रामविलास पासवान के निजी सचिव रहते IAS संजीव हंस ने एक करोड़ की घूस ली थी, ईडी का बड़ा आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अभियोजन शिकायत में यह आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निजी सचिव रहते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से अनुकूल फैसला दिवलवाने के लिए मुंबई की एक रियल्टी फर्म से एक करोड़ की घूस ली थी।

जेल में बंद आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. रामविलास पासवान के निजी सचिव रहते हुए राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) से अनुकूल फैसला दिवलवाने के लिए मुंबई की एक रियल्टी फर्म से एक करोड़ की रिश्वत ली थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अभियोजन शिकायत में यह आरोप लगाया है। एजेंसी ने यह आरोप संजीव हंस के मित्र विपुल बंसल के स्वीकार नामे के आधार पर लगाया है, जो उस फर्म में कार्यरत थे और इस सौदा में बिचौलिया की भूमिका निभा रहे थे।
आरोप पत्र के अनुसार बंसल ने खुलासा किया कि हंस ने बेंच के आदेश का अनुपालन करने और सारंगा अग्रवाल की गिरफ्तारी को रद्द करने के लिए आरएनए कॉर्प के लिए एनसीडीआरसी बेंच से दो अलग-अलग तारीखों की व्यवस्था की। ईडी सूत्रों के अनुसार रिश्वत संजीव हंस के एक परिचित शादाद खान के माध्यम से भुगतान किया गया था, जिसका नंबर हंस ने खुद बंसल को दिया था। उल्लेखनीय है कि एनसीडीआरसी उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग के तहत काम करता है।
स्व. पासवान 2014 से 2019 के बीच पहली मोदी सरकार में इस विभाग को संभाल रहे थे। संजीव हंस रामविलास पासवान के निजी सचिव के रूप में 3 जुलाई 2014 से 30 मई 2019 तक थे। ईडी के आरोपपत्र के अनुसार, आरएनए कॉर्प के पेरोल पर रहने वाले बंसल ने कथित तौर पर हंस और फर्म के प्रमोटर अनुभव अग्रवाल के बीच एक बैठक करवाई थी, ताकि अनुकूल फैसला आये और उनकी गिरफ्तारी को रोका जा सके।