बोले कटिहार: चलंत पशु चिकित्सा और समुचित प्रशिक्षण मिले तो होगा फायदा
बकरी पालक किसानों की परेशानी प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप कटिहार
बकरी पालक किसानों की परेशानी प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज, मोना कश्यप कटिहार जिले में करीब 18,000 महिलाएं 5 लाख 88 हजार 72 बकरी पालन कर रही हैं, जो उनके लिए आजीविका का एक महत्वपूर्ण जरिया है। हालांकि, इस काम में कई चुनौतियां भी हैं। अच्छी नस्ल की बकरियां खरीदने, चारा उगाने और समय पर पशु चिकित्सा सेवाएं पाने में दिक्कतें हैं। सरकारी योजनाओं की जानकारी और वित्तीय सहायता के अभाव में महिलाएं ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेने को मजबूर हैं। पशु चिकित्सा केंद्रों की कमी, संतुलित आहार की अनुपलब्धता और सही प्रशिक्षण न मिलने से बकरियों की उत्पादकता पर असर पड़ता है, जिससे उनकी आमदनी सीमित रह जाती है।
कटिहार के ग्रामीण इलाकों में बकरी पालन कई महिलाओं एवं पुरुषों के लिए न केवल आय का जरिया, बल्कि आत्मनिर्भरता का मार्ग भी बन गया है। इन बकरियों के साथ उनकी उम्मीदें और संघर्ष भी जुड़ी हैं, जो उन्हें हर दिन आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। इन महिलाओं की कहानियों में कठिनाइयों और उम्मीदों का मिश्रण है, जो ग्रामीण जीवन की सच्ची तस्वीर पेश करती हैं। यहां की महिलाएं बताती हैं कि अच्छी नस्ल की बकरियां खरीदना उनके लिए एक बड़ा संघर्ष है। ज्यादातर महिलाएं आर्थिक तंगी और जानकारी की कमी के कारण कम उत्पादक नस्लों पर निर्भर हैं। चारा उगाने और बकरियों का इलाज कराने में भी कई परेशानियां आती हैं। सूखे और बाढ़ के समय चारे की भारी कमी हो जाती है, जिससे उनकी बकरियां कमजोर हो जाती हैं। भूमिहीन महिलाएं एवं पुरुष अक्सर ऊंचे ब्याज पर महाजनों से कर्ज लेने को मजबूर होती हैं, जिससे वे कर्ज के जाल में फंस जाती हैं। पशु चिकित्सा सेवा की कमी भी एक बड़ी समस्या है। समय पर इलाज न मिलने से कई बार बकरियों की जान चली जाती है। ग्रामीण इलाकों में पशु चिकित्सा केंद्रों की कमी और सही दवाओं की अनुपलब्धता से बकरी पालक पारंपरिक और असुरक्षित उपचार का सहारा लेते हैं, जो अक्सर नुकसानदायक होता है। संतुलित आहार न मिलने से भी बकरियों की उत्पादकता पर असर पड़ता है। गर्मियों में बढ़ते तापमान से बकरियों में बुखार, दस्त और टीबी जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। बकरी पालक बताते हैं कि सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव है। प्रचार-प्रसार न होने से वे इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते हैं। सरकार को जमुनापारी, बरबरी और सिरोही जैसी अच्छी नस्लों को बढ़ावा देना चाहिए। साथ ही, कृत्रिम गर्भाधान केंद्र, मोबाइल पशु चिकित्सा सेवा और पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता का प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं भी दी जानी चाहिए। आत्मनिर्भरता की ओर कदम इन तमाम मुश्किलों के बावजूद बकरी पालन से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला है। कुछ महिलाओं ने इससे साहूकारों का कर्ज चुकाया है तो कुछ ने अपनी बेटियों की शादी की है। बकरी पालन ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होने की ताकत भी दी है। बकरी पालन से जुड़ी इन महिलाओं की संघर्षपूर्ण कहानियां उनकी हिम्मत, धैर्य और दृढ़ संकल्प की गवाह हैं। अगर उन्हें सही प्रशिक्षण और सरकारी मदद मिले, तो न केवल उनकी आमदनी दोगुनी हो सकती है, बल्कि वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी एक मजबूत स्तंभ बन सकती हैं। 18,000 से अधिक जिले में किसान बकरी पालन से जुड़े हैं, जो आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश कर रहे हैं। 60 फीसदी तक बढ़ सकती है आय 90 प्रतिशत महिलाएं पशु चिकित्सा सेवाओं की कमी और कर्ज के जाल में फंसने जैसी समस्याओं से जूझ रही हैं शिकायतें: 1. अच्छी नस्ल की बकरियों की उपलब्धता में कमी। 2. चारा उगाने और बकरियों के इलाज में कठिनाई 3. सरकारी योजनाओं की जानकारी का अभाव 4. पशु चिकित्सा केंद्रों और मोबाइल सेवाओं की कमी। 5. बिचौलियों पर निर्भरता के कारण उचित दाम न मिलना। सुझाव: 1. सब्सिडी पर अच्छी नस्ल की बकरियां उपलब्ध कराई जाएं। 2. पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार हो। 3. महिलाओं को वैज्ञानिक पद्धति से चारा उगाने का प्रशिक्षण दिया जाए। 4. कृत्रिम गर्भाधान केंद्र और पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैयार किए जाएं। 5. गांवों में सड़क और परिवहन की स्थिति सुधारी जाए। इनकी भी सुनें बकरी पालन से आमदनी का एक अच्छा जरिया है, लेकिन अच्छी नस्ल की बकरियां खरीदने में दिक्कतें आती हैं। इसके अलावा, पशु चिकित्सा सेवाएं समय पर न मिलने से भी नुकसान होता है। सरकार को बेहतर नस्लों और उचित स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए। गुड्डू ऋषि बकरी पालन से ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है। लेकिन चारा उगाने और इलाज की कमी एक बड़ी समस्या है। सरकार को महिलाओं को वैज्ञानिक पद्धति से प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि वे अपनी आमदनी बढ़ा सकें। करण बकरी पालन में सबसे बड़ी समस्या अच्छी नस्ल की बकरियों की कमी है। इसके अलावा, समय पर इलाज न मिलने से भी कई बार भारी नुकसान हो जाता है। पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार होना चाहिए। किशन बकरी पालन हमारे लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना एक बड़ी समस्या है। सरकार को सस्ते ऋण और सब्सिडी पर अच्छी नस्ल की बकरियां उपलब्ध करानी चाहिए। सुनील बकरी पालन से आत्मनिर्भरता मिली है, लेकिन चारा की कमी और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी समस्या है। सरकार को इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए। रामचंद्र बकरी पालन से आमदनी तो होती है, लेकिन समय पर इलाज न मिलने और उचित चारा न मिलने से नुकसान होता है। सरकार को इन समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। विश्वनाथ बकरी पालन से कई लोगों को रोजगार मिला है, लेकिन सही नस्ल की बकरियों की कमी और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी चुनौती है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। राम विलास बकरी पालन से हमें आर्थिक मदद मिलती है, लेकिन चारा की कमी और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी समस्या है। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। करण कुमार बकरी पालन से आत्मनिर्भरता मिली है, लेकिन चारा उगाने और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी समस्या है। सरकार को इन मुद्दों का समाधान करना चाहिए। गायत्री देवी बकरी पालन से हमें रोजगार तो मिलता है, लेकिन ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेना एक बड़ी समस्या है। सरकार को सस्ते ऋण और अच्छी नस्ल की बकरियां उपलब्ध करानी चाहिए। ममता देवी बकरी पालन से आमदनी बढ़ी है, लेकिन चारा और पशु चिकित्सा सेवाओं की कमी से नुकसान होता है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। पूजा देवी बकरी पालन से आत्मनिर्भरता मिली है, लेकिन चारा की कमी और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी समस्या है। सरकार को इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए। शमी कुमारी बकरी पालन से आमदनी तो होती है, लेकिन समय पर इलाज न मिलने से कई बार नुकसान होता है। पशु चिकित्सा सेवाओं का विस्तार होना चाहिए। करीना देवी बकरी पालन से रोजगार तो मिलता है, लेकिन चारा की कमी और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी समस्या है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। रामफतिया देवी बकरी पालन से आत्मनिर्भरता मिली है, लेकिन चारा उगाने और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव एक बड़ी समस्या है। सरकार को इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए। तेतरी देवी बकरी पालन से आमदनी तो होती है, लेकिन समय पर इलाज न मिलने से कई बार नुकसान होता है। सरकार को इन समस्याओं का समाधान करना चाहिए। खख्शी देवी जिम्मेदार स्वरोजगार को बढ़ावा देने व बकरी पशुपालकों के लिए कई योजनाएं हैं। बकरी पालन के लिए 50 से 60 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। जुलाई महीने के आस पास ऑनलाइन आवेदन दे सकते हैं। पशुओं का बीमा भी किया जाता हैं। बकरियों और अन्य पशुओं को बीमारियों से बचने के लिए मुफ्त टीके भी लगाए जाते हैं। टॉल फ्री नंबर 1962 पर कॉल कर मुफ्त ऑन डोर सर्विस से बीमार पशु का इलाज करवाएं। समस्या हो तो कार्यालय अवधि में आकर सपंर्क कर सकते हैं। डॉ प्रमोद मेहता जिला पशुपालन पदाधिकारी, कटिहार बकरी पालन से महिलाओं की आय बढ़ाने के लिए विभाग लगातार प्रयास कर रहा है। अच्छी नस्ल की बकरियां, संतुलित आहार और समय पर पशु चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने पर जोर दिया जा रहा है। जागरूकता अभियान और सब्सिडी योजनाओं का भी विस्तार किया जाएगा। मिथिलेश कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी, कटिहार 13- B K-18-ग्रुप फोटो 13-B K-19- बकरियों को चराने के लिए ले जाते बकरी पालक
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