मनमोहन सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले अन्ना हजारे पूर्व PM के निधन पर क्या बोले
- मनमोहन सिंह के निधन पर अन्ना हजारे ने श्रद्धांजलि दी है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले आंदोलन चलाने वाले अन्ना हजारे ने कहा कि मनमोहन एक अच्छी शख्सियत थे। उन्होंने कहा, 'जो पैदा हुआ है, उसे मरना ही है। लेकिन कुछ लोग अपनी यादें दे जाते हैं। मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को एक नई जिंदगी दी।'
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पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के निधन पर अन्ना हजारे ने श्रद्धांजलि दी है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले लंबा आंदोलन चलाने वाले अन्ना हजारे ने कहा कि मनमोहन सिंह एक अच्छी शख्सियत थे। उन्होंने कहा, 'जो पैदा हुआ है, उसे मरना ही है। लेकिन कुछ लोग अपनी यादें दे जाते हैं और विरासत छोड़ जाते हैं। मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी।' उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह के बारे में यह कहा जाएगा कि वह समाज और देश के बारे में हमेशा सोचते थे। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को बदल डाला और यह उनका बड़ा योगदान था। इसके लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके ही बदलावों के कारण देश प्रगति के पथ पर चला।
उन्होंने कहा कि मैं जब आंदोलन कर रहा था तो दो बार उनके घर पर मीटिंग हुई और वह तत्काल फैसला लेते थे। उन्होंने सही फैसले लिए थे। वह इस बात के उदाहरण हैं कि कैसे समाज और देश के बारे में सोचकर आप अच्छा काम कर सकते हैं। मैं इतना ही कहूंगा कि भले ही मनमोहन सिंह आज नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें हमेशा जिंदा रहेंगी। बता दें कि अन्ना हजारे ने लोकपाल की निय़ुक्ति और भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ जांच की मांग करते हुए आंदोलन किया था। दिल्ली के रामलीला मैदान में उन्होंने अनशन किया था और आंदोलन का पूरे देश में असर देखने को मिला था। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, यूपी, बिहार समेत देश के तमाम राज्यों में इस आंदोलन का असर दिखा था और मीडिया में भी खूब कवरेज मिली थी।
इस आंदोलन से ही आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ था, जबकि अन्ना हजारे राजनीतिक दल के गठन के खिलाफ थे। माना जाता है कि इसी मसले पर अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल की राहें अलग हो गई थीं। बता दें कि शराब घोटाला समेत कई मामलों में अन्ना हजारे अरविंद केजरीवाल की नीतियों पर सवाल उठा चुके हैं। महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि गांव के रहने वाले अन्ना हजारे ने आंदोलन के बाद गांव का रास्ता पकड़ लिया और वह अब भी किसी पद या प्रतिष्ठा से दूर हैं। उनकी राय थी कि आंदोलन को राजनीतिक नहीं होना चाहिए वरना उसके भी राह से भटकने की संभावनाएं पैदा हो जाएंगी। हालांकि अरविंद केजरीवाल उन पर टिप्पणी करने से बचते रहे हैं।