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जातीयगणना की घोषणा से सियासी दलों में बढ़ी हलचल

Etah News - भारत सरकार ने जाति गणना कराने का निर्णय लिया है, जिससे राजनीतिक दलों और आम लोगों में हलचल मच गई है। एटा जिले में जातियों की हिस्सेदारी को लेकर चर्चा हो रही है। इससे चुनावी रणनीतियों पर असर पड़ेगा और...

Newswrap हिन्दुस्तान, एटाWed, 30 April 2025 10:53 PM
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जातीयगणना की घोषणा से सियासी दलों में बढ़ी हलचल

भारत सरकार की ओर से जाति गणना कराने की घोषणा के बाद राजनीतिक दलों के अलावा आम लोगों में हलचल है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव को लेकर लोग अभी से कयास लग रहे हैं कि चुनाव में परिणाम कैसे रहेंगे। हालांकि कुछ लोग जातिगत गणना को अच्छा नहीं मानते। एटा जिले में चार विधानसभा आती हैं जबकि एटा से तीन लोकसभा क्षेत्र भी जुड़ता है। एटा लोकसभा के अलावा आगरा लोकसभा क्षेत्र और फर्रुखाबाद लोकसभा लोकसभा क्षेत्र में भी एक-एक विधानसभा के हिस्सेदारी रहती है। जिले में यादव और लोधी का करीब-करीब बराबर की हिस्सेदारी मानी जाती है। दोनों ही जातियों का 15-15 फीसदी वोट गिना जाता है।

अब इस घोषणा के बाद चुनाव के दौरान जाति को लेकर हो रही सियासत पर विराम लग जाएगा। इस गणना के बाद अगड़े और पिछड़ों की संख्या भी स्पष्ट होगी। भाजपा और उसके विरोधी दलों की माने जाने वाली जातियों के वोट भी गिन जाएंगे। जातिगत गणना के बाद समाज में आरक्षण को लेकर चल रही हिस्सेदारी की बात पर भी अभी से जोर दे रहे है। जिले में वर्तमान संभावित जातिगत आंकड़े जिले में जातिगत आंकड़ों को लेकर अधिकारिक रूप से कोई कुछ भी स्पष्ट नहीं है। आंकड़ों की माने तो जिले में ब्राहमण साढ़े पांच प्रतिशत, ठाकुर 10 प्रतिशत, वैश्य आठ प्रतिशत, मुस्लिम सात फीसदी, लोधी-यादव समाज की करीब 15-15 फीसदी जिले में हिस्सेदारी बताई जाती है। पाल-बघेल साढ़े चार फीसदी, कश्यप चार फीसदी, जाटव 12 फीसदी, बाल्मीकि ढाई फीसदी, धोबी साढ़े तीन फीसदी की हिस्सेदारी में है। अन्य जातियों की संख्या आठ फीसदी है। सीसीपीए का जातिवार जनगणना का निर्णय देश में जातियों की सामाजिक आर्थिक स्थिति के अध्ययन और उन्नयन की दृष्टि से तो ठीक है लेकिन राजनीतिक दलों को जातियों का राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग करने से बचना चाहिए। 21वीं सदी में, सशक्त भारत के निर्माण के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक की पहचान एक भारतीय के रूप में होनी चाहिए न कि जातीय या धार्मिक खांचे में बंटे व्यक्ति के रूप में।-डॉ रत्नेश कुमार मिश्र,जवाहर लाल नेहरू महाविद्यालय एटा। सपा की बहुत दिनों से मांग थी। सपा के दबाव में सरकार ने यह निर्णय लिया है। इस जाति गणना से सबकुछ साफ हो जाएगा। जितनी जिसकी हिस्सेदारी, उतनी उसकी भागेदारी मिलेगी।--परवेज जुबैरी, जिलाध्यक्ष, समाजवादी पार्टी, एटा। सरकार का सही निर्णय है। इस निर्णय से सभी जातियों को फायदा होगा। बसपा इस निर्णय का स्वागत करती है।-धर्मेन्द्र सोनी, जिलाध्यक्ष, बसपा, एटा। प्रधानमंत्री की ओर से जातिगत जनगणना का निर्णय लिया गया है। वह बहुत अच्छा है। इस जाति गणना के बाद सबकुछ स्पष्ट हो जाएगा।-संदीप जैन, जिलाध्यक्ष, भाजपा, एटा। सरकार का यह निर्णय अच्छा है। केन्द्र सरकार ने विपक्ष नेता राहुल गांधी की बात है। वह जनगणना के लिए आवाज उठायी है। सरकार बैकफुट पर गई है। उन्होंने जातिगत गणना की मांग को पूरा कराकर ही दम लिया।-आशिक हुसैन, जिलाध्यक्ष, कांग्रेस, एटा।

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