जमादार से लेकर IPS तक, बैच बनाकर पुलिसवाले लेंगे ट्रेनिंग; साइबर क्राइम से लड़ने का प्लान
- इस ट्रेनिंग को अमलीजामा पहनाने के लिए अलग-अलग बैच बनाकर पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दी जाएगी। साइबर अपराध के तेजी से बदले तमाम स्वरूपों को इसमें समाहित करते हुए विभिन्न आयामों पर फोकस किया जाएगा।
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बिहार में साइबर अपराध की संख्या सिर्फ तीन वर्ष में दोगुनी हो गई है। तेजी से बदलती चुनौतियों से निपटने के लिए एएसआई (जमादार) से लेकर इंस्पेक्टर, डीएसपी एवं आईपीएस रैंक के अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसकी रूपरेखा को अंतिम रूप देने में ईओयू (आर्थिक अपराध इकाई) दे रहा है। इस बार साइबर अपराध से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है। इसमें साइबर बुलिइंग (धमकाना), डिजिटल अरेस्ट, इंटरनेट कॉल खासकर विदेशों या गोल्डन ट्राएंगल के देशों से आने वाले ठगी से संबंधित कॉल की पहचान कर कार्रवाई करने की विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जाएगी।
इस ट्रेनिंग को अमलीजामा पहनाने के लिए अलग-अलग बैच बनाकर पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दी जाएगी। साइबर अपराध के तेजी से बदले तमाम स्वरूपों को इसमें समाहित करते हुए विभिन्न आयामों पर फोकस किया जाएगा। इस ट्रेनिंग मॉड्यूल में राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र (साई ट्रेन) के विशेषज्ञों की भी खासतौर से मदद ली जाएगी। इस संस्थान का साईट्रेन नाम से ऑनलाइन ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म भी है, जिस पर पुलिस कर्मी जुड़कर साइबर अपराध से संबंधित किसी खास विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं।
इस पर वर्तमान में 17 तरह के विषय उपलब्ध हैं। दो हजार से अधिक लर्निंग सामग्री मौजूद है। देशभर के 1 लाख 1 हजार से अधिक पुलिस कर्मी समेत अन्य संबंधित लोग इस पर निबंधित हैं। ऑनलाइन वेबसाइट साई ट्रेन के स्तर से हाईब्रिड ट्रेनिंग की भी व्यवस्था की गई है, जिसकी मदद से साइबर अपराध और इस तरह के अन्य अपराध से निपटने के गुर सिखाए जाते हैं।
आने वाले समय की चुनौतियों और इससे जुड़े अनुसंधान के तरीके को प्रभावी तरीके से अंजाम देने के लिए पुलिस कर्मियों के लिए इस तरह की ट्रेनिंग से जुड़े विशेष मॉड्यूल को तैयार किया जा रहा है।