Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court slams man for throwing out estranged wife minor daughters from his house

‘आप कैसे आदमी हो, मानव और पशु का अंतर ही खत्म कर दिया', क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट

  • एससी ने कहा कि वह व्यक्ति को अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं देगी, जब तक कि वह अपनी बेटियों और अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता या कुछ कृषि भूमि नहीं दे देता।

Niteesh Kumar भाषाSat, 25 Jan 2025 09:59 AM
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‘आप कैसे आदमी हो, मानव और पशु का अंतर ही खत्म कर दिया', क्यों भड़का सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यक्ति को अब अलग रह रही अपनी पत्नी और नाबालिग बेटियों को घर से निकालने को लेकर कड़ी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि इस तरह के व्यवहार ने मानव और पशु के बीच के बुनियादी अंतर को खत्म कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सवाल किया, ‘आप किस तरह के व्यक्ति हैं कि आप अपनी नाबालिग बेटियों की भी परवाह नहीं करते? नाबालिग बेटियों ने इस दुनिया में आकर क्या गलत किया?’ पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा, ‘उनकी दिलचस्पी केवल कई संतान पैदा करने में थी। हम ऐसे क्रूर व्यक्ति को हमारे न्यायालय में प्रवेश की अनुमति बिल्कुल नहीं दे सकते। सारा दिन घर पर कभी सरस्वती पूजा और कभी लक्ष्मी पूजा। और फिर ये सब।’

मामले के तथ्यों से व्यथित होकर पीठ ने कहा कि वह व्यक्ति को अदालत में प्रवेश की अनुमति नहीं देगी, जब तक कि वह अपनी बेटियों और अलग रह रही पत्नी को निर्वाह भत्ता या कुछ कृषि भूमि नहीं दे देता। बेंच ने उसके वकील से कहा, ‘इस व्यक्ति से कहें कि वह अपनी बेटियों के नाम पर कुछ कृषि भूमि या रकम सावधि जमा करे या भरण-पोषण की राशि दे। इसके बाद अदालत उसके पक्ष में कोई आदेश पारित करने के बारे में सोच सकती है।’ न्यायालय ने कहा कि एक पशु और एक मनुष्य में क्या अंतर है जो नाबालिग बेटियों की देखभाल नहीं करता।

दूसरी महिला से शादी करने का भी आरोप

निचली अदालत ने झारखंड के एक व्यक्ति को उससे अलग रह रही पत्नी को दहेज के लिए प्रताड़ित करने और परेशान करने का दोषी ठहराया। व्यक्ति पर धोखे से उसकी पत्नी का गर्भाशय निकलवाने और बाद में दूसरी महिला से शादी करने का भी आरोप है। निचली अदालत ने 2015 में उसे भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (विवाहित महिलाओं के साथ क्रूरता करना) के तहत दोषी ठहराया और उसे 5,000 रुपये के जुर्माने के अलावा ढाई साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। मामला 2009 में दर्ज किया गया था और उसने 11 महीने हिरासत में बिताए। 24 सितंबर 2024 को झारखंड हाई कोर्ट ने सजा को घटाकर डेढ़ साल कर दिया और जुर्माना बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया था। इस जोड़े की शादी 2003 में हुई थी और अलग रह रही पत्नी लगभग 4 महीने तक ससुराल में रही, जिसके बाद उसे 50,000 रुपये दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया।

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