अखिलेश यादव ने रविवार को एक बार फिर मुख्यमंत्री आवास को गंगा जल से धुलवाने का मामला उठाया। अखिलेश ने कहा कि अब तो मैं गंगा नहा आया, अब गंगा को कैसे धुलवाएंगे।
महाकुंभ में महाशिवरात्रि से पहले महाजाम फिर लगने लगा है। ऐसे में ट्रैफिक व्यवस्था संभालने के लिए छह और आईपीएस अफसरों को प्रयागराज भेजा गया है।
वाराणसी में रोपवे के निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। तीन महिलाओं की याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश देते हुए अगली सुनवाई के लिए अप्रैल की डेट दी है।
यूपी के जालौन में योग कर रहे स्कूल प्रबंधक की धारदार हथियार से सिर काटकर हत्या कर दी गई है। गांव के बाहर पुलिया पर वारदात को अंजाम दिया गया है। हत्या के पीछे प्रबंध समिति चुनाव का विवाद बताया जा रहा है।
आगरा में यूनिकॉर्न कंपनीज कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि 62 करोड़ लोगों का महाकुंभ में आना दुर्लभतम घटना है। मैं इसे स्टार्टअप की दुनिया का यूनिकॉर्न महाकुंभ कह सकता हूं।
मेरठ यूनिवर्सिटी कैंपस में लगातार दूसरे दिन शनिवार को भी मधुमक्खियों ने तांडव मचाया। सुबह से दोपहर तीन बजे तक कैंपस में डेढ़ सौ से ज्यादा छात्र-छात्राओं और अपने काम के लिए पहुंचे लोगों को मधुमक्खियों ने हमला कर घायल कर दिया।
एक शख्स अपनी मकान के नीचे ही फूलों की दुकान करता है। उसके मुताबिक सड़क पर लगे जाम में वह एक ई-रिक्शा चालक को अपनी दुकान से बचाकर ई-रिक्शा निकालने के लिए कहने लगा तभी अचानक बराबर से गुजर रही कार चला रहा युवक उसे गाली देने लगा। आरोप है कि उसकी कार पर एक राजनीतिक दल का झंडा और हूटर लगा हुआ था।
असम विधानसभा की कार्रवाई से मौलाना शहाबुद्दीन नाराज हो गए हैं। विधानसभा में मुस्लिम विधायकों के लिए जुमे के दिन नमाज अदा करने के लिए 2 घंटे के वक्फा (शून्यकाल) के लिए 90 साल की परम्परा को खत्म कर दिया गया है। उन्होंने मांग की है कि नमाज से मुस्लिम विधायक वंचित न रह जाए इसके लिए व्यवस्था की जाए।
आकाश आनंद ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने कांग्रेस पर बहुजन मूवमेंट के अपमान का आरोप लगाते हुए उदित राज को पार्टी से बाहर करने की मांग की। आकाश आनंद ने यहां तक कहा कि संसद में शोर करने और दलित छात्रों के साथ फोटो खिंचवाने से राहुल गांधी दलितों के हितैषी नहीं बन सकते हैं।
परिजनों की रातों की नींद उड़ी हुई है। हर दिन यही चिंता सताए जाती है कि वह किस हाल में होंगे। पुलिस की छानबीन से परिजन नाखुश हैं। पढ़ने की उम्र में बेटे के कंधों पर परिवार का बोझ आ गया है। परिवारीजनों का एक ही सवाल है आखिर वे क्या करें? कहां तलाश करें?