मिडिल क्लास को बड़ा तोहफा देने की तैयारी में मोदी सरकार, बजट में टैक्स पर ऐलान संभव
- Budget 2025: आगामी एक फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025-2026 में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल, सरकार नई कर व्यवस्था में अहम बदलाव करने की योजना बना रही है। इसका ऐलान आम बजट में किया जा सकता है।
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Budget 2025: आगामी एक फरवरी को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट 2025-2026 में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत मिल सकती है। दरअसल, सरकार नई कर व्यवस्था में अहम बदलाव करने की योजना बना रही है। इसका ऐलान आम बजट में किया जा सकता है। बता दें कि नई कर व्यवस्था को एक डिफॉल्ट व्यवस्था के रूप में निर्धारित किया गया है। यानी टैक्सपेयर ने अगर नई और पुरानी कर व्यवस्था में से कोई विकल्प नहीं चुना है तो वह स्वत: नई कर व्यवस्था में चला जाएगा। हालांकि, टैक्सपेयर इसे आयकर रिटर्न दाखिल करते समय बदल सकते हैं।
क्या हो सकता है ऐलान
बिजनेस स्टैंडर्ड ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि इस बार बजट में नई कर व्यवस्था के तहत 10 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को टैक्स फ्री किया जा सकता है। इसके अलावा 15 लाख रुपये से 20 लाख रुपये के बीच की वार्षिक आय के लिए एक नया 25% टैक्स स्लैब पेश करने की योजना है।
एक सरकारी सूत्र ने बताया- हम दोनों विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे हैं। यदि हमारा बजट अनुमति देता है, तो हम दोनों उपायों को लागू कर सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि सरकार इस तरह की आयकर राहत के प्रभाव के रूप में 50,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक के राजस्व नुकसान को बर्दाश्त करने के लिए तैयार है।
अभी क्या है व्यवस्था
वर्तमान में नई कर व्यवस्था के तहत प्रति वर्ष 7.75 लाख रुपये तक कमाने वाले वेतनभोगी टैक्सपेयर्स पर प्रभावी रूप से कोई टैक्स देनदारी नहीं है, जिसमें 75,000 रुपये की स्टैंडर्ड कटौती लागू है। 15 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक की आय 30% के हाई टैक्स स्लैब के अंतर्गत आती है।
टैक्स में कटौती की चाहत
भारत में 57 प्रतिशत इंडिविजुअल्स टैक्सपेयर्स की इच्छा है कि सरकार अगले वित्त वर्ष के बजट में टैक्स में कटौती की घोषणा करे। ग्रांट थॉर्नटन भारत की सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस सर्वे के मुताबिक, करीब 72 प्रतिशत इंडिविजुअल्स टैक्सपेयर्स के नई आयकर व्यवस्था को चुनने के बावजूद 63 प्रतिशत टैक्सपेयर्स पुराने टैक्स स्ट्रक्चर के तहत मिलने वाले प्रोत्साहन में बढ़ोतरी के पक्ष में हैं। वहीं, नई कर व्यवस्था की तरफ आकर्षण बढ़ाने के लिए करीब 46 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कर की दरें कम करने की वकालत की, जबकि 26 प्रतिशत लोगों का मानना है कि छूट की सीमा बढ़ाई जाए।
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