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यूपी में संविदाकर्मियों के लिए योगी सरकार की बड़ी घोषणाएं, न्यूनतम मानदेय 16 से 20 हजार, फ्री इलाज भी

  • योगी सरकार ने यूपी के संविदाकर्मियों के लिए बड़ी घोषणाएं की है।संविदा कर्मचारियों को न्यूनतम मानदेय 16 से 20 हजार तक मिलेगा। ऐसे संविदाकर्मियों की भर्ती के लिए आउटसोर्सिंग निगम बनाया जाएगा। इसके अलावा संविदाकर्मियों को पांच लाख रुपये तक का फ्री इलाज मिलेगा।

Deep Pandey लाइव हिन्दुस्तानThu, 20 Feb 2025 03:57 PM
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यूपी में संविदाकर्मियों के लिए योगी सरकार की बड़ी घोषणाएं, न्यूनतम मानदेय 16 से 20 हजार, फ्री इलाज भी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को संविदाकर्मियों के हितों में बड़ी घोषणाएं करते हुए कहा है कि उन्हें न्यूनतम 16000 से 20000 रुपये हर माह मानदेय दिया जाएगा। उनकी भर्ती अब सीधे एजेंसियों के माध्यम से न कर निगम के माध्यम से किया जाएगा। राज्य सरकार इसके लिए आउटसोर्सिंग भर्ती निगम बनाने जा रही है। उन्होंने इसके साथ दूसरी बड़ी घोषणा करते हुए यह भी कहा कि प्रदेश में संविदा पर रखे गए कर्मियों को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज दिया जाएगा। इसके लिए ऐसे कर्मियों का मुख्यमंत्री जनआरोग्य आयुषमान कार्ड बनवाया जाएगा। प्रदेश में मौजूदा समय 80 सरकारी विभागों में 191644 संविदा और आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारी हैं।

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को बजट पेश होने के बाद तिलक हाल में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार आउटसोर्सिंग निगम बनाएगी। इसमें सेवा प्रदाता कंपनियों को अपना पंजीकरण कराना होगा। विभागों में जरूरत के आधार पर निगमों से कर्मी भेजे जाएंगे और इसके एवज में एजेंसियों का जो भी कमीशन होगा उसे सरकार द्वारा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 का यह बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिनः की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न को साकार करते हुए ‘वंचित को वरीयता’ इस बजट का केंद्रीय भाव है।

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उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के बजट के आकार में यह बढ़ोत्तरी राज्य के सामर्थ्य के अनुरूप है। यह बजट अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की डबल इंजन सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का राजकोषीय घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.97 प्रतिशत है, जो भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा एफआरबीएम एक्ट में निर्धारित 3.5 प्रतिशत की सीमा से कम है। नीति आयोग द्वारा राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रंट रनर (अग्रणी) राज्य की श्रेणी में रखा गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की अवधि में प्रदेश के समेकित फिस्कल हेल्थ इंडेक्स में 8.9 अंकों का इजाफा हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने व्यय की गुणवत्ता में भी व्यापक सुधार किया है। वर्ष 2018 से 13 की अवधि में पूंजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा।

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पिछले आठ सालों में बेरोजगारी की दर को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। प्रदेश में रोजगार की संभावनाएं और बढ़ीं हैं, नए रोजगार सृजित हुए हैं। लगातार प्रयासों से आठ सालों में लगभग 45 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले हैं जिसमें से 15 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव जमीन पर उतरे जा चुके हैं और 60 लाख नौकरियों के अवसर सृजित हुए हैं।

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