विदेशी वकील, लॉ फर्म भारत में कर सकते हैं वकालत
भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों को भारत में वकालत करने की अनुमति दी है। यह अनुमति पारस्परिकता के आधार पर दी गई है और भारतीय वकीलों को नुकसान पहुंचाए बिना अंतर्राष्ट्रीय...

बीसीआई ने विदेशी कानून की वकालत की अनुमति वाले अपने नियमों में संशोधन को अधिसूचित किया नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने बुधवार को विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों को भारत में वकालत करने की अनुमति दे दी है। बीसीआई ने विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों को पारस्परिकता के आधार पर भारत में विदेशी कानून (गैर-मुकदमेबाजी) की वकालत करने की अनुमति देने वाले अपने नियमों में संशोधन को अधिसूचित कर दिया है। भारतीय विधिज्ञ परिषद द्वारा 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा गया कि भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण और विनियमन के लिए बीसीआई नियम, 2022 में संशोधन किया गया है।
इस इस संशोधन को 10 मार्च, 2023 को राजपत्रित किया गया था। संशोधन से भारतीय वकीलों को नुकसान नहीं बीसीआई ने कहा कि भारत में विदेशी वकीलों और विदेशी लॉ फर्मों के पंजीकरण और विनियमन के लिए बीसीआई द्वारा किए गए संशोधन का उद्देश्य भारतीय वकीलों द्वारा पारंपरिक मुकदमेबाजी को कोई नुकसान पहुंचाए बिना भारत में अंतर्राष्ट्रीय कानून की वकालत को विनियमित किया गया है। इन क्षेत्रों तक सीमित रहेंगे नियम नियमों में यह स्पष्ट किया गया कि विदेशी वकीलों का काम विदेशी कानून, अंतर्राष्ट्रीय कानून और मध्यस्थता मामलों, विशेष रूप से सीमा पार लेन-देन और अंतर्राष्ट्रीय विवादों से संबंधित गैर-मुकदमेबाजी वाले क्षेत्रों तक ही सीमित रहेगा। अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में भाग बीसीआई ने आगे स्पष्ट किया कि विदेशी वकील भारत में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में भाग ले सकते हैं। शर्त यह रहेगी कि ऐसी मध्यस्थता में विदेशी कानून या अंतर्राष्ट्रीय कानून शामिल होने चाहिए। भारतीय वकील भी पंजीकरण करा सकते हैं बीसीआई ने कहा कि नए नियमों के तहत पारस्परिकता के आधार पर भारतीय अधिवक्ता और कानूनी फर्म विदेशी वकीलों या विदेशी कानूनी फर्मों के रूप में पंजीकरण करा सकते हैं। इसके लिए उन्हें घरेलू मंचों पर भारतीय कानून की प्रैक्टिस नहीं छोड़नी पड़ेगी। ऐसे में भारतीय वकील विदेशी कानून और अंतर्राष्ट्रीय कानून परामर्श के लिए अपने अभ्यास का विस्तार कर सकते हैं। विदेशी वकील भारतीय कानून की प्रैक्टिस नहीं कर सकते बीसीआई ने कहा कि यह दोहरा पंजीकरण भारतीय वकीलों को भारतीय कानून के तहत अधिवक्ता के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा और उन्हें व्यापक बनाने का अवसर प्रदान करेगा। इसमें कहा गया कि विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों को भारतीय कानून की प्रैक्टिस करने से स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है। भारतीय वकीलों के लिए सुरक्षा का ध्यान बीसीआई के अनुसार, संशोधित नियमों ने भारतीय वकीलों के लिए सुरक्षा का ध्यान रखा है। बीसीआई ने यह निर्धारित किया है कि भारतीय वकीलों का देश के कानून का अभ्यास उनका अनन्य क्षेत्र बना रहेगा। साथ ही कहा कि विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को कानून और न्याय मंत्रालय और विदेश मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के बाद ही बीसीआई द्वारा भारत में पंजीकृत होना था। विदेशी वकीलों के लिए पंजीकरण की शर्तें नियमों में प्राथमिक कानूनी योग्यता के प्रमाण, अनापत्ति प्रमाण पत्र और भारतीय नियमों के पालन सुनिश्चित करने की घोषणा सहित व्यापक दस्तावेजीकरण अनिवार्य है। इसके अलावा, फ्लाई-इन फ्लाई-आउट (एपआईएफओ) प्रावधान के तहत कानूनी सलाह के लिए अस्थायी प्रवेश चाहने वाले विदेशी वकीलों को अपने प्रवास को 12 महीने की अवधि में 60 दिनों तक सीमित करने वाले सख्त दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इसमें कहा गया कि सभी पंजीकरण अधिकतम पांच वर्षों के लिए वैध होंगे। जरूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरेंगे भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) द्वारा भारत में विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों को वकालत की अनुमति दिए जाने का विरोध शुरू हो गया है। दिल्ली के सभी जिला अदालतों के बार एसोसिएशन के समन्वय समिति के प्रवक्ता अधिवक्ता नीरज ने कहा कि बीसीआई ने आनन-फानन में विदेशी वकीलों और लॉ फर्मों को भारत में आने की अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि यह मामला कई सालों से चला आ रहा है, लेकिन बीसीआई से भारत के वकीलों को भरोसे में लिए बगैर यह अधिसूचना जारी कर दी है। अधिवक्ता ने कहा कि यदि हमारी मांगे नहीं मानी गई तो हम सड़क पर भी उतरेंगे।
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