क्यों बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही ऑडियंस? पंकज त्रिपाठी ने बताई इसके पीछे की असली वजह
- पंकज ने अपने करियर में कॉमेडी से लेकर गंभीर किरदारों से दर्शकों का दिल जीता है। वो ये बात अच्छे से जानते हैं कि दर्शकों को क्या पसंद है और क्या नहीं। से में अब पंकज ने अपने हालिया इंटरव्यू में क्यों ऑडियंस बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही है, इसके पीछे की वजह बताई।
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बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता पंकज त्रिपाठी हमेशा से अपने फैंस के दिलों पर राज करते हैं। अपने करियर में पंकज ने कई हिट फिल्मों में काम किया है। पंकज ने अपने करियर में कॉमेडी से लेकर गंभीर किरदारों से दर्शकों का दिल जीता है। वो ये बात अच्छे से जानते हैं कि दर्शकों को क्या पसंद है और क्या नहीं। ऐसे में अब पंकज ने अपने हालिया इंटरव्यू में क्यों ऑडियंस बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही है, इसके पीछे की वजह बताई।
बॉलीवुड से कनेक्ट नहीं कर पा रही है ऑडियंस
पंकज त्रिपाठी ने एक्सप्रेसो को दिए अपने इंटरव्यू में अपने बचपन, बिहार के एक छोटे से शहर से सिनेमा तक के सफर सहित कई विषयों पर बात की। साथ ही उन्होंने हिंदी सिनेमा का दर्शकों से दूर होते जाने का कारण क्या है ये भी बताया। इस दौरान पंकज ने कहा, 'अगर हम जमीनी कहानियां नहीं दिखाएंगे तो लोग हमारी फिल्मों से क्यों जुड़ेंगे?' पंकज ने आगे कहा, '90 के दशक और उससे पहले के सिनेमा में जादू की भावना थी। जब हम स्क्रीन पर किरदारों को चलते और बात करते हुए देखते थे, तो उनके साथ एक अलग ही जुड़ाव महसूस करते थे। हम उनके साथ हंसते थे। हम उनके साथ रोते थे। लेकिन अब, कोई जादू नहीं रह गया है। दर्शक अपनेपन की तलाश में रहते हैं और उन्हें किरदार के साथ एक कनेक्शन की भावना की जरूरत होती है। वे जड़ों से जुड़े होने की तलाश में रहते हैं, जो उन्हें अब मिल नहीं पा रही है।'
फिल्मों में आइटम सॉन्ग पर बोले पंकज
मिर्जापुर के अभिनेता ने आगे कहा, 'जड़ से जुड़ी कहानियां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। अगर हिंदी सिनेमा अपनी जड़ों से कट जाएगा, तो यह हमेशा एक समस्या बनी रहेगी।' इसी दौरान पंकज ने फिल्मों में आइटम सॉन्ग पर भी बात की। उन्होंने कहा, 'स्त्री के बाद आइटम सॉन्ग की संख्या बढ़ी है। इस पर जब मैंने पूछा कि इतने सारे आइटम सॉन्ग क्यों हैं? इस पर फिल्म निर्माताओं ने कहा कि वो जनता की मांग का पालन कर रहे हैं। लेकिन… कौन सी जनता बैठकर उन्हें ऐसे गाने शामिल करने की मांग करते हुए पत्र लिखती है? यह सब निर्माताओं का फैसला है कि वो इसे सफलता का फार्मूला समझते हैं। अगर प्रयोग के लिए कोई जगह नहीं होगी, तो लोग बहुत आसानी से ऊब जाएंगे।'
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