बजट के अभाव में भूपानी गोशाला का काम अटका
फरीदाबाद के भूपानी गांव में गोशाला का कार्य बजट की कमी के कारण लटक गया है। इसके लिए ढाई करोड़ रुपये की जरूरत है, जिससे लावारिस पशुओं को सड़कों से हटाने में मुश्किल हो रही है। शहर में लावारिस पशुओं की...

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। भूपानी गांव की गोशाला का कार्य बजट के अभाव में लटक रहा है। इसमें बचे कार्य के लिए करीब ढाई करोड़ रुपये की और जरूरत है। इस वजह से लावारिस पशुओं को सड़कों से हटाने के काम में तेजी नहीं आ रही रही है। स्मार्ट सिटी में लावारिस पशु लोगों की आफत बने हुए हैं। इन पशुओं को रखने के लिए मौजूदा गोशालाओं में जगह नहीं बची है। इस वजह से लावारिस पशुओं के झुंड गोशालाओं के बजाय बाजार से लेकर रिहायशी इलाकों में टहल रहे हैं। कभी ये लोगों को चोट पहुंचा रहे हैं तो कभी वाहनों का रास्ता अवरुद्ध कर रहे हैं। यहां तक की लोगों के घरों में भी घुस रहे हैं। इस वजह से नगर निगम प्रशासन ने लावारिस पशओं के लिए गत वर्ष भूपानी गांव में गोशाला बनाने का काम शुरू किया था। इस गोशाला में करीब 1500 पशुओं के रखने की व्यवस्था होगी । यह गोशाला पांच एकड़ में बनाई जा रही है। नगर निगम प्रशासन ने इसके निर्माण कार्य का एक चरण पूरा कर लिया है। इस गोशाला के पहले चरण के कार्य के तहत चारदीवारी, पीने के पानी और चारा खिलाने के लिए पशुओं की खोर आदि का काम पूरा हो चुका है। अब यहां टीनशेड का काम होना बाकी रह गया है। टीनशेड के लिए करीब ढाई करोड़ रुपये के बजट की जरूरत है। विभाग ने इस कार्य के लिए विभागीय मुख्यालय से ढाई करोड़ रुपये के बजट की मांग की है। लेकिन, बजट न आने के कारण टीनशेड बनाने का कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है। जब तक टीनशेड नहीं बनेगा, तब तक यहां पर पशुओं को नहीं भेजा जा सकेगा।
शहर में हर जगह लावारिस पशु घूम रहे: एक अनुमान के अनुसार, शहर में लावारिस पशुओं की संख्या 10 हजार हो सकती है। स्मार्ट सिटी में दिल्ली-आगरा हाईवे, डीएनडी-केएमपी एक्स्प्रेसवे से लेकर पूरे शहर में लावारिस पशु टहल रहे हैं। शहर के बाजार भी लावारिस पशुओं से अछूते नहीं हैं। इससे वाहन चालकों के साथ आए दिन हादसे होते रहते हैं। डीएनडी-केएमपी एक्सप्रेसवे पर बड़ौली पुल के आस-पास लावारिस पशुओं का जमावड़ा देखा जा सकता है। इसी तरह दिल्ली-आगरा हाईवे पर बल्लभगढ़ बस अड्डा, बाटा और वाईएमसीए फ्लाईओवर के बीच लावारिस टहलते मिल जाते हैं। इसके अलावा शहर के बाजारों में भी लावारिस पशुओं का जमावड़ा लगा हुआ है। शहर के परंपरागत बाजार हों या फिर सेक्टर के बाजार। सभी जगह हर रोज लावारिस पशु टहलते रहते हैं। इसके अलावा शहर के सभी सेक्टर और कॉलोनियों में भी लावारिस पशुओं को टहलते हुए देखा जा सकता है।
लावारिस पशुओं की बड़ी संख्या के बावजूद मात्र तीन गोशालाएं
सड़कों पर लावारिस पशुओं के घूमने की प्रमुख वजह शहर में गोशालाओं की संख्या का कम होना है। निगम प्रशासन के पास तीन गोशालाएं हैं। इनमें गोपाल गोशाला, मवई, और ऊंचा गांव में चल रहीं गोशालाएं शामिल हैं। इन गोशालाओं में शामिल गोपाल गोशाला को हर महीने चार लाख रुपये, मवई गोशाला को 10 लाख रुपये और ऊंचा गांव गोशाला को तीन लाख रुपये दिए जाते हैं। इसके अलावा जिले में नीमका, भूपानी, तिगांव, नवादा, मोहना, मंझावली, फज्जूपुर और मोठूका में भी गोशालाएं चल रही हैं। गोशालाओं में करीब पांच हजार पशु हैं। नगर निगम की मदद से संचालित की जाने वाली तीनों गोशालाओं में जगह का अभाव है।
भूपानी गांव की गोशाला के लिए टीनशेड का काम बचा हुआ है। इसके लिए करीब ढाई करोड़ रुपये के बजट की जरूरत है। बजट मिलने पर काम शुरू हो सकेगा।
- ओमदत्त, कार्यकारी अभियंता, नगर नगम
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