बांग्लादेश में फिर बढ़ रहा बवाल, छात्रों ने थमाया 24 घंटे का अल्टीमेटम; मांगा एक और इस्तीफा
- बांग्लादेश में पिछले साल जुलाई-अगस्त में हुई हिंसा के बाद हालात अभी सामान्य हुए भी नहीं थे कि देश में एक बार फिर विरोध के सुर उठ रहे हैं। छात्र संगठनों ने एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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बांग्लादेश में बीते साल हुई हिंसा के बाद से देश अब तक उबर नहीं पाया है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद और देश छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस ने अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी संभाल ली थी, लेकिन उनकी सरकार देश में अब तक शांति बहाल कराने में कामयाब नहीं हो पाई है। ऐसे में अब उनकी सरकार के खिलाफ विरोध के सुर उठने शुरू हो गए हैं। लगातार प्रदर्शनों के बीच वामपंथी छात्र संगठनों ने सोमवार को गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी के इस्तीफे की मांग की है। यहीं नहीं छात्रों ने इसके लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम भी दे दिया है।
प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने बताया है कि इस प्रदर्शन के जरिए देश भर में महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और हिंसा की घटनाओं को रोकने, बलात्कार और उत्पीड़न के सभी मामलों में न्याय सुनिश्चित करने की मांग की जा रही है। उन्होंने कहा है कि गृह सलाहकार को इस्तीफा देना ही होगा। एक प्रदर्शनकारी छात्रा ने बताया, "पुलिस हमें क्यों रोक रही है? वे बलात्कारियों और अपराधियों को रोक नहीं पाते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि वे हमें रोक सकते हैं? गृह सलाहकार हमसे बच नहीं पाएंगे।"
स्टूडेंट्स का गुस्सा चरम पर
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक छात्रों का एक समूह गृह मंत्रालय की ओर मार्च कर रहा था, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसके बाद स्टूडेंट्स का गुस्सा चरम पर है और प्रदर्शनकारियों ने शिक्षा भवन के सामने पहुंचकर 24 घंटे में इस्तीफे की मांग की है। इस घोषणा के बाद प्रदर्शनकारियों ने ढाका विश्वविद्यालय की ओर मार्च किया। खबरों के मुताबिक दोपहर के बाद बड़ी संख्या में छात्र एकजुट होना शुरू हो गए। छात्रों ने इस दौरान "बांग्लादेश अगेंस्ट रेप एंड ऑप्रेशन" बैनर के तहत रैली भी निकाली। प्रदर्शनकारी अद्रिता रॉय ने अल्टीमेटम की घोषणा करते हुए बताया की कि अगर गृह सलाहकार पद नहीं छोड़ते हैं तो मंगलवार शाम को मंत्रालय तक मशाल जुलूस निकाला जाएगा।
‘वादा करके संभाली थी गद्दी’
वहीं महिला प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर दुर्व्यवहार के आरोप भी लगाए हैं। एक प्रदर्शनकारी के मुताबिक, “पुलिस बल में एक भी महिला पुलिस अधिकारी नहीं है। फिर भी हम यहां आए हैं। यह महिलाओं का आंदोलन है। पुरुष पुलिस अधिकारियों ने हम पर हाथ उठाया है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं।” छात्रों के मुताबिक, “इस अंतरिम सरकार ने भेदभाव मुक्त बांग्लादेश का वादा करके गद्दी संभाली थी लेकिन यह गृह सलाहकार हमारी सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहे हैं। जब तक वे पद नहीं छोड़ देते हमारा आंदोलन जारी रहेगा।”
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