महाकुंभ: श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ में 29 जनवरी को भगदड़ मचने से हुई श्रद्धालुओं की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। याचिका में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने,...
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नई दिल्ली। विशेष संवाददाता उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में 29 जनवरी को भगदड़ मचने से हुई श्रद्धालुओं की मौत का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत में दाखिल जनहित याचिका में महाकुंभ पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट दिशा-निर्देशों और नियमों का प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की गई है।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने संविधान के अनुच्छेद 32 का सहारा लेकर सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों, अधिकारियों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने की मांग की है। याचिका में महाकुंभ और इस तरह की भीड़भाड़ वाले आयोजन में भगदड़ की घटनाओं को रोकने और अनुच्छेद 21 के तहत समानता और जीवन के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए आदेश जारी करने की मांग की गई है। अधिवक्ता तिवारी ने शीर्ष अदालत में केंद्र के साथ साथ सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को भी पक्षकार बनाया। उन्होंने कहा है कि महाकुंभ में देश के कोने कोने से लोग शामिल होने श्रद्धालु पहुंचते हैं, इसलिए उनको सुरक्षित माहौल सुनिश्चित करने के लिए सभी को सामूहिक रूप से मिलकर कर काम करने की जरूरत है। याचिका में शीर्ष अदालत से इस बारे में केंद्र और सभी राज्यों को निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
याचिकाकर्ता तिवारी ने राज्य सरकारों को महाकुंभ में लोगों की सुविधा के लिए विशेष निर्देश, नीतियां और नियम जारी करने, भगदड़ की घटनाओं से बचने, लोगों की सुरक्षा, व्यवहार्यता आदि सुनिश्चित करने के लिए मूल्यांकन निर्धारित करने और स्थिति रिपोर्ट मंगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह किया है। याचिका में कहा गया है कि सभी राज्यों को प्रयागराज में सुविधा केंद्र स्थापित करने चाहिए ताकि सुरक्षा संबंधी जानकारी दी जा सके और आपात स्थिति में अपने संबंधित निवासियों की सहायता की जा सके।
घटना के लिए जिम्मेदर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में, याचिकाकर्ता ने प्रयागराज में 29 जनवरी को अमृत स्नान से कुछ देर पहले मची भगदड़ की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों, अधिकारियों और प्राधिकारों के खिलाफ समुचित कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग की है। याचिका में सुप्रमी कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार से इस घटना को लेकर स्थिति रिपोर्ट पेश करने और घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ समुचित कानूनी कार्रवाई करने का भी आदेश देने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि आयोजन स्थल पर डॉक्टरों और नर्सों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य राज्यों के बीच समन्वय की आवश्यकता है।
वीआईपी की सार्वजनिक सुरक्षा को तरजीह मिले
याचिका में वीआईपी मूवमेंट के नियमन की भी मांग की गई है। याचिकाकर्ता महाकुंभ में भीड़भाड़ को रोकने और भीड़ की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए वीआईपी प्रोटोकॉल की जगह सार्वजनिक सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। याचिका में कहा गया है कि वीआईपी मूवमेंट के चलते आम श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिए और महाकुंभ में श्रद्धालुओं के प्रवेश और निकास के लिए अधिकतम स्थान उपलब्ध कराया जाना चाहिए।
कई भाषाओं में साइनेज और उदघोषणा करने की मांग
याचिका में महाकुंभ क्षेत्र में श्रद्धालुओं की सहूलियतों के लिए जगह जगह कई भाषाओं में साइनेज लगाने और उदघोषणा करने का निर्देश देने की मांग की है। इसमें कहा गया है कि सभी राज्यों को प्रयागराज में महाकुंभ के लिए उचित तरीके से अपने सुविधा केंद्र स्थापित करने चाहिए।
पिछली घटनाओं से नहीं लिया सबक
याचिका में 1954 से लेकर 2025 तक महाकुंभ और अन्य धार्मिक समारोहों में हुई भगदड़ की कई पिछली घटनाओं का जिक्र किया गया है, जिसमें काफी संख्या में लोगों की मौत हुई। याचिका में कहा कि 1954 में प्रयागराज में कुंभ मेले में एक संकीर्ण पुल पर भीड़भाड़ के कारण 800 से अधिक मौतें हुई थीं। जबकि 1986 में हरिद्वार में कुंभ में प्रवेश पर प्रतिबंध के कारण मची भगदड़ में करीब 200 लोग मारे गए थे। इसी तरह 2003 में नासिक में 39 लोगों की मौत हुई थी। साथ ही 2013 में महाकुंभ के दौरान प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर फुटब्रिज ढहने से 42 लोगों की मौत हो गई थी। याचिका में कहा गया है कि कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समारोहों में से एक है, जो चार प्रमुख स्थानों प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), हरिद्वार (उत्तराखंड), उज्जैन (मध्य प्रदेश) और नासिक (महाराष्ट्र) में बारी-बारी से आयोजित होता है। याचिका में कहा गया है कि 29 जनवरी को मची भगदड़ इस बात का गवाही दे रही है कि सरकार और प्रशासन ने पिछली घटनाओं से सबक नहीं लिया।
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