Hindi Newsदेश न्यूज़Supreme Court questions Senthil Balaji for immediately becoming Tamilnadu Minister after grant of bail pending trial

ये क्या हो रहा? आज बेल दिया, अगले ही दिन आप मंत्री बन गए; किस पर और क्यों बिफरा सुप्रीम कोर्ट

हालांकि, खंडपीठ ने सेंथिल बालाजी की जमानत वापस लेने की प्रार्थना को स्वीकार करने से इनकार कर दिया; लेकिन इस बात की जांच करने पर सहमत हो गई कि क्या गवाह वर्तमान परिस्थितियों में राज्य के एक कैबिनेट मंत्री के खिलाफ गवाही दे सकते हैं या उनकी 'मन की स्थिति' में अब बदलाव हो जाएगा।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 2 Dec 2024 03:07 PM
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ये क्या हो रहा? आज बेल दिया, अगले ही दिन आप मंत्री बन गए; किस पर और क्यों बिफरा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (02 दिसंबर) को इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि जमानत देने के अगले ही दिन किसी शख्स को कैसे मंत्री बना दिया गया। तमिलनाडु के भर्ती घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपी सेंथिल बालाजी को जमानत मिलने के तुरंत बाद राज्य मंत्री के रूप में तमिलनाडु मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने पर शीर्ष अदालत ने सवाल पूछा है कि यह सब इतनी तेजी से कैसे और क्यों किया गया। जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस ए जी मसीह की खंडपीठ ने इस घटनाक्रम पर चिंता जताई है कि इससे उन गवाहों पर दबाव पड़ सकता है, जिन्हें बालाजी के खिलाफ इस मामले में गवाही देनी है। फिलहाल यह केस लंबित है।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खंडपीठ ने सेंथिल बालाजी को मंत्री बनाए जाने पर टिप्पणी की, "यह अदालत एक दिन आपको जमानत देती है; अगले ही दिन आप मंत्री बन जाते हैं! इससे तो कोई भी यह धारणा बना सकता है कि आप गवाहों पर दबाव डालेंगे। यहां ये सब क्या हो रहा है?"

हालांकि, खंडपीठ ने सेंथिल बालाजी की जमानत वापस लेने की प्रार्थना को स्वीकार करने से इनकार कर दिया; लेकिन इस बात की जांच करने पर सहमत हो गई कि क्या गवाह वर्तमान परिस्थितियों में राज्य के एक कैबिनेट मंत्री के खिलाफ गवाही दे सकते हैं या उनकी 'मन की स्थिति' में अब बदलाव हो जाएगा। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है।

बता दें कि एम के स्टालिन की अगुवाई वाली तमिलनाडु सरकार में मंत्री रहे सेंथिल बालाजी को पिछले साल 14 जून, 2023 को मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। उनके खिलाफ तमिलनाडु परिवहन विभाग में बस कंडक्टरों की नियुक्ति के साथ-साथ ड्राइवरों और जूनियर इंजीनियरों की नियुक्ति में कथित तौर पर अनियमितता करने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। आरोप है कि 2011 से 2015 तक अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) सरकार के कार्यकाल में बतौर परिवहन मंत्री उन्होंने ये अनियमितताएं की थीं।

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ट्रायल कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट द्वारा उनकी जमानत याचिकाओं को खारिज करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतत: 26 सितंबर को जमानत दे दी थी। उसके दो दिन बाद ही 29 सितंबर को स्टालिन सरकार में उन्हें फिर से कैबिनेट मंत्री बना दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी को इस आधार पर जमानत दी थी कि वह जून, 2023 से कैद में हैं और ट्रायल जल्दी शुरू होने की संभावना नहीं है। शीर्ष अदालत ने उन्हें विभिन्न शर्तों के अधीन जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी थी, जिसमें यह निर्देश भी शामिल था कि उन्हें गवाहों से संपर्क या संवाद नहीं करना चाहिए।

अब कोर्ट ने उन्हें अपना पासपोर्ट सरेंडर करने और स्थगन की मांग किए बिना ट्रायल में सहयोग करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उनकी जमानत वापस लेने की मांग की गई थी। अर्जी में कहा गया था कि सेंथिल बालाजी के मंत्री बन जाने से मामले के गवाह दबाव में आ सकते हैं।

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