अहमदाबाद में बुलडोजर ऐक्शन पर गुजरात हाईकोर्ट की मुहर; अभियान पर रोक से इनकार, क्या कहा?
अहमदाबाद के चंदोला झील क्षेत्र में चलाए गए ध्वस्तीकरण अभियान को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देने की कोशिश नाकाम हो गई है। अदालत ने अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

अहमदाबाद के चंदोला झील क्षेत्र में चलाए गए बड़े पैमाने पर ध्वस्तीकरण अभियान पर गुजरात उच्च न्यायालय ने भी मुहर लगा दी है। गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को अहमदाबाद के चंदोला झील क्षेत्र में चलाए गए तोड़फोड़ अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। चंदोला झील के 18 निवासियों के एक समूह ने बिना किसी नोटिस के अतिक्रमण हटाने के राज्य सरकार के अभियान को अवैध और मनमाना करार देते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील आनंद याग्निक ने बताया कि न्यायमूर्ति मौना भट्ट ने यह देखते हुए बुलडोजर अभियान पर रोक लगाने से इनकार कर दिया क्योंकि याचिकाकर्ताओं के आवास जल निकाय के बाहरी इलाके में हैं। उन्होंने कहा कि भूमि राजस्व संहिता की धारा 37 के अनुसार सरकार की ओर से ऐसे ढांचे गिराए जा सकते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अवैध अतिक्रमणकारी हैं। ऐसे में उनको ऐक्शन से राहत नहीं दी जा सकती है।
अदालत ने यह भी कहा कि यदि कोई याचिकाकर्ता सरकार की 2010 और 2013 की पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीतियों के तहत आता है तो इसके लिए अहमदाबाद नगर निगम को विचार के लिए एक अभ्यावेदन दिया जा सकता है। चंदोला झील के निवासियों ने इस आधार पर बुलडोजर ऐक्शन पर रोक लगाने की मांग की थी कि उन्हें इसके लिए कोई नोटिस जारी नहीं किए गए थे। उनका कहना था कि वे बीते छह दशकों से इस इलाके में रह रहे हैं।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी दलील दी कि उनके पास राशन कार्ड, चुनाव पहचान पत्र और आधार कार्ड जैसे सभी जरूरी कागजात हैं। बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में उनके परिवार के सदस्यों को हिरासत में लेना अवैध है। उन्होंने याचिका में दावा किया कि केवल मौखिक रूप से विध्वंस अभियान शुरू करने के बारे में जानकारी दी गई थी। उन्हें वैकल्पिक आवास प्रदान किए बिना ऐसी कार्रवाई करना गलत है।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा कि अभियान को अंजाम देने के लिए एक झूठी कहानी गढी गई कि वे बांग्लादेशी हैं। उनके परिवार के कुछ सदस्यों को हिरासत में लिया गया था। सरकारी वकील जीएच विर्क ने तर्क दिया कि सार्वजनिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों को टेक्निकलटीज में नहीं डाला जा सकता है। यह अभियान राज्य के लोगों की सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को बनाए रखने के लिए चलाया जा रहा है। इसे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों से प्रभावित नहीं किया जा सकता है।
अदालत में दाखिल किए गए राज्य सरकार के हलफनामे के अनुसार, बीते कुछ वर्षों में चंदोला झील के आसपास का इलाका कथित तौर पर अवैध गतिविधियों का केंद्र बन गया है। इन अवैध गतिविधियों में देह व्यापार और नशीले पदार्थों की तस्करी से लेकर दस्तावेजों की जालसाजी और चरमपंथी तत्वों को शरण देना शामिल है। राज्य सरकार ने झील क्षेत्र से संदिग्ध अल-कायदा मॉड्यूल से जुड़े चार बांग्लादेशी नागरिकों की गिरफ्तारी का हवाला दिया। राज्य सरकार का कहना है कि ऐसी गतिविधियां राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हैं।
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