मौनी अमावस्या पर कहां-कहां जलाते हैं दीपक, पितरों का मिलता है आशीर्वाद
- Mauni amavasya upaay:माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। इस दिन स्नान और दान का बहुत अधिक महत्व होता है। इसके अलावा इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। पितरों के तर्पण के बाद आप इन जगहों पर आकर दीपक जलाना चाहिए, इससे आपके पितर प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद देकर जाते हैं।
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। मौनी अमावस्या जैसा कि आप नाम से जान रहे हैं, इस दिन मौन रहने का बड़ा महत्व है। इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान किया दाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन सभी देवता गंगा में स्नान करते हैं । इसलिए इस दिन लोग गंगा में स्नान में डबकी लगाते हैं। इसके अलावा इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। पितरों के तर्पण के बाद आप इन जगहों पर आकर दीपक जलाना चाहिए, इससे पितर प्रसन्न होते हैं और आपको आशीर्वाद देकर जाते हैं। इसका बहुत पुण्यफल मिलता है। आपको बता दें कि अमावस्या 28 जनवरी को शाम को 35 बजे शुरू हो रही है। अगले दिन अमावस्या तिथि 29 जनवरी को शाम को 6 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी।
कहां-कहां जलाते हैं दीपक
पितरों को प्रसन्न करने के लिए सबसे पहले पानी में काले तिल डालकर पितरों को जल अर्पित करना चाहिए। इससे पितृ प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा इस दिन उनके नाम का दीप जलाना चाहिए।अमावस्या पर पीपल के पेड़ पर दीप जलाना चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशार्वाद मिलता है। इसके अलावा तुलसी पर भी दीप जलाना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि एक दीपक पितरों के नाम का अपने घर की चौखट पर रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या पर पितर दीपदान से तृप्त होते हैं, अगर हमारी तरफ से वे भोजन और जल और दीप से तृप्त होते हैं, तो आप वे खूब आशीर्वाद देकर जाते हैं। इसके लिए अपने घर की दक्षिण दिशा में दरवाजे के पास उनके नाम का दीपक रखना चाहिए।
डिस्क्लेमर- (इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते हैं कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)
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