Hindi Newsबिहार न्यूज़Why water of river Ganga not rot for years this fact came out in research

आखिर सालों तक क्यों नहीं सड़ता गंगा नदी का जल, रिसर्च में सामने आया यह फैक्ट

परीक्षण में पाया गया कि गंगाजल में ऐसे तत्व हैं जो कि बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है या उसको नियंत्रित करता है। हालांकि ये भी पाया गया कि गर्म करने से जल की प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम हो जाती है।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, पटनाThu, 2 Jan 2025 09:26 AM
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आखिर सालों तक क्यों नहीं सड़ता गंगा नदी का जल, रिसर्च में सामने आया यह फैक्ट

भारत में नदियों की चर्चा होती है तो उनमें गंगा सर्वोपरि होती है। वैज्ञानिक अनुसंधान ने प्रमाणित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई-कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है। दरअसल, ऋषिकेश और गंगोत्री के गंगा जल में एक परीक्षण किया गया जहां प्रदूषण नहीं के बराबर है। परीक्षण के लिए तीन तरह का गंगाजल लिया गया। इनमें एक ताजा, दूसरा आठ दिन पुराना और तीसरा 16 दिन पुराना। तीनों बोतल के जल में ई-कोलाई बैक्टीरिया डाला गया, तब पाया कि ताजा गंगाजल में बैक्टीरिया तीन दिन जीवित रहा, आठ दिन पुराने जल में एक सप्ताह और सोलह दिन पुराने जल में 15 दिन बैक्टीरिया जीवित रहा। यानी तीनों सैम्पल में ई-कोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया।

परीक्षण में पाया गया कि गंगाजल में ऐसे तत्व हैं जो कि बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है या उसको नियंत्रित करता है। हालांकि ये भी पाया गया कि गर्म करने से जल की प्रतिरोधक क्षमता कुछ कम हो जाती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक गंगाजल में ऐसे वायरस पाये जाते हैं जो ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय हो जाते हैं और उन्हें मारने के बाद फिर निष्क्रिय हो जाते हैं। वैज्ञानिक ये उम्मीद करते हैं कि आगे चलकर अगर गंगा जल से इस चमत्कारिक तत्व को अलग कर लिया जाता है तो बीमारी पैदा करने वाले उन जीवाणुओं को भी नियंत्रित किया जा सकता है जिनपर अब एंटीबोयोटिक दवाओं का भी असर नहीं होता है।

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दरअसल, संपूर्ण मानव इतिहास में शुरू से ही नदियों का अत्यधिक महत्व रहा है। नदियों का जल मूल प्राकृतिक संसाधन है और मानवीय क्रियाकलापों के लिए बेहद जरूरी है। भारत में जहां अधिकांश जनसंख्या जीविका के लिए कृषि पर निर्भर है, वहीं सिंचाई, नौ-संचालन, जल विद्युत निर्माण के लिए नदियों को संरक्षित बनाना सभी का कर्तव्य है। वैज्ञानिक विधियों के द्वारा हम समय रहते गंगा नदी के जल का संरक्षण कर सकते हैं, नहीं तो भारत के सभी प्राणियों को अपने जीवन का निर्वाह करना मुश्किल हो जाएगा ।-डॉ. जावेद अहमद, असिस्टेंट प्रोफेसर, आरके कॉलेज, मधुबनी

नदी के आसपास सतत विकास के द्वारा ही इसका संरक्षण और संवर्धन संभव है। यद्यपि इस दिशा में कई प्रयास किये गये हैं। लेकिन भूगर्भशास्त्री, भूगोलवेत्ता, रसायन शास्त्रत्त्ी और जीव वैज्ञानिक अपने सामूहिक वैज्ञानिक तकनीक के माध्यम से गंगा नदी को पुन उत्तरी भारत की जीवन रेखा के रूप में पुनर्स्थापित कर सकते हैं। - रास बिहारी सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विश्वविद्यालय एवं भूगोलवेत्ता

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