अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तीन साल से चल रही यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने के पक्ष में हैं। हाल ही में सऊदी अरब में हुई शांति वार्ता में अमेरिका और रूस के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए, लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि इस वार्ता में यूक्रेन का कोई भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था।
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम से यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगी हैरान हैं और नई अमेरिकी रणनीति के अनुसार खुद को ढालने की कोशिश कर रहे हैं।
2022 में जब रूस ने यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर हमला किया, तब से अब तक यूक्रेन ने अपनी 11% जमीन खो दी है। हालांकि, पश्चिमी देशों की सैन्य मदद से यूक्रेन ने कुछ इलाकों पर फिर से कब्जा जमाने में सफलता भी पाई।
इस युद्ध में करोड़ों यूक्रेनी नागरिकों को अपना घर छोड़ना पड़ा, लाखों की मौत हो चुकी है और अनगिनत लोग घायल हुए हैं।
युद्ध की शुरुआत में यूक्रेन ने अपनी सेना को राजधानी कीव की रक्षा में तैनात किया और वहां रूस को कड़ी टक्कर दी। इसके बाद खार्किव और खेरसॉन में भी यूक्रेनी सेना ने कुछ अहम जीत दर्ज की।
दूसरी ओर, डोनेत्स्क और बखमुत जैसे इलाकों में भी यूक्रेन को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
CNN और Institute for the Study of War के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 के हमले के बाद से अब तक यूक्रेन 11% भूमि पर अपना नियंत्रण खो चुका है।
अगर 2014 से लेकर अब तक की स्थिति को देखें, तो रूस और उसके समर्थक विद्रोहियों ने कुल 18% यूक्रेनी जमीन पर कब्जा जमा लिया है।
अब जब अमेरिका ने यूक्रेन को शांति वार्ता से दूर रखते हुए रूस से सीधी बातचीत शुरू कर दी है, तो यह सवाल उठ रहा है कि क्या पश्चिमी सहयोगी यूक्रेन को पूरी तरह समर्थन देना जारी रखेंगे या नहीं।
इस युद्ध में रूस की रणनीति कितनी सफल होगी और क्या यूक्रेन अपनी खोई जमीन वापस हासिल कर पाएगा, यह आने वाले महीनों में स्पष्ट होगा।