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यौन उत्पीड़न के आरोप में निकाले 9 छात्रों को दिल्ली HC से राहत, JNU को दिया यह आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू को आदेश दिया है कि वह यौन उत्पीड़न के आरोप में निष्कासित नौ छात्रों को बुधवार से शुरू हो रही परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दे।

Krishna Bihari Singh भाषा, नई दिल्लीWed, 14 May 2025 07:26 PM
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यौन उत्पीड़न के आरोप में निकाले 9 छात्रों को दिल्ली HC से राहत, JNU को दिया यह आदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने उन 9 छात्रों को बड़ी राहत दी है जिनको यौन उत्पीड़न के आरोप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से निकाल दिया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने JNU को निर्देश दिया है कि वह इन नौ छात्रों को बुधवार से शुरू हो रही परीक्षा में शामिल होने की अनुमति प्रदान करे।

जस्टिस विकास महाजन ने 13 मई के अपने आदेश में जेएनयू को यह भी निर्देश दिया कि वह मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 मई तक हॉस्टल खाली करने के लिए छात्रों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई ना करे।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ताओं की दलीलों के मद्देनजर प्रतिवादी विश्वविद्यालय को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ताओं को सुनवाई की अगली तारीख तक अपनी परीक्षा देने की अनुमति दे और उनके खिलाफ हॉस्टल खाली करने के लिए कोई दंडात्मक कार्रवाई ना करे।

याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि विश्वविद्यालय की ओर से नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है। बता दें कि जेएनयू ने पांच मई को छात्रों के खिलाफ अलग-अलग आदेश पारित करते हुए उन्हें 2 सेमेस्टर के लिए निकाल दिया था।

छात्रों ने विश्वविद्यालय के फैसले को निरस्त करने का अनुरोध किया था। छात्रों की ओर से पेश अधिवक्ता कुमार पीयूष पुष्कर ने कहा कि आदेश से पहले विश्वविद्यालय द्वारा जांच की गई थी, लेकिन याचिकाकर्ताओं को गवाहों से जिरह करने का मौका नहीं दिया गया।

उन्होंने कहा कि जेएनयू का फैसला टिकने लायक नहीं है क्योंकि यह नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करके पारित किया गया है। अदालत ने याचिका पर जेएनयू को नोटिस जारी किया और एक हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

छात्रों की याचिका में कहा गया है कि परीक्षाएं 14 मई या कुछ दिन में शुरू होने वाली थीं, लेकिन निष्कासन आदेश के तहत उन्हें इसमें शामिल होने से रोक दिया गया। हालांकि अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में यह भी साफ कर दिया कि अंतरिम राहत से याचिकाकर्ताओं के पक्ष में कोई विशेष लाभ नहीं होगा। उसके निर्देश फैसले के अधीन होंगे।