एम्स गोरखपुर प्रशासन ने 86 सीनियर रेजिडेंट के लिए आवेदन मांगा है। एम्स के क्लीनिकल और नॉन क्लीनिकल 29 विभागों में सीनियर रेजिडेंट के 86 पद रिक्त है। इनमें सबसे ज्यादा 10 पद ट्रामा और इमरजेंसी मेडिसिन में हैं। एम्स के अलग-अलग विभागों में सीनियर रेजीडेंट पर इलाज की अहम जिम्मेदारी होती है।
एम्स गोरखपुर की नई कार्यकारी निदेशक डॉ .विभा दत्ता ने कहा कि एम्स की खामियों को दूर कर व्यवस्था बेहतर बनाएंगी। एम्स में डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए स्पेशल ड्राइव चलाया जाएगा। एम्स में सुपर स्पेशियलिटी के हर विभाग खोले जाएंगे। मरीजों को रेफर न करना पड़ा। डाक्टरों की कमी दूर होगी।
एम्स प्रशासन ने ICU में तीमारदारों के एंट्री पर रोक लगा दिया है। इसके अलावा आईसीयू में विसंक्रमण के साथ ही साफ-सफाई की राउंड को भी दो गुना कर दिया गया है। खास बात यह है कि इस कवायद के दौरान आईसीयू को बंद करने की आवश्यक्ता नहीं पड़ी। चरणबद्ध तरीके से समूचे आईसीयू को विसंक्रमित कर दिया गया है।
बिना बताए अकेले पहुंचने पर उन्होंने मेस के खाने की जांच की। उन्हें वहां हर कदम पर खामियां मिलीं। कमियों को देखकर उन्होंने हैरानी जताई। उन्होंने मेस संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही पांच सदस्यीय कमेटी को रिपोर्ट तैयार कर जुर्माना लगाने की बात कही है।
एक गार्ड पर नशे की हालत में बदसलूकी का आरोप लगाते हुए छात्र धरने पर बैठ गए। रात करीब 11 बजे सूचना पर पहुंची पुलिस ने समझाकर उन्हें शांत कराया। पुलिस ने पीड़िता को बुलाया तो छात्रों ने इनकार कर दिया। अब छात्रों से प्रार्थना पत्र मांगा गया है। उसी आधार पर पुलिस केस दर्ज करेगी।
लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिवार के लोगों ने 112 नंबर डायल कर पुलिस बुला ली। पुलिस के आने के परिजनों ने आरोप लगाया कि जूनियर डॉक्टरों ने महिला के इलाज में लापरवाही की। सांस की नली डालते ही मरीज की मौत हो गई। किसी तरह समझाने बुझाने के बाद परिजन शव लेकर चले गए।
एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक डॉ. जीके पाल पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बड़ी कार्रवाई की है। शुक्रवार को उन्हें एम्स गोरखपुर के कार्यकारी निदेशक पद से हटा दिया गया। हालांकि उनका कार्यकाल दो अक्तूबर तक था।
गर्भवती के पति ने एक डॉक्टर से इलाज के लिए कहा तो वह भड़क गया। आरोप है कि उस समय ड्यूटी कर रहे एक डॉक्टर ने पति को गाली देते हुए थप्पड़ मार दिया। साथ ही बाहर भगाने लगा।
कोरोना टीकाकरण के प्रभाव को लेकर रिसर्च विवादों के घेरे में आ गई है। एम्स गोरखपुर ने साफ कर दिया कि फिजियोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चारुशीला रूकादिकर का शोध मानकों पर खरा नहीं है।
कभी कुपोषण से जूझने वाली मलिन बस्तियों में अब मोटापा बड़ी समस्या बनती जा रही है। यह सामने आया एम्स के एक अध्ययन में। यह अध्ययन गोरखपुर की 16 मलिन बस्तियों (स्लम एरिया) में किया गया।