Hindi Newsझारखंड न्यूज़Summons issued to 74 people including 47 officers in JPSC recruitment scam

JPSC भर्ती घोटाले में 47 अफसरों समेत 74 को समन, 64 चयनितों में से 49 ने किया था बड़ा गड़बड़झाला

  • सीबीआई की विशेष अदालत ने जेपीएससी प्रथम सिविल सेवा भर्ती घोटाले में 47 अफसरों समेत कुल 74 आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया है। इस परीक्षा में बड़े स्तर पर धांधली हुई थी। जानिए पूरा मामला।

Ratan Gupta हिन्दुस्तान, रांचीSat, 25 Jan 2025 06:05 AM
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JPSC भर्ती घोटाले में 47 अफसरों समेत 74 को समन, 64 चयनितों में से 49 ने किया था बड़ा गड़बड़झाला

सीबीआई की विशेष अदालत ने जेपीएससी प्रथम सिविल सेवा भर्ती घोटाले में 47 अफसरों समेत कुल 74 आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया है। बीते 16 जनवरी को सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने संबंधित लोगों के पते पर समन भेजकर स्वयं या वकील के माध्यम से पक्ष रखने को कहा है।

अभिलेखों के अवलोकन के दौरान एक आश्चर्यजनक तथ्य अदालत के सामने आया कि अंतिम रूप से चयनित 64 अभ्यर्थियों में से 49 को जेपीएससी के नियमानुसार पीटी में भी सफल घोषित नहीं किया जाना चाहिए था। बता दें कि सीबीआई ने जांच पूरी करते हुए 12 साल बाद बीते 4 मई को जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ दिलीप प्रसाद समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी।

जाने क्या है पूरा मामला

जेपीएससी ने एक दिसंबर 2002 को प्रथम संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में 65 डिप्टी कलेक्टर की भर्ती की थी। जांच के दौरान पाया गया कि चयन प्रक्रिया के हर स्तर यानी प्रारंभिक परीक्षा के समय अधिक उम्मीदवारों को सफल घोषित करके, जेपीएससी द्वारा निर्धारित मानदंडों का उल्लंघन किया गया। मूल्यांकनकर्ताओं द्वारा आरोपी अफसरों (आवेदकों) को लाभ पहुंचाया गया। प्रारंभिक परीक्षा में भर्ती के एवज में 665 अभ्यर्थी ही सफल घोषित किए जाने थे, जबकि पीटी में 9,488 अभ्यर्थी सफल घोषित कर दिए गए। मूल्यांकनकर्ताओं का कोई पैनल भी तैयार नहीं किया गया था।

मुख्य परीक्षा में 196 की जगह 246 हुए थे सफल घोषित

जेपीएससी के मानदंडों के विरुद्ध मुख्य परीक्षा में 196 की जगह 246 को सफल घोषित कर दिया गया। साक्षात्कार के लिए भी अधिक संख्या में उम्मीदवार बुलाए गए थे। जहां चार साक्षात्कार बोर्ड थे, जिनमें से प्रत्येक का नेतृत्व आयोग के अध्यक्ष और एक सदस्य करते थे। जेपीएससी ने अंतत: 64 का चयन किया। उनमें से दो अजय लिंडा और नीलम अग्रवाल ने सेवा छोड़ दी। इसके अलावा कुमान मनीष और मेघना रूबी कच्छप की मौत हो गई है। शेष राज्य सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।

उत्तर पुस्तिकाएं सौंपने की तिथि से पहले मूल्यांकन

मूल्यांकन चुने हुए परीक्षकों से कराया गया। परीक्षकों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं की प्राप्ति मूल्यांकनकर्ताओं को उत्तर पुस्तिकाएं सौंपने की तारीख से पहले दर्शाई गई थी। इतना ही नहीं उत्तर पुस्तिका में बड़ी संख्या में कटिंग और ओवर राइटिंग की गई है। उत्तर पुस्तिकाओं को परीक्षकों के निजी वाहनों से भेजा गया और परीक्षक से उत्तर पुस्तिकाओं की प्राप्ति की पावती नहीं ली गई थी।

इन आरोपियों के खिलाफ समन

अदालत ने दिलीप कुमार प्रसाद, डॉ गोपाल प्रसाद सिंह, राधा गोविंद सिंह नागेश, शांति देवी, एलिस उषा रानी, सीमा सिंह, बिनय कुमार मिश्रा, सुषमा नीलम सोरेंग, ज्योति कुमारी झा, कुंवर सिंह पाहन, अलका कुमारी, मोहन लाल मरांडी, राम नारायण सिंह, सुदर्शन मुर्मू, जेमेस सुरीन, जीतेंद्र मुंडा, पूनम कच्छप, हेमा प्रसाद, डॉ अरविंद कुमार, डॉ विजय बहादुर सिंह, डॉ सिकरा दास तिर्की, डॉ श्रीमती समृता कुमारी, डॉ. बिजय प्रसाद सिंह, परमानंद सिंह, डॉ हरेंद्र कुमार सिंह, डॉ अशोक कुमार झा, अनंत कुमार हैं।

इनके नाम राजीव कुमार, परमेश्वर मुंडा, संजीव कुमार, संतोष कुमार गर्ग, बिजय वर्मा, कमलेश नारायण, डॉ सत्य ब्रत सिंह, डॉ बीरेंद्र कुमार सिंह, डॉ चंदेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ हरेंद्र नारायण चौधरी, राज महेश्वर राम, हरिबंश पंडित, प्रदीप कुमार, चिंटू दोराई बुरू, सौरव प्रसाद, अनवर हुसैन, डॉ ज्योति कुमार सिंह, अरविंद कुमार लाल, संजय पांडे, राजेश कुमार सिंह, संदीप दुबे, बिजय कुमार, शालिनी विजय, विजयेंद्र कुमार हैं।

इनके नाम दीपू कुमार, धीरेंद्र कुमार सिंह, साधना जयपुरियार, भागीरथ प्रसाद, मोहम्मद जियाउल अंसारी, दिनेश कुमार रंजन, सागर कुमार, ललन कुमार, पंकज कुमार शॉ, अंजना दास, स्मृता कुमारी, कुमुदिनी टुडू, प्रेमलता मुर्मू, लखी राम बास्की, रवींद्र गागराई, अनिल कुमार यादव, विकास तिर्की, प्रवीण रोहित कुजूर, बिनय मनीष आर लकड़ा, अजय सिंह बड़ाइक, योगेंद्र प्रसाद, राजेश्वर नाथ आलोक और जया राचेल मिंज के खिलाफ समन जारी किया गया है।

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