International Buddhist Poetry Seminar in Lucknow Discusses Buddha Poetry and Aesthetic Vision ‘बुद्ध ने सत्य और अहिंसा को अपने आचरण में उतारा, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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‘बुद्ध ने सत्य और अहिंसा को अपने आचरण में उतारा

Prayagraj News - अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ ने 'बुद्ध: कविता और सौंदर्य दृष्टि' विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया। प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी ने बुद्ध की कविता और सत्य की खोज पर प्रकाश डाला। कवियों ने अपनी रचनाओं...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजWed, 14 May 2025 09:51 PM
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‘बुद्ध ने सत्य और अहिंसा को अपने आचरण में उतारा

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान लखनऊ, साखी, प्रेमचंद साहित्य संस्थान एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से इविवि हिंदी विभाग में बुधवार को द्विसत्रीय ‘बुद्ध की धरती पर कविता के बैनर तले ‘बुद्ध : कविता और सौंदर्य दृष्टि विषय पर गोष्ठी तथा वरिष्ठ कवि हरिश्चंद्र पांडे की अध्यक्षता में स्थानीय कवियों का काव्य-पाठ आयोजित किया गया। प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता प्रो. जगदीश्वर चतुर्वेदी ने कहा कि बुद्ध ने सत्य खोजा और उसे आचरण में उतारा। उन्होंने कहा कि बुद्ध की कविता का काव्य-शास्त्र चीन में बना। बुद्ध रूढ़िवादी परंपराओं का निषेध करने वाले थे। बुद्ध के यहां हमें सर्वाधिक बौद्धिक ईमानदारी मिलती है।

उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बुद्ध के साथ चलने में तर्क विवेक के साथ यथार्थ की जरूरत और उसकी पहचान के महत्व को रेखांकित किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. राजेंद्र कुमार ने वर्तमान समय में स्वार्थपरक रूप से बुद्ध को याद करने की बजाए अपने अंदर के बुद्ध को पहचानने की बात की। कहा कि आज के समय में बुद्ध पर बात करने के विविध आयाम हैं। बुद्ध के वचनों और उनके व्यवहार में लाने की बात बार-बार की जानी चाहिए। प्रस्तावना संयोजक प्रो. सदानंद शाही ने रखी। स्वागत प्रो. लालसा यादव, संचालन डॉ. गाजुला राजू और स्थानीय संयोजक प्रो. संतोष भदौरिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य पाठ हुआ। शुरुआत कवि सदानंद शाही ने अपनी कविताओं के साथ की। शिवांगी गोयल ने ‘नग्नता में नवीनता क्या है, ‘आंधी के बाद, ‘पत्नी की इज्जत और ‘अफ़सोस, कवयित्री पूजा ने ‘राह, ‘मौलिकता, ‘वे मुझसे अच्छा रो लेते हैं, ‘मनुष्यता का अभिनय और ‘कहा हुआ सब भूलती हूं, कवि केतन यादव ने ‘ईश्वर संरक्षण का गीत, ‘बुद्ध की आत्महत्या, ‘जंगल राज और ‘सुनो भंते, नई पीढ़ी की कवयित्री कविता कादंबरी ने ‘मेरी बिटिया व ‘एलन कोटी, कवयित्री रुपम मिश्र ने ‘लाल मोहम्मद जोगी और ‘प्रेम करने की जिम्मेदारी, डॉ. लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता ने कविता ‘मगध जो डूब रहा है: व ग़ज़ल, कवि बसंत त्रिपाठी ने ‘बेरुत, कवि विवेक निराला ने ‘बुद्ध की वापसी, ‘प्रतीक, ‘लेखन शीर्षक कविताओं का पाठ किया। अशरफ़ अली बेग ने ग़ज़लों की प्रस्तुति दी। अध्यक्षता करते हुए कवि हरिश्चंद्र पांडे ने ‘हिंसा का परिपथ और युद्ध पर आधारित अपनी कविता का पाठ किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. प्रेमशंकर ने किया। संचालन शोध छात्रा रिया त्रिपाठी ने किया। आयोजन में प्रो. प्रणय कृष्ण, शिव प्रसाद शुक्ल, हरीश चंद्र पांडे, रामजी राय, प्रियदर्शन मालवीय, नीलम शंकर, सुधांशु मालवीय, डॉ. सूर्यनारायण, अशरफ अली बेग, विवेक निराला, कल्पना वर्मा, रूपम मिश्र, प्रेमशंकर, मनोज पांडेय, कविता कादम्बिरी, रंजीत सिंह, रमेश सिंह, गोविन्द निषाद और बड़ी संख्या में शोध छात्र और विद्यार्थी शामिल रहे।

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