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झारखंड में 49 शहरी निकायों की होगी ड्रोन मैपिंग, जानिए कैसे मिलेगी टैक्स वसूली बढ़ाने में मदद?

  • इस सर्वे का उद्देश्य शहरी निकायों का डिजिटल मैप तैयार करना है। इसकी मदद से टैक्स वसूली बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। जानिए डिटेल।

Ratan Gupta हिन्दुस्तान, रांचीSat, 25 Jan 2025 07:03 AM
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झारखंड में 49 शहरी निकायों की होगी ड्रोन मैपिंग, जानिए कैसे मिलेगी टैक्स वसूली बढ़ाने में मदद?

झारखंड के 49 शहरी स्थानीय निकायों का ड्रोन लेडार सर्वे कराया जाएगा। यह निर्णय नगर विकास विभाग ने लिया है। केंद्र की एजेंसी गरुड़ से संपर्क किया गया है। हालांकि सर्वे के लिए संस्था का चयन होना बाकी है। इस सर्वे का उद्देश्य शहरी निकायों का डिजिटल मैप तैयार करना है। इसकी मदद से टैक्स वसूली बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। सर्वे के बाद विभाग के पास नगर निकायों का 3डी नक्शा उपलब्ध होगा। निर्माण की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी।

क्या होता है ड्रोन लेडार सर्वे

ड्रोन लेडार सर्वे एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें ड्रोन (यूएवी या अनमैन्ड एरियल व्हीकल) पर लगे लेडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) सेंसर का उपयोग करके जमीन के सतह का 3डी मॉडल बनाया जाता है। ड्रोन एक यूएवी है, जो लेडार सेंसर को लेकर उड़ता है। लेडार एक लेजर सेंसर है, जो जमीन की सतह पर लेजर पल्स भेजता है और वापस आने वाले पल्स को मापता है।

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सभी भवनों को होल्डिंग टैक्स के दायरे में लाया जाएगा

ड्रोन लेडार सर्वे के बाद राज्य के 49 नगर निकायों में स्थित सभी भवनों को होल्डिंग टैक्स के दायरे में लाया जा सकेगा। वर्तमान में जिन घरों से होल्डिंग टैक्स लिया जा रहा है, वे 2011 की गणना के अनुसार है। बाद के वर्षों के दौरान कई नये घर बने हैं। नयी आवासीय कॉलोनी भी बसी हैं। उन्होंने रांची का उदाहरण रखते हुए कहा कि 2011 की जनगणना के मुताबिक राजधानी की आबादी 15 लाख है। एक परिवार पर पांच सदस्य के हिसाब से यहां करीब तीन लाख घर होल्डिंग टैक्स के दायरे में होने चाहिए।

टैक्स वसूली बढ़ाने समेत इन कामों में मिलेगी मदद

अभी 2.30 लाख घरों से ही होल्डिंग टैक्स की वसूली हो रही है। अनुमान के मुताबिक 70 हजार अतिरिक्त आवास अकेले रांची में होल्डिंग टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। ऐसे सभी घरों को चिन्हित करने के लिए जल्द ही ड्रोन लेडार सर्वे कराया जाएगा। ड्रोन लेडार सर्वे का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में भूमि सर्वेक्षण, शहरी नियोजन, सड़क निर्माण, खनन और खनिज संसाधनों का सर्वेक्षण, आपदा प्रबंधन आदि में किया जा सकता है। एक बार जब यह काम हो जाएगा तो सारा डाटा डैशबोर्ड पर उपलब्ध होगा। इसके अनुसार होल्डिंग टैक्स का कलेक्शन भी बढ़ जाए

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डैश बोर्ड में होंगी इस तरह की जानकारियां

नगर विकास एवं आवास मंत्री सुदिव्य कुमार के मुताबिक ड्रोन लेडार के बाद विभाग के डैसबोर्ड पर स्थानीय निकायों में हुए निर्माण की पूरी जानकारी उपलब्ध होगी। यह तक पता रहेगा कि भवनों का जो निर्माण हुआ है, वह दिए गए एनओसी के मुताबिक हुआ है या उल्लंघन करके किया गया है। नए निर्माण को चिह्नित करने में आसानी होगी। यह देखा जा रहा है कि कई भवनों का निर्माण काफी समय से लगभग पूरा करके अधूरा दर्शाने की नीयत से काम बंद कर दिया गया है। ऐसे भवनों में व्यावसायिक गतिविधियां भी देखी जा रही हैं। होल्डिंग टैक्स से बचने का ये तरीका राज्य की प्रगति में बाधक है। इसे रोकने की जरूरत है। मंत्री ने बताया कि सभी सर्वे के लिए भारत सरकार की गरुड़ कंपनी से बात चल रही है।

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