ट्रंप ने गाजा के लोगों को इन देशों में बसाने का रखा प्रस्ताव, शक्तिशाली अरब देशों ने सुनाई खरी-खरी
- गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि गाजा के फिलिस्तीनियों को वहां से निकलकर पड़ोसी देशों मिस्र और जॉर्डन में बस जाना चाहिए।
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प्रमुख शक्तिशाली अरब देशों ने शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस सुझाव को सख्ती से खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने गाजा के फिलिस्तीनियों को मिस्र और जॉर्डन में बसाने की बात कही थी। मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), कतर, फिलिस्तीनी प्राधिकरण और अरब लीग ने एक संयुक्त बयान जारी कर इस योजना को पूरी तरह अस्वीकार कर दिया।
ट्रंप ने पिछले महीने यह सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था कि वह जॉर्डन और मिस्र के नेताओं से गाजा की अब बड़े पैमाने पर बेघर आबादी को अपने यहां बुलाने का आग्रह करेंगे, ताकि ‘‘हम पूरी तरह से उस जगह को खाली करा सकें।’’ उन्होंने कहा कि गाजा की 23 लाख की आबादी में से ज्यादातर को पुनर्स्थापित करना अस्थायी या दीर्घकालिक हो सकता है। युद्ध की शुरुआत में कुछ इजरायली अधिकारियों ने गाजा के लोगों को शिफ्ट करने का विचार दिया था।
अब अरब देशों के बयान में कहा गया कि इस तरह की कोई भी योजना "क्षेत्र की स्थिरता को खतरे में डाल सकती है, संघर्ष को बढ़ा सकती है और शांति व सहअस्तित्व की संभावनाओं को कमजोर कर सकती है।" जॉर्डन के विदेश मंत्री अयमान सफादी ने भी कहा कि ट्रंप के विचार के प्रति उनके देश का विरोध ‘‘दृढ़ और अटूट’’ है।
यह बयान काहिरा में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद जारी किया गया, जिसमें मिस्र, जॉर्डन, सऊदी अरब, यूएई और कतर के शीर्ष राजनयिकों के साथ-साथ फिलिस्तीनी अधिकारी हुसैन अल-शेख और अरब लीग प्रमुख अहमद अबुल-गैथ ने हिस्सा लिया। पिछले महीने मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि फिलिस्तीनियों को उनके मूल स्थान से हटाने की कोई भी योजना "कभी भी स्वीकार्य या सहनीय नहीं होगी।"
उन्होंने जोर देकर कहा कि समस्या का समाधान केवल "दो-देश समाधान" के जरिए ही संभव है, जिसमें फिलिस्तीनी देश की स्थापना की जानी चाहिए। अल-सीसी ने कहा, "इस समस्या का समाधान यह नहीं है कि फिलिस्तीनी जनता को उनके स्थान से हटा दिया जाए। बिल्कुल भी नहीं।"
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि गाजा के फिलिस्तीनियों को वहां से निकलकर पड़ोसी देशों मिस्र और जॉर्डन में बस जाना चाहिए। हालांकि, अरब देशों ने इस विचार का पुरजोर विरोध किया है, क्योंकि यह फिलिस्तीनी देश की स्थापना के प्रयासों को कमजोर कर सकता है।
इसके अलावा, अरब देशों का यह भी मानना है कि यदि गाजा के लाखों फिलिस्तीनी शरणार्थी बनकर दूसरे देशों में बस जाते हैं, तो इससे गंभीर राजनीतिक और सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। अरब देशों ने 1948 में इजरायल के गठन के बाद से ही फिलिस्तीनी शरणार्थियों की समस्या का सामना किया है, और वे नहीं चाहते कि यह समस्या और गहरी हो।
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