सेलीना जेटली ने याद किया कश्मीर में बिताया बचपन, बोलीं- ट्रेनिंग दी जाती थी कि जब गोली चले तो…
सेलीना जेटली ने बताया कि उनके पिता सेना में थे तो वह कुछ वक्त कश्मीर में भी रही हैं। वहां उन्हें हथियारबंद गार्ड्स के साथ स्कूल जाना पड़ता था और आतंकी हमले से बचने की ट्रेनिंग दी जाती थी।

सेलीना जेटली का बचपन का कुछ वक्त कश्मीर में बीता है। पहलगाम अटैक के बाद उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल पोस्ट किया जिसमें पुरानी यादें ताजा की हैं। सेलीना ने बताया कि कैसे बचपन में उन लोगों को ट्रेनिंग दी जाती थी कि आतंकी हमला हो तो उन्हें क्या करना है। सेलीना ने दुख जताया कि कैसे ऋषियों की भूमि रहा कश्मीर अब दुख में डूबा है।
याद किए कश्मीर के दिन
सेलीना ने अपने बचपन की एक फोटो शेयर करके लिखा है, एक सैनिक की बेटी शैव भूमि में: गोलियों से बचती हुई, अपने भय से नहीं। सेलीना आगे लिखती हैं, मेरे कश्मीर के बचपन की एक झलक: यह मेरी बचपन की तस्वीर है जिसमें मैं कश्मीर में हूं। आर्मी पब्लिक स्कूल, उधमपुर में पढ़ती थी। यह तस्वीर नॉर्थ स्टार कैंप, पत्नी टॉप में ली गई थी, मेरी उम्र 8 या 9 साल रही होगी। पहाड़ी रेजीमेंट के एक सेना अधिकारी की बेटी होने के नाते, मुझे भारत के सबसे खूबसूरत पहाड़ी इलाकों- कश्मीर, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश में बड़े होने का सौभाग्य मिला, लेकिन कश्मीर की मेरी यादें हमेशा एक अजीब से डर से भरी रही हैं।
गार्ड्स के साथ जाती थीं स्कूल
मैं अक्सर अपनी मां (दिवंगत) से पूछती थी, मां, हमें हमेशा हथियार लिए गार्ड्स के साथ स्कूल क्यों जाना पड़ता है? आर्मी बच्चों को अच्छी तरह याद होगा, वह भारी-भरकम मिलिट्री थ्री-टन ट्रक या शक्तिमान बसें जिन्हें हम स्कूल बस के तौर पर इस्तेमाल करते थे। बचपन में भी मैं सोचती थी, 'हमें हमेशा डर के साए में क्यों जीना पड़ता है?' तब मुझे समझ नहीं आता था। आज भी मुझे वो ट्रेनिंग याद हैं जो हमारे अंदर डाली गईं कि गोलीबारी होने पर कैसे झुकना है, कैसे चुप रहना है।
खौफ में बीता कश्मीर का वक्त
बचपन के शुरुआती दिन रानीखेत और शिमला जैसी शांत जगहों पर बिताने के बाद यह मेरे लिए दिल तोड़ने वाला था कि कश्मीर में मैं न तो खुलकर मैदानों में दौड़ सकती थी, न जंगली फूल चुन सकती थी और न ही दोस्तों के साथ बेखौफ होकर खेल सकती थी।
दुखों में कैसे डूब गय कश्मीर
और यह समझना और भी कठिन था कि ऋषियों की भूमि के नाम से जानी जाने वाली घाटी जो प्राचीन हिंदू ज्ञान, शैव दर्शन और कश्मीरी संस्कृति को गोद में लिए रही है वह इतने दुख में कैसे डूब सकती है। कश्मीर, जो कभी आध्यात्मिकता, दर्शन और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक था वो धीरे-धीरे हिंसा और आतंक की चपेट में आ गया।
पहलगाम अटैक पर बोलीं सेलीना
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमलों ने बचपन की ऐसी कई डरावनी यादों को वापस ला दिया। आतंक ने हमारे प्यारे भारतीय पहाड़ों की शांति और सुंदरता को ढक लिया है। अभी नहीं तो कभी नहीं। हम डर के इस चक्र को खत्म करना होगा जो कई पीढ़ियों को अपने कब्जे में ले रहा है। तभी हम इन पवित्र पर्वतों के सच्चे उद्देश्य को फिर से जी पाएंगे, जहां फिर से शांति, सुंदरता और आध्यत्मिकता का वास होगा। जय हिंद!
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