पाकिस्तान को कौन-कौन सी दवाएं भेज रहा भारत? सरकार ने मांगी रिपोर्ट, पड़ोसी देश में खलबली
ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान के अनुसार, भारत से आने वाली दवाएं और कच्चा माल (एपीआई) पाकिस्तान की 50-60% दवा जरूरतों को पूरा करते हैं।

पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद, भारत लंबे समय से पाकिस्तान को जीवन रक्षक दवाओं और फार्मास्युटिकल उत्पादों की आपूर्ति करता रहा है। लेकिन अब भारत इस पर भी शिकंजा कसने की तैयारी में है। हाल ही में, भारत सरकार ने फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) से पाकिस्तान को निर्यात की जाने वाली सभी दवाओं और फार्मा उत्पादों की विस्तृत सूची तुरंत तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इस कदम ने पाकिस्तान में हलचल मचा दी है, क्योंकि वह अपनी दवा आवश्यकताओं का लगभग 40% हिस्सा भारत से पूरा करता है।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई। इसने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण कर दिया है। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए, जिसमें अटारी चेक पोस्ट को बंद करना और पाकिस्तानी उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या कम करना शामिल है। इसके साथ ही, भारत ने व्यापारिक संबंधों पर भी पुनर्विचार शुरू किया, जिसके तहत दवाओं के निर्यात की समीक्षा का फैसला लिया गया। अब फार्मास्युटिकल्स विभाग ने पिछले दो वर्षों के निर्यात के आंकड़ों पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, क्योंकि भारत द्विपक्षीय व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की संभावना पर विचार कर रहा है। यह कदम पाकिस्तान के भारत के साथ व्यापार बंद करने की घोषणा के बाद उठाया गया है।
पाकिस्तान की भारत पर निर्भरता
पाकिस्तान अपनी दवा आपूर्ति के लिए भारत पर काफी हद तक निर्भर है। ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (DRAP) के अनुसार, भारत से आने वाली दवाएं और कच्चा माल (एपीआई) पाकिस्तान की 50-60% दवा जरूरतों को पूरा करते हैं। इनमें शामिल हैं:
एंटी-कैंसर दवाएं: कैंसर इलाज के लिए आवश्यक दवाएं।
वैक्सीन: एंटी-रेबीज टीके और एंटी-स्नेक वेनम।
बायोलॉजिकल्स: मोनोक्लोनल एंटीबॉडी और अन्य जैविक उत्पाद।
दवा का कच्चा माल (एपीआई): दवाओं के निर्माण के लिए जरूरी रासायनिक घटक।
हालांकि, भारत से निर्यात होने वाली दवाओं की सटीक सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें कई जीवन रक्षक दवाएं शामिल हैं, जिनके बिना पाकिस्तान का स्वास्थ्य ढांचा प्रभावित हो सकता है।
भारत सरकार का कदम
पहलगाम हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियों की समीक्षा शुरू की है। Pharmexcil वाणिज्य मंत्रालय के अधीन कार्य करती। सरकार ने इसको निर्देश दिया है कि वह जल्द से जल्द उन सभी दवाओं और फार्मा उत्पादों की सूची तैयार करे, जो पाकिस्तान को निर्यात किए जा रहे हैं। इस कदम का मकसद यह समझना है कि भारत की दवाओं पर पाकिस्तान की निर्भरता कितनी है और क्या इन निर्यातों को सीमित या बंद किया जा सकता है।
पाकिस्तान में खलबली
भारत के इस कदम से पाकिस्तान में चिंता बढ़ गई है। ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (DRAP) ने स्पष्ट किया कि भारत से दवाओं पर प्रतिबंध की कोई औपचारिक अधिसूचना अभी तक जारी नहीं हुई है, लेकिन आपातकालीन योजनाएं तैयार की जा रही हैं। पाकिस्तान अब चीन, रूस और यूरोपीय देशों से वैकल्पिक स्रोतों की तलाश कर रहा है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि इन देशों से दवाओं की आपूर्ति शुरू करने में समय और लागत दोनों अधिक लगेंगे। DRAP के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "2019 के संकट के बाद हमने ऐसी परिस्थितियों के लिए तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन भारत से दवाओं की तत्काल आपूर्ति बंद होने से स्वास्थ्य क्षेत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है।"
पाकिस्तान की वैकल्पिक रणनीति
पाकिस्तान ने भारत से व्यापार निलंबन के बाद दवा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आपातकालीन उपाय शुरू किए हैं।
चीन और रूस से संपर्क: दवाओं और कच्चे माल के लिए नए आपूर्तिकर्ताओं की तलाश।
स्थानीय उत्पादन बढ़ाने की कोशिश: हालांकि, पाकिस्तान का फार्मा उद्योग अभी इतना सक्षम नहीं है कि वह भारत की जगह ले सके।
यूरोपीय देशों से बातचीत: विशेष रूप से बायोलॉजिकल्स और वैक्सीन के लिए।
भारत का मानवीय दृष्टिकोण
तनाव के बावजूद, भारत ने हमेशा मानवीय आधार पर पाकिस्तान को दवाएं उपलब्ध कराई हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत दवाओं के निर्यात को पूरी तरह बंद करने के बजाय चुनिंदा प्रतिबंध लगा सकता है, ताकि पाकिस्तान की आम जनता पर इसका ज्यादा असर न पड़े।
भारत सरकार की ओर से दवाओं की सूची तैयार होने के बाद यह स्पष्ट होगा कि पाकिस्तान को कौन-कौन सी दवाएं भेजी जा रही हैं और क्या इनमें कोई बदलाव किया जाएगा। यदि भारत दवाओं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है, तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका होगा, क्योंकि वहां पहले से ही आर्थिक संकट और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। पाकिस्तान के लिए यह स्थिति न केवल स्वास्थ्य संकट पैदा कर सकती है, बल्कि दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा सकती है। दूसरी ओर, भारत का यह कदम आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश देने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।