थोड़ा-सा सुकून चाहिए...सरकारी अधिकारी की पत्नी ने शादी के 35 साल बाद मांगा तलाक
45 से 65 साल के दंपतियों में तलाक के मामले बढ़े हैं। इसे ‘ग्रे डिवोर्स’ कहा जा रहा है। पहले यह चलन मेट्रो सिटीज में था। अब आगरा में भी तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम इसका मुख्य कारण है। आखिर क्या है ये एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम?

सरकारी कार्यालय में अधिकारी और उनकी पत्नी 35 साल साथ रहने के बाद अलग होना चाहते हैं। काउंसलर्स के सामने पत्नी कहती हैं कि अब मुझे इनके साथ नहीं रहना है। जीवन के कुछ सालों में सुकून चाहिए। अब उम्र के इस पड़ाव पर तलाक लेना चाहते हैं। 45 से 65 साल के दंपतियों में तलाक के मामले बढ़े हैं। इसे ‘ग्रे डिवोर्स’ कहा जा रहा है। पहले यह चलन मेट्रो सिटीज में था, अब आगरा में भी तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम इसका मुख्य कारण है। परिवार परामर्श केंद्र में पहले छह महीने में एक केस आता था, अब सीधे तलाक की बात होती है। शहर में आए इस बदलाव को लेकर पेश है रिपोर्ट...।
बिजली विभाग में अधिकारी पद पर कार्यरत पति-पत्नी अब डिवोर्स चाहते हैं। कांउलर्स की मानें तो ये एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम के शिकार हैं। इनके बच्चे बाहर चले गये हैं। सालों से दोनों वर्किंग हैं। पहले बच्चे बात करने का माध्यम थे, लेकिन अब खाली हैं। इसे एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम कहते हैं। यह जिंदगी में अकेलापन और चिड़चिड़ापन लेकर आता है।
नोएडा में तैनात एक प्रशासनिक अधिकारी आगरा के रहने वाले हैं। बेटा और बेटी दोनों ही घर से बाहर हैं। घर में पत्नी और बहू है। पत्नी से उनकी शुरू से ही बात कम होती है। बहू से बात करते हैं, तो पत्नी क्लेश करती है। आरोप -प्रत्यारोप हुए हैं। ऐसे में वो अब पत्नी से डिवोर्स चाहते हैं। पत्नी भी उनके साथ नहीं रहना चाहती है।
मनोविज्ञान की डॉ. पूनम तिवारी ने बताया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक ग्रे डिवोर्स होने के पीछे एक और बड़ी वजह है एम्प्टी नेस्ट सिंड्रोम। ज्यादातर जोड़े एक साझा उद्देश्य के लिए एक साथ रहते हैं और अपने बच्चों की परवरिश करते हैं। जब उनके बच्चे बड़े हो जाते हैं और घर से बाहर निकल जाते हैं, तो उन्हें पता चलता है कि उनके बीच बहुत कम समानता है। बेवफाई या रिश्तों में ईमानदार ना रहना भी एक बड़ा कारण है। क्योंकि जो लोग अपनी शादी से खुश नहीं होते हैं, वो बाहर भावनात्मक और शारीरिक संतुष्टि तलाशते हैं।
क्यों आती है नौबत?
समाज विज्ञान विभाग के निदेशक प्रो. मो.अरशद ने कहा कि सामाजिक कलंक एक और बड़ी चुनौती है। खासकर हमारे समाज में उम्रदराज लोगों के लिए खुशहाल शादीशुदा जिंदगी एक प्रमाण पत्र की तरह होती है। अगर वो खत्म हो जाती है तो ये कहने वाले कम नहीं होंगे कि इसकी क्या जरूरत थी? यह तो जिंदगी का आखिरी पड़ाव है। फिर अकेलापन और भविष्य का डर रहता है, लेकिन आज समय के साथ बदलाव आये हैं। इसलिए ग्रे डिवोर्स बढ़ रहे हैं।
काउंसलर डॉ.अमित गौड़ ने कहा कि ग्रे डिवोर्स का मतलब 45 साल से लेकर और ज्यादा उम्र के लोगों के बीच तलाक या अलगाव होना। ये नौबत सालों साथ बिताने के बाद आती है। कुछ मामलों में जो जोड़े कानूनी रूप से तलाक नहीं लेते हैं, लेकिन अलग-अलग रहना चुनते हैं। चाहे वे अपने घर में रहें या अपने बच्चों के साथ। ग्रे डिवोर्स का एक मुख्य कारण यह है कि पिछली पीढ़ियों की शादियां भावनात्मक लगाव के बजाय प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी पर आधारित थीं।
डॉ. चीनू अग्रवाल ने कहा कि ग्रे डिवोर्स की स्थिति में जोड़ों को भावनात्मक चुनौतियां का सामना करना पड़ता है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती है अस्तित्व और पहचान का संकट। जैसे कि अपने लाइफ पार्टनर के बिना मैं कौन हूं? अगर जीवनभर साथ रहने के बाद भी आपके पास कोई साझा लक्ष्य नहीं है, तो अपने दम पर चीजों को करना और समझना भारी हो सकता है। कभी-कभी आपके लाइफ पार्टनर के अलग होने के साथ आपकी बनाई गई दोस्ती और पारिवारिक बंधन भी खत्म हो जाते हैं।