर बच्चों को योग कराएं। 5 प्राणायाम रोज करें। बीमारियों से निजात मिलेगी। योग का अभ्यास करें। मोबाइल का यूज न करें। सभी बच्चों ने लिया प्रण कार्यक्रम के अंत में सारे बच्चों ने शपथ ली कि उन्होंने जो सीखा है, उसका अपने जीवन में अनुसरण करेंगे। मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करेंगे। स्वस्थ व संतुलित आहार लेंगे। जंक फूड से परहेज करेंगे। समय से सोएंगे व समय से जागेंगे। मानसिक तनाव को अपने से दूर रखेंगे। खुद भी खुश रहेंगे व अपने आस पास के वातावरण को भी खुशनुमा रखेंगे। कार्यक्रम के सह प्रायोजक: थ्री डॉट सेवामार्ग पब्लिक स्कूल, बिट ग्रुप ऑफ एजूकेशन, संजय बाल जीवन ग्रुप। अन्य प्रयोजक: विनीत कोचिंग एंड गाइडेंस सेंटर, मॉडर्न डेंटल एंड वेलनेस सेंटर, सस्मित न्यूरो केयर एंड सुपर स्पेशलिटी सेंटर, शर्मा आर्थोप्लास्टि एंड मल्टी स्पेशलिटी सेंटर हैं। धन्यवाद किया ज्ञापित थ्री डॉट्स सेवा मार्ग पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या ज्योत्सना जोशी ने कहा कि पढ़ाई बेहद जरूरी है। मगर, हर बच्चे की अपनी एक खूबी है, उसे पहचान कर उसके अनुरूप कार्य करें। मोबाइल का कम से कम इस्तेमाल करें। बाहरी खेल कूद को बढ़ावा दें, जिससे शारीरिक विकास हो। इसके साथ ही कार्यक्रम के सफल आयोजन पर उन्होंने बीएसए डॉ. राकेश सिंह के साथ सभी अतिथि चिकित्सकों व हिन्दुस्तान टीम का आभार व्यक्त किया।
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