Hindi Newsगैलरीपंचांग-पुराणMaha Shivratri 2025: रहस्यमयी है भगवान शिव की वेशभूषा, जानें क्या है तीसरी आंख से लेकर सर्पमाला का मतलब

Maha Shivratri 2025: रहस्यमयी है भगवान शिव की वेशभूषा, जानें क्या है तीसरी आंख से लेकर सर्पमाला का मतलब

Maha Shivratri 2025: भगवान शिव की तरह ही उनकी वेशभूषा भी रहस्यमयी है। फूल मालाओं तथा आभूषणों के बजाय बदन पर भस्म और गले में सर्प लटका कर बाबा शृंगार करते हैं। आइए जानें हर वेशभूषा का क्या है मतलब

Anuradha PandeyTue, 25 Feb 2025 08:49 AM
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 शिव की रहस्मयी वेशभूषा

भगवान शिव की तरह ही उनकी वेशभूषा भी रहस्यमयी है। फूल मालाओं तथा आभूषणों के बजाय बदन पर भस्म और गले में सर्प लटका कर बाबा शृंगार करते हैं। शिव के द्वारा धारण किए गए अस्त्रत्त्, शस्त्रत्त् और वस्त्रत्त् के भी विशेष अर्थ हैं। इनके बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य पं. विकास शास्त्री से

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तीसरी आंख

तीसरी आंख - धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं। एकमात्र शिव की ही तीन आंखें हैं इसीलिए शिव त्रिनेत्रधारी कहलाए। तीसरी आंख खुलते ही विनाश होता है। सामान्य हाल में शिवजी की तीसरी आंख विवेक के रूप में जागृत रहती है। त्रिपुंड तिलक: त्रिपुंड तीन लंबी धारियों वाला तिलक है। यह त्रिलोक्य और त्रिगुण अर्थात सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण का प्रतीक है। त्रिपुंड सफेद चंदन अथवा भस्म का होता है।

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शरीर पर भस्म

भस्म : भगवान शिव अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं, जो इस बात का संदेश देता है कि संसार नश्वर है और हर प्राणी को एक दिन भस्म हो जाना है। गंगा : गंगा को जटा में धारण करने के कारण ही शिव को जल चढ़ाया जाता है। शिवजी की जटाओं से ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था। शिव द्वारा जटा में गंगा आध्यात्म और पवित्रता को दर्शाती हैं।

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नंदी का क्या है रहस्य

नंदी-नंदी भगवान शिवजी के वाहन हैं इसलिए सभी शिव मंदिर के बाहर नंदी जरूर देखने को मिलते हैं। नंदी को धर्म का रूप भी माना गया है। नंदी के चारों पैर चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को दर्शाते हैं। बाघंबर: बाघ को शक्ति और सत्ता का प्रतीक माना गया है। शिव ने वस्त्रत्त् के रूप में बाघ की खाल धारण की जो दर्शाती है कि वे सभी शक्तियों से ऊपर हैं।

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सांपों की माला

सर्प की माला: भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जो गले में नाग धारण करते हैं। भगवान शिव के गले में लिपटा सर्प वासुकी नाग है। वासुकी नाग भूत, वर्तमान और भविष्य का सूचक है। चंद्रमा- भगवान शिव का एक नाम भालचंद्र भी है। भालचंद्र का अर्थ है मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाला। चंद्रमा का स्वभाव शीतल होता है। चंद्रमा मन का कारक है। भगवान शिव के सिर पर अर्धचंद्रमा आभूषण की तरह सुशोभित है।

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शिवजी का अस्त्र है त्रिशूल

त्रिशूल : अस्त्र के रूप में शिव के हाथ में हमेशा त्रिशूल रहता है। माना जाता है कि त्रिशूल दैविक, दैहिक और भौतिक तापों का नाश करने वाला शस्त्रत्त् है। भगवान शिव के त्रिशूल में राजसी, सात्विक और तामसी तीनों गुण समाहित हैं।

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डमरू का क्या है अर्थ

डमरू : भगवान शिव के पास डमरू है जो नाद का प्रतीक है। शिवजी के डमरू की ब्रह्मांडीय ध्वनि से नाद उत्पन्न होता है, जिसे ब्रह्मा का रूप माना जाता है। डमरू सृष्टि के आरंभ और ब्रह्म नाद का सूचक है।रुद्राक्ष : पौराणिक कथा के अनुसार जब शिवजी ने गहरे ध्यान के बाद आंखें खोली तो उनकी आंखों से आंसू की बूंद पृथ्वी पर गिरी, जिससे रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई। शिवजी अपने गले और हाथों में रुद्राक्ष पहनते हैं जो शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है।