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अब सभी को सभी से खतरा है; फडणवीस, शिंदे की अनबन से किस-किस की फायदे पर नजर

  • विपक्षी गठबंधनों में रहे दल गले मिल रहे हैं तो वहीं साथियों के बीच अदावत के हालात हैं। महाविकास अघाड़ी में शामिल शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को दिल्ली में सम्मानित किया तो उद्धव ठाकरे गुट भड़क गया। सम्मान को ही कह दिया कि ये या तो खरीदे जाते हैं या फिर बेचे जाते हैं।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, मुंबई, पीटीआईSun, 16 Feb 2025 10:08 AM
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अब सभी को सभी से खतरा है; फडणवीस, शिंदे की अनबन से किस-किस की फायदे पर नजर

महाराष्ट्र की राजनीति में बमुश्किल तीन महीने पहले ही तलवारें खिंची थीं। महायुति और महाविकास अघाड़ी के दलों में टकराव तेज था। नतीजे आए तो महायुति को फिर से सत्ता मिल गई और अब समीकरण भी बदलते दिख रहे हैं। ऐसी स्थिति में जॉन एलिया का एक शेर याद आता है- अब नहीं कोई बात ख़तरे की, अब सभी को सभी से ख़तरा है। यानी महाराष्ट्र की राजनीति में फिलहाल दोस्त और दुश्मन की पहचान करना मुश्किल है। क्रॉस दोस्ती और क्रॉस दुश्मनी के हालात हैं। कल तक विपक्षी गठबंधनों में रहे दल गले मिल रहे हैं तो वहीं साथियों के बीच अदावत के हालात हैं। महाविकास अघाड़ी में शामिल शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को दिल्ली में सम्मानित किया तो उद्धव ठाकरे गुट भड़क गया। सम्मान को ही कह दिया कि ये या तो खरीदे जाते हैं या फिर बेचे जाते हैं।

वहीं उद्धव सेना के नेता देवेंद्र फडणवीस से मिल रहे हैं और उनकी तारीफें कर रहे हैं। उन्हीं फडणवीस से अब एकनाथ शिंदे और उनके साथी नेता नाराज चल रहे हैं, जो चुनाव तक साथ थे और मिलकर लड़े तो जीत भी हासिल की। महायुति गठबंधन ने राज्य की 288 में से 230 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन अब टकराव बढ़ता ही जा रहा है। सीएम, होम मिनिस्टर जैसे पदों के लिए एकनाथ शिंदे लॉबिंग कर रहे थे, लेकिन सफल नहीं हुए। अब वह निकाय चुनावों में अपनी ताकत भाजपा को भी दिखाना चाहते हैं। वहीं उद्धव सेना को लगता है कि एकनाथ शिंदे को उनकी हैसियत बताने का यह सही मौका है। वह भाजपा के साथ उनके टकराव को मौके के तौर पर देख रही है और फडणवीस की तारीफें भी की जा रही हैं।

फिलहाल मुंबई, पुणे, ठाणे जैसे शहरों में निकाय चुनाव होने हैं। इन चुनावों में टाइट फाइट के आसार हैं। बीते ढाई महीनों में उद्धव ठाकरे समेत उनकी पार्टी के नेता तीन बार देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर चुके हैं। आदित्य ठाकरे ने सीएम से दो बार मीटिंग की है तो उद्धव खुद एक बार मिले। उनके अलावा कई और नेताओं ने भी देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की है। इससे पहले उद्धव सेना के नेता फडणवीस पर सीधे हमले करते थे। एकनाथ शिंदे के सीएम रहते वह निशाने पर थे। उद्धव सेना उन पर पार्टी तोड़ने के आरोप लगाती थी। अब उसके बदले सुर बता रहे हैं कि राजनीतिक समीकरणों में कितना चेंज आ गया है। यहां तक कि देवेंद्र फडणवीस ने राज ठाकरे से भी पिछले दिनों मुलाकात की थी।

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राजनीतिक विश्लेषक अभय देशपांडे कहते हैं कि दोनों गठबंधनों के दल दुश्मनों के साथ फ्लर्ट कर रहे हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सहयोगियों को दबाव में बनाए रखा जाए। महाराष्ट्र में निकाय चुनाव को मिनी विधानसभा इलेक्शन कहा जाता है। देशपांडे कहते हैं, 'दोनों तरफ के दल पानी की गहराई नाप रहे हैं। इसे अपनी ताकत दिखाने औऱ बारगेनिंग की कोशिश के तौर पर ही देखा जाना चाहिए। इससे ज्यादा यह कुछ नहीं है। वह अपने पार्टनर्स को बताना चाहते हैं कि उनके पास विकल्पों की कमी नहीं है।' यही कारण है कि फडणवीस और शिंदे के बीच भी जो मतभेद दिख रहे हैं, उनका लाभ उठाने की कोशिश में शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे तक जुटे हैं।

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