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पीडीए की धार काम आई न कांग्रेस का ‘साथ’, मिल्‍कीपुर में सपा इसलिए न हो सकी कामयाब

  • भाजपा के हिंदुत्व कार्ड के आगे सपा का सॉफ्ट हिन्दुत्व का कार्ड का दांव नहीं चला। अखिलेश यादव ने खुद हरिद्वार और प्रयागराज जाकर गंगा में डुबकी लगाई। पर बात बनी नहीं। अब अखिलेश के सामने उस सियासी समीकरण PDA की आंच की तपिश को आगे बरकरार रखने की चुनौती है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, अजित खरे, लखनऊSun, 9 Feb 2025 08:41 AM
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पीडीए की धार काम आई न कांग्रेस का ‘साथ’, मिल्‍कीपुर में सपा इसलिए न हो सकी कामयाब

Milkipur By Election Results 2025: आठ महीने पहले ‘अयोध्या’ से चली सियासी हवाओं ने रुख पलट दिया। सपा के हाथ से बगल का मिल्कीपुर निकल गया। न पीडीए की धार काम आई और न कांग्रेस का ‘साथ’। न महाकुम्भ का मुद्दा चला और न भाजपा को घेरने की रणनीति। कार्यकर्ताओं को एकजुट करने व बूथ मैनेजमेंट में भाजपा की रणनीति के आगे सपा की एक नहीं चली।

भाजपा के हिंदुत्व कार्ड के आगे सपा का सॉफ्ट हिन्दुत्व का कार्ड का दांव नहीं चला। अखिलेश यादव ने खुद हरिद्वार व प्रयागराज जाकर गंगा में डुबकी लगाई। पर बात बनी नहीं। अब अखिलेश के सामने उस सियासी समीकरण पीडीए की आंच की तपिश को आगे बकरार रखने की चुनौती है। मिल्कीपुर ने बता दिया कि इसमें सेंध लग चुकी है। अयोध्या जीत के जरिए सपा के पोस्टर चेहरा बने अवधेश प्रसाद भी बेटे को नहीं जिता सके। सपा के लिए अब आगे विधानसभा की जंग तक पिछड़ा, दलित व अल्पसंख्यक की एका को बनाए रखने की बड़ी मुश्किल है। कार्यकर्ताओं का गिरता मनोबल बनाए रखना भी चुनौती है। खास बात यह कि सपा हार मानने को तैयार नहीं है।अब उसने चुनाव प्रक्रिया से जुड़े अफसरों को भी निशाने पर लिया है।

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लगाया था पूरा जोर

अखिलेश ने आखिरी दिन रोडशो व जनसभा कर भाजपा को घेर वोट मांगा। मैनपुरी सांसद डिंपल यादव ने प्रचार में कसर नहीं छोड़ी। सांसद धर्मेंद्र यादव ,नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय समेत कई नेताओं प्रचार ने संभाला।

संगठन में होगा बदलाव

दस सीटों के उपचुनाव में फैसला अब आठ भाजपा, दो सपा का है। सपा अब संगठन भी चुस्त दुरुस्त करने के लिए बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। जिलाध्यक्ष बदले जाएंगे। पार्टी नए सिरे संगठन की ओवरहालिंग करेगी।

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उम्मीदों को झटका

आम चुनाव में अखिलेश के नेतृत्व में इंडिया से सपा-कांग्रेस ने 42 सीटें जीती व भाजपा के पूर्ण बहुमत की राह में यूपी रुकावट बन गया। ऐसे में सपा की उम्मीदें भी बढ़ीं। नौ विस सीटों पर उपचुनाव में सपा दो जीत पाई। सपा को उम्मीद थी कि मिल्कीपुर तो जीत ही लेगी। पर भाजपा ने इस पर तुषारापात कर दिया।

- बसपा की गैरमौजूदगी में दलित नहीं गए सपा के साथ

- कांग्रेस का सहयोग नहीं दिखा

-पीडीए में बिखरा ओबीसी वोट

-अखिलेश ने केवल एक जनसभा रोडशो किया

-बेअसर रहा सपा के दर्जन भर सांसद, विधायकों का प्रचार

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