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टेक वर्ल्ड की बेताज बादशाह है ये कंपनी, इसके बिना रुक जाएगी दुनिया; 8 साल से लड़ रहे चीन-अमेरिका

  • यह कहानी सिर्फ चिप्स और प्रोसेसर की नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति, तकनीकी प्रभुत्व और आर्थिक वर्चस्व की है। आइए जानते हैं इस कंपनी की अनसुनी दास्तान।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, ताइपेSat, 22 Feb 2025 03:47 PM
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टेक वर्ल्ड की बेताज बादशाह है ये कंपनी, इसके बिना रुक जाएगी दुनिया; 8 साल से लड़ रहे चीन-अमेरिका

TSMC Explained: दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण कंपनी न तो ओपनएआई है, न गूगल और न ही एप्पल। फिर भी, आपके पास मौजूद हर डिवाइस इसी कंपनी की तकनीक पर निर्भर करती है। पिछले आठ वर्षों से अमेरिका और चीन इस पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इक कंपनी की कहानी सिर्फ चिप्स और प्रोसेसर की नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति, तकनीकी प्रभुत्व और आर्थिक वर्चस्व की है। आइए विस्तार से समझते हैं।

चिप्स की दुनिया का बेताज बादशाह, जिसके बिना दुनिया रुक जाएगी!

जब हम आधुनिक तकनीक की दुनिया की बात करते हैं, तो दिमाग में तुरंत ओपनएआई का चैटजीपीटी, गूगल का सर्च इंजन या एप्पल का आईफोन, सैमसंग, इंटेल या क्वालकॉम जैसी कंपनियों का नाम आता है। लेकिन इनमें से अधिकतर कंपनियां अपने चिप्स खुद नहीं बनातीं। इन सबके पीछे एक ऐसी कंपनी है जिसके बिना ये सभी बेकार हैं। यह कंपनी है ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी (TSMC), जो दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे एडवांस चिप निर्माता कंपनी है। यह दुनिया के सबसे छोटे और सबसे शक्तिशाली प्रोसेसर बनाती है। आपके स्मार्टफोन, लैपटॉप, कार, और यहां तक कि घरेलू उपकरणों में इस्तेमाल होने वाली सेमीकंडक्टर चिप्स का अधिकांश हिस्सा इसी कंपनी से आता है।

TSMC की स्थापना 1987 में मॉरिस चांग ने ताइवान में की थी। उस समय, कंपनियां अपने चिप्स खुद डिजाइन और निर्माण करती थीं। लेकिन ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने एक नया बिजनेस मॉडल पेश किया- फाउंड्री मॉडल, जिसमें यह सिर्फ चिप्स बनाने का काम करती है, जबकि कंपनियां उन्हें डिजाइन करती हैं। आज यह वैश्विक चिप बाजार का लगभग 64% हिस्सा नियंत्रित करती है। इसकी तकनीक इतनी एडवांस है कि यह 3-नैनोमीटर चिप्स बना सकती है। यह एक ऐसी उपलब्धि जो इसे अपने प्रतिस्पर्धियों से मीलों आगे रखती है। बिना इसके, न iPhone चल सकता है, न Tesla कार और न ही OpenAI का ChatGPT काम कर सकता है। लेकिन इसकी सफलता ने इसे भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र भी बना दिया है।

छोटी चिप, बड़ा विवाद: TSMC कैसे बना सुपरपावर संघर्ष का केंद्र?

TSMC सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि भविष्य की वैश्विक सत्ता का केंद्र बन चुकी है। यही कारण है कि चीन और अमेरिका इसके नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पिछले आठ सालों से, चीन और अमेरिका इस कंपनी के नियंत्रण को लेकर एक अनकही लड़ाई में उलझे हैं। सेमीकंडक्टर चिप्स आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। ये न केवल उपभोक्ता उत्पादों में बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), सैन्य हथियारों, और अंतरिक्ष तकनीक में भी महत्वपूर्ण हैं। जो कोई भी इन चिप्स को नियंत्रित करता है, वह तकनीकी और सैन्य श्रेष्ठता हासिल कर सकता है।

चीन ने अपनी "मेड इन चाइना 2025" योजना के तहत स्वदेशी चिप उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश की है, लेकिन वह अभी भी टीएसएमसी की तकनीकी क्षमता से कोसों दूर है। दूसरी ओर, अमेरिका ने टीएसएमसी पर अपनी निर्भरता को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए अरबों डॉलर का निवेश किया है। 2022 में पारित चिप्स ऐक्ट इसका एक उदाहरण है, जिसके तहत अमेरिका ने सेमीकंडक्टर उद्योग में $52 बिलियन से अधिक का निवेश करने का वादा किया। फिर भी, टीएसएमसी की महारत को दोहराना आसान नहीं है।

इस बीच, ताइवान का भौगोलिक स्थान इसे और भी संवेदनशील बनाता है। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और इसे अपने साथ मिलाने की धमकी देता रहा है। अगर चीन ताइवान पर नियंत्रण हासिल कर लेता है, तो टीएसएमसी और इसकी तकनीक उसके हाथों में जा सकती है। यह एक ऐसी स्थिति होगी जो अमेरिका के लिए भयावह होगी।

ताइवान का ‘सिलिकॉन शील्ड’ या अगला युद्ध का कारण?

अमेरिका का डर: अमेरिका को लगता है कि अगर चीन ताइवान पर कब्जा कर लेता है, तो उसे TSMC की चिप्स नहीं मिलेंगी, जिससे उसकी टेक इंडस्ट्री ठप हो सकती है।

चीन की महत्वाकांक्षा: चीन अपने सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को विकसित करना चाहता है, लेकिन वह अब भी TSMC से 10 साल पीछे है। यदि वह ताइवान पर कब्जा कर लेता है, तो वह TSMC की तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है।

ताइवान का संकट: ताइवान के लिए TSMC सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा की गारंटी है। यही कारण है कि इसे "Silicon Shield" भी कहा जाता है।

अमेरिका ने चीन को चिप निर्माण से रोकने के लिए कई कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। उसने TSMC को आदेश दिया है कि वह चीन को एडवांस चिप्स बेचना बंद कर दे। इससे चीन नाराज है और उसने अपनी चिप कंपनियों को विकसित करने पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं।

आधुनिक जीवन का नियंत्रक

टीएसएमसी सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि आधुनिक जीवन की धुरी है। कोविड-19 महामारी के दौरान चिप की कमी ने ऑटोमोबाइल से लेकर गेमिंग कंसोल तक हर उद्योग को प्रभावित किया था। यह एक रिमाइंडर था कि टीएसएमसी के बिना ग्लोबल सप्लाई चैन ठप हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टीएसएमसी का उत्पादन एक साल के लिए रुक जाए, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक का नुकसान हो सकता है।

इसके अलावा, टीएसएमसी की तकनीक भविष्य की टेक्नोलॉजी जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग और 6G नेटवर्क के लिए भी आधार तैयार कर रही है। जो देश इस कंपनी के साथ साझेदारी करेगा या इसे नियंत्रित करेगा, वह अगली पीढ़ी की तकनीकी क्रांति में आगे रहेगा।

भविष्य: क्या होगा TSMC का?

क्या चीन ताइवान पर हमला कर सकता है? यह सवाल दुनिया की सबसे बड़ी चिंता बन चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसा हुआ, तो दुनिया में टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। इसी खतरे को देखते हुए अमेरिका और जापान ने TSMC को अपने देशों में फैक्ट्रियां लगाने के लिए प्रेरित किया है। TSMC अमेरिका और जापान में भी उत्पादन शुरू करने जा रहा है।

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हालांकि टीएसएमसी की स्थिति मजबूत है, लेकिन यह चुनौतियों से मुक्त नहीं है। एक ओर, भू-राजनीतिक तनाव इसे लगातार खतरे में डालते हैं। दूसरी ओर, अमेरिका और यूरोप जैसे क्षेत्र अपने चिप उत्पादन को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि टीएसएमसी पर निर्भरता कम हो। इसके जवाब में, टीएसएमसी ने अमेरिका, जापान और यूरोप में नए कारखाने खोलने की योजना बनाई है, लेकिन इनका पैमाना अभी भी ताइवान के संयंत्रों से कम है।

इसके साथ ही, पर्यावरणीय चुनौतियां भी हैं। चिप निर्माण के लिए भारी मात्रा में पानी और ऊर्जा की जरूरत होती है, और ताइवान में सूखे की समस्या इसे जटिल बना सकती है। फिर भी, टीएसएमसी ने इनोवेशन के जरिए इन समस्याओं का समाधान करने की क्षमता दिखाई है।

दुनिया में जितनी भी बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां हैं, उनकी नींव TSMC पर टिकी हुई है। यह सिर्फ एक कंपनी नहीं, बल्कि आधुनिक युग की सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी शक्ति है। यही कारण है कि चीन और अमेरिका इसे नियंत्रित करने के लिए 8 वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। यदि TSMC पर कोई संकट आता है, तो दुनिया की पूरी टेक इंडस्ट्री ठप हो सकती है। इसलिए, यह कहना गलत नहीं होगा कि आने वाले दशकों में, TSMC ही तय करेगा कि टेक्नोलॉजी की दुनिया में असली बादशाहत किसकी होगी—अमेरिका की या चीन की?

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