दिल्ली की 7वीं विधानसभा में कैसे सवाल सबसे ज्यादा पूछे गए, प्रश्न पूछने और अटेंडेंस में कौन रहा अव्वल?
- संगठन एडीआर ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें फरवरी 2020 से दिसंबर 2024 तक चले विधायी कामकाज का विश्लेषण किया गया है। जानिए प्रश्न पूछने, अटेंडेंस और प्रश्नों के प्रकार क्या रहा।
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दिल्ली की सातवीं विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने को है। ऐसे समय में चुनाव अधिकार संगठन एडीआर ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसमें फरवरी 2020 से दिसंबर 2024 तक चले विधायी कामकाज का विश्लेषण किया गया है। इसमें संगठन ने उपस्थिति रिकॉर्ड और सदस्यों की भूमिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी उजागर की है।
एडीआर द्वारा जारी रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग और दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित सवाल सबसे अधिक पूछे गए प्रश्न थे। इस अवधि के दौरान दिल्ली विधानसभा ने 20 सत्र बुलाए, जिसमें प्रति वर्ष औसतन 15 बैठकें हुईं। 2024 का पाँचवाँ सत्र सबसे लंबा था, जो 15 फरवरी से 8 अप्रैल तक चला। इसमें कुल 21 बैठकें हुई थीं।
यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और दिल्ली इलेक्शन वॉच द्वारा दायर सूचना के अधिकार के जवाबों पर आधारित है। आरटीआई आवेदनों में दिल्ली विधानसभा सचिवालय से विधायकों और विधानसभा के कामकाज के बारे में जानकारी मांगी गई थी।
भागीदारी के मामले में कृष्णा नगर के विधायक एसके बग्गा ने सबसे अधिक 99 प्रतिशत उपस्थिति दर्ज की। अन्य बेहतर प्रदर्शन करने वालों में सोम दत्त की उपस्थिति 97 प्रतिशत और अब्दुल रहमान की उपस्थिति 96 प्रतिशत रही। जबकि 70 बैठकों का विश्लेषण उपस्थिति के लिए किया गया, पाँचवें सत्र से चार के डेटा उपलब्ध नहीं थे।
विधायी मोर्चे पर विधायकों ने सत्रों के दौरान कुल 948 प्रश्न पूछे थे। इसमें भाजपा विधायक अजय महावर और मोहन सिंह बिष्ट ने 45-45 प्रश्न पूछे थे। इन लोगों द्वारा सभी सदस्यों में सबसे अधिक प्रश्न पूछे थे। सबसे अधिक बार उठाए गए विषय शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग और दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित थे।
सदन ने विधायी दक्षता भी बनाए रखी। इस कार्यकाल के दौरान पेश किए गए सभी 28 विधेयक पारित किए गए। विधायकों ने औसतन उच्च उपस्थिति दर का प्रदर्शन किया, जो कार्यवाही में मजबूत भागीदारी को दर्शाता है। सवाल पूछने, जवाबदेही सुनिश्चित करने और सरकारी कार्यों की जांच के मामले में भाजपा विधायकों का दबदबा रहा।