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Mauni Amavasya 2025:श्रवण नक्षत्र में मौनी अमावस्या, नोट कर लें स्नान-दान का उत्तम मुहूर्त और महत्व

  • Mauni Amavasya 2025 : पंचांग के अनुसार, इस साल 29 जनवरी 2025 को बेहद शुभ योग में मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या का दिन पापों से मुक्ति के लिए स्नान-दान और पितरों को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम समय माना गया है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 26 Jan 2025 07:16 PM
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Mauni Amavasya 2025:श्रवण नक्षत्र में मौनी अमावस्या, नोट कर लें स्नान-दान का उत्तम मुहूर्त और महत्व

Mauni Amavasya 2025 : हिंदू पंचांग के अनुसार, 29 जनवरी 2025 को बेहद शुभ योग में मौनी अमावस्या मनाई जाएगी।। इस दिन को माघ अमावस्या भी कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्य महत्वपूर्ण माने जाते हैं। साथ ही इस दिन पितरों की आत्माशांति और पितृ दोषों से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में गंगा नदी में स्नान किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के सभी पाप धुल जाते हैं। इस दिन शिवजी की पूजा-उपासना भी जाती है। इस साल मौनी अमावस्या के दिन प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान किया जाएगा। आइए जानते हैं मौनी अमावस्या की सही तिथि, स्नान-दान मुहूर्त, विशेय योग और महत्व...

कब है मौनी अमावस्या 2025?

द्रिक पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर होगी और अगले दिन 29 जनवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र और सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। जिससे इस दिन स्नान-दान के कार्यों का महत्व कहीं अधिक बढ़ जाता है।

मौनी अमावस्या 2025 : स्नान-दान मुहूर्त

मौनी अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना पुण्य फलदायी माना गया है। अगर संभव न हो, तो घर में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए और इसके बाद दान-पुण्य के कार्य करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन सुबह 5 बजकर 25 मिनट से सुबह 06 बजकर 18 मिनट तक ब्रह्म मुहूर्त है। इस दौरान पवित्र नदी में स्नान करके दान-पुण्य के कार्य कर सकते हैं।

मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन स्नान-दान के कार्यों के साथ मौन व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से दीर्घायु, सुख-सौभाग्य और आरोग्यता का वरदान मिलता है। इस दिन पितरों के आत्माशांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के कार्यों से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार के सदस्यों पर अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अपने सामर्थ्य के अनुसार अन्न, धन और गर्म कपड़े का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होती है और धन-संपन्नता बनी रहती है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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