सुरक्षा कारणों से तुर्की की यूनिवर्सिटी के साथ किया समझौता रद्द; JNU बोला- देश के साथ खड़े हैं
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए JNU ने लिखा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से जेएनयू और तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है। जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है।'

पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाते हुए पीओके और पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर जो कार्रवाई की थी, उसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे। इस अवधि के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देते हुए उसकी सैन्य मदद की थी। जिसके बाद भारत में तुर्की विरोध की भावनाएं लगातार देखी जा रही हैं, लोग ना केवल तुर्की घूमने के लिए की गई बुकिंग्स को लगातार कैंसल कर रहे हैं, बल्कि देश का व्यापारी वर्ग भी तुर्की के साथ किसी तरह का कारोबार नहीं करने की बात कह रहा है। इसी बीच दिल्ली स्थित जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) ने भी तुर्की के प्रति विरोध जताते हुए वहां के एक विश्वविद्यालय के साथ किया समझौता रद्द कर दिया है।
इस फैसले के बारे में जेएनयू ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करते हुए जानकारी दी। जिसमें उसने लिखा, 'राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से जेएनयू और तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) को अगली सूचना तक निलंबित कर दिया गया है। जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है।'
इस बारे में जानकारी देते हुए जेएनयू के कुलपति (वीसी) प्रोफेसर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने कहा, 'यह शोध और शिक्षण में आपसी सहयोग के लिए जेएनयू द्वारा हस्ताक्षरित अन्य शैक्षणिक समझौता ज्ञापनों की तरह ही था। इसमें दो स्कूल SLL & CS शामिल थे, जिसमें से एक संकाय है भाषा, साहित्य और संस्कृति पढ़ाता है, जबकि SIS वैश्विक मामलों में तुर्की के साथ काम करता है।' आगे उन्होंने कहा कि 'जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से समझौता ज्ञापन को निलंबित कर दिया है क्योंकि जेएनयू राष्ट्र और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है, जिनमें से कई जेएनयू के पूर्व छात्र हैं'
जेएनयू की वेबसाइट के अनुसार, इस समझौते पर 3 फरवरी, 2025 को तीन साल के लिए हस्ताक्षर किए गए थे और इसे 2 फरवरी, 2028 तक जारी रहना था।
जेएनयू ने यह कदम केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए उस कदम के बाद उठाया है, जब सरकार ने भारत के खिलाफ दुष्प्रचार और गलत सूचना फैलाने के लिए तुर्की के समाचार प्रसारक टीआरटी वर्ल्ड के ट्विटर अकाउंट को कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया है।
बता दें कि चीन के बाद तुर्की ही पाकिस्तान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है। तुर्की ने पाकिस्तान की नौसेना के आधुनिकीकरण और उसकी हवाई युद्ध क्षमताओं को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है जिससे पाकिस्तान की नौसेना की हमला करने की क्षमता मजबूत हुई है। तुर्की की कंपनी बायकर ने पाकिस्तान को बायरकटर और अकिनसी सशस्त्र ड्रोन की आपूर्ति की है।
पाकिस्तान को दिए तुर्की के समर्थन के बाद, पूरे देश में उसके सामान और पर्यटन का बहिष्कार करने की मांग उठ रही है और लोग लगातार अपनी बुकिंग्स भी कैंसल कर रहे हैं। इसके अलावा, ईज़माईट्रिप और इक्सिगो जैसे ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग प्लेटफॉर्म ने भी इन देशों की यात्रा के खिलाफ परामर्श जारी किया है। उधर भारतीय कारोबारियों ने भी तुर्की से आयात होने वाले सामान सेब और संगमरमर जैसे उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है।
भारत द्वारा तुर्की को खनिज ईंधन और तेल (2023-24 में 96 करोड़ डॉलर), विद्युत मशीनरी और उपकरण, वाहन और उसके कलपुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मा उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबड़, कपास. मानव निर्मित फाइबर, लोहा और इस्पात का निर्यात किया जाता है। जबकि तुर्की से भारत विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लॉक और स्लैब), ताजा सेब (लगभग एक करोड़ डॉलर), सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल (2023-24 में 1.81 अरब डॉलर), रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात का आयात करता है।