योगी के सटीक जातीय गणित से जीते मिल्कीपुर, फैजाबाद में मिली हार का भाजपा का दंश भी दूर
- उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सीएम योगी ने वहां 2 रैलियां कीं। वह लगातार कहते रहे कि मिल्कीपुर की जीत का संदेश दूर तक जाएगा। मुख्यमंत्री न केवल मिल्कीपुर के लोगों को सुरक्षा, सुशासन के महत्व को समझाने में कामयाब रहे वहीं फैजाबाद में मिली हार का दाग भी धोने में उन्हें सफलता मिली।
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Milkipur By Election Results 2025: मिल्कीपुर उपचुनाव में भाजपा को मिली जीत संगठन की सटीक रणनीति, सही जातीय गुणा-गणित, सरकार के समन्वय और कठिन परिश्रम का नतीजा रही है। इस चुनाव में जहां परिश्रम में पार्टी ने कोई कोर-कसर नहीं उठाई वहीं मुख्यमंत्री का जुझारूपन व उनके मंत्रियों की टीम ने जिस तरह से मिल्कीपुर को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया, उससे न केवल कार्यकर्ताओं में जोश भरा बल्कि पूर्व के चुनाव में मिल्कीपुर में हुआ जातीय विभाजन भी पार्टी दुरुस्त करने में कामयाब रही।
मुख्यमंत्री का कठिन परिश्रम सुशासन का दांव
मुख्यमंत्री ने उपचुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद वहां दो रैलियां कीं। वह लगातार कहते रहे कि मिल्कीपुर की जीत का संदेश दूर तक जाएगा। कहना गलत न होगा कि मुख्यमंत्री न केवल मिल्कीपुर के लोगों को सुरक्षा, सुशासन के महत्व को समझाने में कामयाब रहे वहीं फैजाबाद में मिली हार का दाग भी धोने में उन्हें सफलता मिली।
मंत्रियों की टीम और संगठन का लगातार दौरा
ऐसा नहीं रहा कि यह जीत बिना किसी सटीक रणनीति और फैजाबाद में हुई हार से बिना सबक लिए हासिल की गई। पार्टी ने अव्वल तो उपचुनाव में होने वाले कम वोट प्रतिशत को बढ़ाने में सफलता हासिल की। वहीं, विपक्ष द्वारा भाजपा को हर हाल में हराने की लुकी-छिपी किंतु कारगर रणनीति की काट निकाली। मिल्कीपुर से बाहर दिल्ली, मुंबई में रह रहे मतदाताओं को ठीक उसी प्रकार वोट डालने के लिए बुलाया गया, जैसा लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने अपनाया था। पार्टी ने यह रणनीति पहली बार अपनाई।
स्थानीय कार्यकर्ताओं की नाराज़गी दूर की
पार्टी ने कभी बसपा के नेता रहे चंद्रभानु पासवान को टिकट देकर एक महत्वपूर्ण दांव चला। दरअसल, मिल्कीपुर से वर्ष 2017 में चुनाव जीतने वाले गोरखनाथ समेत कई कार्यकर्ताओं ने टिकट मिलने का आस लगा रखी ती। चंद्रभानु पासवान का टिकट घोषित होने के बाद कई लोगों ने असंतोष जताया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल इन खिन्न लोगों को हमेशा रैली के दौरान मंच पर साथ रखा। उनके कामों की तारीफ की और खुद व्यक्तिगत रूप से उनसे लगातार मिलते रहे। उन्हें ही अपनी रैलियों का प्रबंधन सौंप दिया। नतीजा, कार्यकर्ताओं में एकजुटता का संदेश गया।
दलितों, ब्राह्मणों में बनाया सटीक समन्वय
मिल्कीपुर की जीत का एक अहम कारण यह भी रहा कि सरकार व संगठन ने समन्वय कर दलितों, ब्राह्मणों में बीते चुनाव में हुए मतभेद को दूर किया। दरअसल, मिल्कीपुर में ब्राह्मणों की आबादी अच्छी खासी है। उन्हें संभालने के लिए इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को लगाया गया। कारण यह कि गोरखनाथ के वर्ष 2017 में चुनाव जीतने के बाद दलितों-सवर्णों में अनबन की चर्चा खूब हो गई थी। यही वजह थी कि बीते विधानसभा चुनाव में जहां दलितों के मत सपा की झोली में खुलकर गए। वहीं लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को नुकसान हुआ। पार्टी ने इससे सबक लेकर अपनी रणनीति बदली और नाराज़ चल रहे ब्राह्मणों को साधने का प्रयोजन किया। वहीं चंद्रभानु पासवान को टिकट देकर पार्टी दलित मतों का विभाजन कराने में कामयाब रही। पासी समाज से होने के कारण और सपा के अजीत प्रसाद को लेकर परिवारवाद का संदेश जाने के चलते पासी समाज के साथ चुनाव में बसपा की गैरमौजूदगी में दलित वोट भाजपा की झोली में गया।