क्या बजट 2025 के बाद उछलेंगे सोने के दाम, सर्राफा बाजार को सता रहा यह डर
- Budget 2025: बजट में सरकार सोने पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है। लोगों को आशंका है कि अगर बजट में गोल्ड पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान होता है तो सोने की कीमतों में और उछाल आना संभव है।
Budget 2025: केंद्रीय बजट इस शनिवार यानी 1 फरवरी को पेश होने जा रहा है। सोने पर मोदी सरकार का क्या रवैया होगा, इसको लेकर सर्राफा बाजार, निवेशकों, गहनों के खरीदारों की लगातार नजर बनी हुई है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि बजट में सरकार सोने पर आयात शुल्क बढ़ा सकती है। लोगों को आशंका है कि अगर बजट में सोने पर शुल्क बढ़ाने का ऐलान होता है तो सोने का आयात महंगा हो जाएगा। इससे सोने की कीमतों में और उछाल आना संभव है।
अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि शुल्क कटौती ने सोने की खपत को बढ़ावा दिया है, लेकिन इससे घरेलू निर्यात में वृद्धि नहीं हुई है। इसके बजाय, सोने की बढ़ी खपत ने राजकोषीय घाटे को बढ़ा दिया। इससे रुपया डॉलर के मुकाबले 87 के करीब गिर गया है। 16 दिसंबर को जारी नवंबर 2024 के ट्रेड डेटा से भारत के व्यापार घाटे में रिकॉर्ड ऊंचाई का पता चला, जिसकी वजह बड़े पैमाने पर सोने का आयात था।
सोने का आयात अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक
शुरुआती अनुमानों से पता चला है कि सोने का आयात 14.8 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो कुल व्यापारिक आयात का 21% था। बाद में आकंड़ों की गणना में मिली चूक का पता लगने के बाद भी हुए संशोधन के बावजूद, सोने का आयात अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक बना हुआ है।
जुलाई में आयात शुल्क नौ फीसद घटाया था
वित्त मंत्री ने पिछले साल जुलाई के बजट में सोना और चांदी पर आयात शुल्क 15 फीसद से घटाकर छह फीसद कर दिया था। यह अब तक की सबसे बड़ी कटौती थी और 2013 के बाद पहली बार ऐसा हुआ था कि आयात शुल्क 10 फीसद से नीचे आ गया। इस ऐतिहासिक कटौती के साथ ज्वेलरी इंडस्ट्री में आशा की लहर आ गई।
सोने का आयात बढ़ा
इस कटौती के बाद सोने का इंपोर्ट बढ़ा, लेकिन जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट में उम्मीद के मुताबिक बढ़ोतरी नहीं हुई। अगस्त 2024 में सोने का आयात लगभग 104 फीसद बढ़कर 10.06 अरब डॉलर हो गया, जबकि इसी अवधि में रत्न और ज्वेलरी निर्यात में 23 फीसद से ज्यादा की गिरावट आई।
जुलाई 2024 से सोने का आयात (टन में)
जुलाई 43.6
अगस्त 136
सितम्बर 59.7
अक्तूबर 86
नवंबर 117
दिसंबर 50 (अनुमानित)
कम शुल्क बनाए रखने के पक्ष में उद्योग
रिकॉर्ड इंपोर्ट के बावजूद, उद्योग ने सरकार से शुल्कों की कम दरों को बनाए रखने का आग्रह किया है। उन्होंने यह तर्क दिया है कि कटौती से सोना भारत लाने की लागत में गिरावट आई है, जिससे सोने की तस्करी कम फायदेमंद हो गई है। इसके अलावा, ज्वेलरी सेक्टर का दावा है कि ड्यूटी में कटौती ने उद्योग की फाइनेंशियल कंडिशन में सुधार कर कंपटीशन को बढ़ावा दिया है। ज्वेल्स एंड गोल्ड इंडस्ट्रीज को उम्मीद है कि सरकार कस्टम ड्यूटी को उनके मौजूदा स्तरों पर रखकर इस क्षेत्र का समर्थन करना जारी रखेगी।
गोल्ड बॉन्ड योजना का विकल्प संभव
बजट 2024 में सरकार ने सोने पर सीमा शुल्क घटा दिया। इससे विश्लेषकों के बीच अटकलें लगाई जाने लगीं कि सरकार ने अनौपचारिक रूप से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना को खत्म कर दिया है। आखिरी गोल्ड बॉन्ड इश्यू 12 फरवरी, 2024 को आया था। उस वक्त बॉन्ड 6,262 रुपये प्रति ग्राम की दर से जारी किया गया था। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड योजना मूल रूप से भौतिक सोने की मांग को कम करने के लिए शुरू की गई थी।
वित्त मंत्रालय द्वारा नौ सितंबर, 2015 को पहला गोल्ड बॉन्ड जारी करते हुए कहा था कि यह योजना प्रति वर्ष निवेश के लिए खरीदे जाने वाले अनुमानित 300 टन भौतिक बार और सिक्कों के एक हिस्से को गोल्ड बॉन्ड में स्थानांतरित करके भौतिक सोने की मांग को कम करने में मदद करेगी। चूंकि भारत में सोने की अधिकांश मांग आयात के माध्यम से पूरी होती है, इसलिए यह योजना अंततः देश के चालू खाता घाटे को टिकाऊ सीमाओं के भीतर बनाए रखने में मदद करेगी।
गोल्ड बांड के संभावित विकल्प
-गोल्ड-सपोर्टेड डिजिटल प्रोडक्ट
-गोल्ड म्यूचुअल फंड
-गोल्ड ईटीएफ
-गोल्ड सेविंग प्लान
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