Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court refused to entertain a PIL against practice of charging an additional fee for VIP darshan

ये समाज और मंदिर प्रशासन ही तय करें… VIP दर्शन को लेकर SC में याचिका, क्या बोला कोर्ट?

  • सुप्रीम कोर्ट ने मंदिरों में VIP या कुछ लोगों को खास सुविधाएं दिए जाने के खिलाफ जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि इस पर मंदिर प्रशासन और समाज को ही निर्णय लेना चाहिए।

Jagriti Kumari पीटीआई, नई दिल्लीFri, 31 Jan 2025 01:39 PM
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ये समाज और मंदिर प्रशासन ही तय करें… VIP दर्शन को लेकर SC में याचिका, क्या बोला कोर्ट?

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को वीआईपी दर्शन के लिए खास शुल्क लेने और मंदिरों में एक खास वर्ग के लोगों को तरजीह और विशेष सुविधाएं दिए जाने के खिलाफ जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा है कि इस मुद्दे पर फैसला समाज और मंदिर प्रबंधन को करना चाहिए और कोर्ट इसमें कोई आदेश नहीं दे सकती है। बता दे कि बीते दिनों प्रयागराज महाकुंभ में हुई भगदड़ सहित कई मंदिरों में मची भगदड़ के लिए VIP दर्शन की व्यवस्था को जिम्मेदार बताया गया है। इन हादसों में कई लोगों की जानें भी गई हैं।

चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, "हमारी राय यह हो सकती है कि मंदिरों में इस तरह कोई खास सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन अदालत यह निर्देश नहीं दे सकती। हमें नहीं लगता कि इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दिए गए अधिकार का प्रयोग करना चाहिए।” कोर्ट ने आगे कहा, “हालांकि हम स्पष्ट करते हैं कि याचिका खारिज करने का यह मतलब नहीं है कि उचित अधिकारी आवश्यकतानुसार उचित कार्रवाई नहीं कर सकते हैं।"

वीआईपी दर्शन के खिलाफ याचिका

सुप्रीम कोर्ट में वृंदावन के श्री राधा मदन मोहन मंदिर के सेवक विजय किशोर गोस्वामी द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई चल रही थी। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले आकाश वशिष्ठ ने कहा कि वीआईपी दर्शन की यह प्रक्रिया पूरी तरह से मनमानी प्रथा है। याचिका में कहा गया है कि यह प्रथा संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में निहित समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। याचिका में मंदिर में स्थित मूर्ति तक जल्दी पहुंचने के लिए वसूले जाने वाले शुल्क पर भी चिंता जताई गई है।

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गरीब-अमीर में बढ़ता है भेदभाव

कोर्ट में तर्क देते हुए वकील ने कहा कि VIP दर्शन के लिए 400 रुपये से 500 रुपये वसूले जाते हैं और इससे अमीरों और असमर्थ, विकलांग और वरिष्ठ नागरिकों के बीच विभाजन पैदा होता है। याचिका में मंदिर परिसर में सभी भक्तों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित करने और केंद्र द्वारा मानक संचालन प्रक्रियाओं को तैयार करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी।

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